पुलिस द्वारा गाडी रोकने पर अधिकारी आनन-फानन में कागज़ तैयार कराकर पुलिस को दिखाते है और गाड़ी छुड़ाकर ले जाते है
गाडिय़ों में शराब की पेटियों को स्कैन करके सप्लाई नहीं किया जा रहा
आबकारी विभाग के कुछ अधिकारियों को छुटभैय्ये नेताओं का मिल रहा संरक्षण
नकली शराब की तस्करी के पीछे है बहुत बड़ी वजह पुलिस इसकी जांच करे
आबकारी नीति के अनुसार सप्लाई हो रहे माल के साथ डिलिवरी चालान और एक्साइज पर्ची वेयर हाउस की होना अनिवार्य
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। स्मार्ट सिटी रायपुर में नशे का अवैध कारोबार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। मार्च महीने के आखिरी दिनों में होली का त्यौहार आने वाला है इस लिए शराब भटिटयों में अवैध रूप से पार्ट-2 की शराब लाई जा रही है। रायपुर में अब होली में बिक्री के लिए जमा किए जा रहे स्टॉक में ही पार्ट 2 यानि नकली शराब हर शराब भट्टी तक पहुंच रही है। आबकारी अधिकारी भी इन पार्ट-2 की शराबों के नकली परमिट कागजात बनवा लेते है और अगर कही गाडिय़ों को रोका जाता है तो अधिकारी 1 घंटा समय लेकर आते है और पुलिस को नकली कागजात दिखाकर वहा से पकड़ी गई ट्रक को छुड़ा ले जाते है। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो ये है कि जिस गाड़ी में शराब आता है उस गाडी के चालक के पास परमिट कागज़ ही नहीं होता। अगर पुलिस या मीडिया कर्मी उस गाड़ी को रुकवाते है तो वाहन चालक अपने अधिकारियों से बातचीत कर कुछ समय बाद अधिकारी नकली कागज़ लाकर पुलिस को दिखा देते है और शराब की गाडिय़ों को छोड़ दिया जाता है। अवैध शराब माफियाओं के खिलाफ आबकारी अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते है।
कैसे होती है शराब की सप्लाई? : शराब के व्यापार से जुड़े एक शख्स ने बताया कि बोतलें, ढक्कन, रैपर, सील, सब कुछ नकली बनाई जाती है। शराब इसमें भरी जाती है और फिर गावों में सस्ते दामों में बेच दी जाती है। कई बार ठेकों पर काम करने वाले सेल्समैन लालच में बेच देते हैं, कई बार परचून और चाय आदि की दुकानों पर शराब को बेच दिया जाता है। सील वाले ढक्कन और रैपर आदि को देख कर किसी को शराब के नकली होने का शक नहीं होता।
कहां होता है नकली शराब का कारोबार : विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शराब यूपी और एमपी बॉर्डर से छत्तीसगढ़ तक लाया जाता है। नकली शराब बनाने का भी सारा काम यही अच्छा-खासा फल-फूल रहा है। शराब की गाड़ी बिना परमिट के ही शहर में आती है और शहर भर के बड़े-बड़े व्हेयर हॉउस में जाकर अनलोड होती है। पुलिस भी ऐसे लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। पुलिस का मानना है कि नकली शराब बनाने का यह धंधा किसी एक व्यक्ति का नहीं हो सकता। इसलिए पुलिस छानबीन में जुटी है। इस तरह से शराब का बनाया जाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। कई बार जमीन के नीचे दबे बर्तन में सांप, छिपकली या अन्य कोई जीव गिर जाता है ऐसे में ये शराब जानलेवा हो जाती है।
कैसे बनाई जाती है नकली शराब?: नकली शराब के खेल को समझने के लिए जनता से रिश्ता के संवाददाता ने आबकारी और पुलिस के लोगों से बातें की। पता चला कि नकली शराब माफिया गन्ने का रस, गुड़ जैसे पदार्थों को एक बर्तन में बंद करके 15 से 20 दिनों के लिए जमीन के नीचे दबा देते है। इसके बाद जब बर्तन को बाहर निकाला जाता है तो भट्टी पर चढ़ा दिया जाता है। इस बर्तन का मुंह अच्छे से बंद किया जाता है, एक पाइप के जरिए भाप बाहर निकलती है जो द्रव्य के रूप में टपकती है। ये द्रव्य शराब होता है। इसको कच्ची शराब कहा जाता है शराब को जब जमीन से निकाल कर भट्टी पर चढ़ाया जाता है, तब इससे बेहद तेज गंध निकलती है जो कई इलाकों में फैल जाती है। ये गंध आसानी से अवैध शराब के कारोबारियों को पकड़वा सकती है। इसलिए अवैध शराब बनाने वाले सुनसान इलाकों को अपने काम के लिए चुनते हैं. जंगल, बीहड़ और खादर के इलाके इस काम के लिए पनाहगार बनते हैं।
