छत्तीसगढ़

सप्लाई ठप, 380 रुपए बोरी बिक रही सीमेंट

Nilmani Pal
13 Oct 2021 4:59 AM GMT
सप्लाई ठप, 380 रुपए बोरी बिक रही सीमेंट
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  1. सीमेंट कंपनियां-ट्रांसपोर्टर के बीच नहीं बन रही सहमति
  2. आंध्र-उड़ीसा से आ रही गाडिय़ां - राजधानी में रोज 150 से ज्यादा सीमेंट की गाडिय़ां आती हैं, लेकिन अभी इनकी संख्या 20 से 25 तक ही सीमित हो गई है। बढ़े हुए परिवहन दर में केवल 2 सीमेंट कंपनियां ही ट्रांसपोर्टरों को भाड़े का भुगतान कर रही हैं। इसलिए इन दो कंपनियों की सीमेंट बाजार में बिक रही है। लेकिन इसे भी सामान्य कीमत के बजाय सप्लायर ज्यादा दाम में बेच रहे हैं। करीब छह महीने पहले भी ट्रांसपोर्टरों ने सीमेंट की सप्लाई रोक दी थी। उस समय भी सीमेंट कंपनियों ने भाड़ा बढ़ाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन बढ़ाया नहीं। इस वजह से ट्रांसपोर्टरों ने एक बार फिर से सीमेंट की सप्लाई रोक दी है। टांसपोर्टर स्थानीय कंपनियों की माल ढलाई नहीं कर रहे हैं। इसके चलते स्टाकिस्ट अब हैदराबाद और उड़ीसा से सीमेंट की खेप मंगा रहे हैं।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। सीमेंट कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच सहमति नहीं बनने से सीमेंट ट्रांसपोर्टिंग की समस्या का हल नहीं निकल रहा है। ट्रांसपोर्टरों ने बिना माल भाड़ा बढ़ाए गाडिय़ां चलाने से इंकार कर दिया है तो कंपनियां भी अभी भाड़ा बढ़ाने के मूड में नहीं है। राज्य सरकार की ओर से फिलहाल कोई विशेष पहल नहीं की गई है। विभाग के अफसरों ने न तो दोनों पक्षों की बैठक बुलाई और न ही किसी भी पक्ष से बात की है। इस वजह से मामला उलझता ही जा रहा है। विवाद का असर सीमेंट की कीमतों पर पड़ रहा है। पिछले महीने तक 280 से 300 प्रति बोरी बिकने वाली सीमेंट 320 से 350 रुपए प्रति बोरी बिक रही है। लोगों की जरूरत को देखते हुए कई जगह 380 रुपए प्रतिबोरी तक बेच जा रही है। मजबूरी में लोग ज्यादा कीमत देकर सीमेंट खरीद रहे हैं। स्टाकिस्ट बाहर से सीमेंट की खेप मंगाकर महंगे दाम में बेच रहे हैं। भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने सीमेंट की बढ़ती कीमत और कालाबाजारी पर सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि सरकार को कंपनियों और ट्रांसपोर्टर्स की बैठक करवा कर समस्या का जल्द हल निकालना चाहिए।

छग से दूसरे राज्यों में भी आपूर्ति ठप

छत्तीसगढ़ सीमेंट फैक्ट्रियों का हब है। यहां कई सीमेंट फैक्ट्रियां एक साथ काम कर रही है। इसमें अंबुजा की 2, श्रीसीमेंट की 2, लाफार्ज और अल्ट्राट्रेक की 2-2, इमामी और सेंचुरी सीमेंट की 1-1 फैक्ट्री काम कर रही है। केवल बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में ही सीमेंट के 9 प्लांट है। इन फैक्ट्रियों में 60 लाख टन से ज्यादा सीमेंट का उत्पादन किया जाता है। इसमें 7 से 8 टन सीमेंट की खपत राज्यभर में हो जाती है। छत्तीसगढ़ से ही बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा समेत कई राज्यों में सीमेंट की सप्लाई की जाती है। मानसून में सितंबर तक में सरकारी निर्माण नहीं होते हैं इस वजह से शासकीय काम में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन बिल्डर और आम लोगों के कंस्ट्रक्शन महंगे होते जा रहे हैं। सीमेंट की कमी की वजह से कई जगहों पर काम भी बंद कर दिया गया है।

सरिया 64 हजार रुपये प्रति टन पार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सीमेंट की अघोषित किल्लत की वजह से इसकी कीमतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। दूसरी ओर अब सरिया भी लगातार नए-नए रिकार्ड बना रहा है। हफ्ते भर में ही सरिया की कीमतों में 1,500 रुपये टन की बढ़ोतरी हो गई है। सोमवार 11 अक्टूबर को सरिया 64 हजार 700 रुपये प्रति टन पहुंच गया। खास बात यह है कि बाजार में अभी भी मांग नदारद बनी हुई है। आने वाले दिनों में कीमतों में और तेजी की संभावना बनी हुई है। इस प्रकार से भवन निर्माण सामग्री की कीमतों में जबरदस्त तेजी से लोगों के घर बनाने का सपना और महंगा हो गया है। आने वाले कुछ दिनों में बिल्डरों द्वारा भी अपने प्रोजेक्टों में बढ़ोतरी की जाएगी। क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि सरिया की कीमतें बढऩे के पीछे मुख्य कारण कोयले की कीमतों में हुई बढ़ोतरी है। उद्योगों को इन दिनों कोयला दोगुना से तीन गुना कीमतों पर मिल रहा है। इसकी वजह से उत्पादन लागत भी महंगी हो गई है और इसका असर ही सरिया की कीमतों पर पड़ रहा है।

सीमेंट के दाम भी 350 रुपये तक पहुंचे

ट्रक हड़ताल के चलते इन दिनों बाजार में सीमेंट की भी अघोषित किल्लत बनी हुई है। इसका असर सीमेंट की कीमतों पर पड़ा है और बाजार में सीमेंट के दाम 350 रुपये प्रति बोरी तक पहुंच गए हैं। साथ ही सीमेंट कंपनियों का उत्पादन भी काफी कम हो गया है। आने वाले दिनों में भी इसका असर बाजार में पड़ेगा।

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