असली पव्वा 85 और नकली पव्वा 80 का : अवैध देशी शराब बनाने वाले ग्राहकों को लुभाने के लिए बाजार से पांच रुपये सस्ते दाम पर नकली देशी शराब बेचते है। बाजार में देशी शराब के पव्वे की कीमत 85 रुपये है लेकिन नकली शराब माफिया के लोग हूबहू असली जैसी दिखने वाली नकली शराब को पव्वे में भरकर 80 रुपये में बेचते है। इस वजह से उसके पास शराब लेने के लिए काफी लोग पहुंचते है।
अवैध शराब बनाने वालों की सिस्टम में पहुंच?: पुलिस का ऐसा मानना है कि अवैध शराब बनाने वालों की सिस्टम में भी पहुंच है, पुलिस विभाग में इन लोगों की पहुंच को कोई नहीं नकारता। जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो आबकारी और पुलिस एक दूसरे पर दोष लगाते हैं, सरकार ट्रांसफर और निलंबन की कार्रवाई करती है लेकिन फिर थोड़े दिनों के बाद जहरीली शराब के मामले सामने आते ही है। शराब की बिक्री पर ना तो रोक लगा है और ना ही लगेगा।
शराब की तस्करी के नए तरीके : अवैध शराब की फैक्ट्री में किसी भी शराब को कबाड़ी से खरीदे गए मंहगे शराब की बोतलों में भरा जाता है और उसमें सोडा मिलाया जाता है। स्वाद में एकरूपता लाने के लिए ब्रांडेड महंगी शराब की थोड़ी मात्रा भी बोतल में डाली जाती है। बोतल में डुप्लीकेट शराब तैयार कर उसका रैपर बदला जाता है और उसे सील कर उस पर छत्तीसगढ़ सरकार का लोगो चिपका कर उसकी तस्करी की जाती है।
पुलिस ने मारा छापा, लाखों की शराब जब्त
बिलासपुर/रायपुर। जिले के तखतपुर से लगे ग्राम तर्किडीह में पुलिस ने छापामार कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में लाखों का शराब बरामद किया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने यह कार्यवाही सुबह 4 बजे की है। मिली जानकारी के अनुसार जरहागांव थाना अंतर्गत ग्राम तर्किडीह से काफी समय से अवैध शराब निकालने की शिकायत मिल रही थी। मुखबिर से सूचना मिली कि परदेसी बंजारा प्रतिदिन बड़ी मात्रा में शराब बनाता है और महुआ शराब को आसपास के क्षेत्र में बेचता है। इस आधार पर डीएसपी साधना सिंह ने सुबह 4 बजे ही अपने स्टाफ के साथ ग्राम तर्किडीह पहुंची। इसके बाद पुलिस की टीम ने परदेशी बंजारा उम्र 55 वर्ष के घर पर छापा मारा। 50 से भी अधिक प्लास्टिक सर्जरी केन में 1600 लीटर महुआ शराब और लगभग 200 लीटर इस से बनी अवैध शराब जब्त की गई। बरामद की गई शराब की कीमत लगभग एक लाख बताई जा रही है।
खमतराई में अवैध शराब का गोदाम, हटाए गए थानेदार पुंढीर
खमतराई उरकुरा में अवैध शराब का गोदाम मिलने के बाद एसएसपी अजय यादव ने टीआई संजय पुंढीर को हटाकर लाइन भेज दिया है। उनकी जगह तेलीबांधा टीआई विनीत दुबे को जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि टीआई पुंढीर का हटना पहले से तय माना जा रहा था। कांग्रेसी नेता के भतीजे के गायब होने और उसकी लाश मिलने के मामले में लापरवाही को लेकर टीआई पुंढीर पहले ही निशाने पर थे। उन्हें हटाने के लिए कांग्रेस के कई नेता अड़े हुए थे। यहां तक कि मुख्यमंत्री से भी उनकी शिकायत की गई थी। उसी समय से उन्हें हटाने की चर्चा थी। अब अवैध शराब का गोदाम मिलने के 24 घंटे के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया। हालांकि एसएसपी ने पिछले दिनों थानेदारों की बैठक लेकर उन्हें अवैध शराब की बिक्री को लेकर स्पष्ट चेतावनी दी थी। थानेदारों से कहा गया था कि अवैध शराब मिलने पर सीधे टीआई के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके पहले डीजीपी डीएम अवस्थी अवैध शराब की तस्करी का खुलासा होने पर शहर के एक थानेदार को हटा चुके हैं। इस बार एसएसपी ने कार्रवाई कर दी। खमतराई थानेदार को हटाने के साथ ही शहर के कुछ और टीआई को बदला गया है। मारवाही उप-चुनाव से लौटे टीआई सोनल ग्वाला को तेलीबांधा और गिरीश तिवारी को कबीर नगर थाने की जिम्मेदारी दी गई। सिलियारी चौकी प्रभारी डीडी कोसले को हटाकर एसआई अरविंद तेली को नया प्रभारी बनाया गया है। कबीर नगर टीआई लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल को भी लाइन भेज दिया गया है। अलग-अलग शहरों से तबादला में आए कुछ सीनियर टीआई है पिछले एक महीने से लाइन में है। उनकी पोस्टिंग बाकी है। चर्चा है कि अब एक ही थाने में डेढ़ साल से जमे टीआई को हटाया जाएगा।