छत्तीसगढ़

ओडिशा से नशीली टेबलेट की सप्लाई

Nilmani Pal
22 Oct 2022 5:41 AM GMT
ओडिशा से नशीली टेबलेट की सप्लाई
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पुलिस ने 6000 टेबलेट के साथ सप्लायर को पकड़ा

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रतिबंधित नशीली टेबलेट के साथ आरोपित प्रतीक तांडी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपित के पास से छह हजार नग प्रतिबंधित नशीली टेबलेट जब्त की गई है। वह ओडिशा से नशीली टेबलेट लेकर आता था। इसके बाद शहर में अलग-अलग जगहों पर सप्लाई करता था। डीडी नगर का जोगी बंगला नशीली टेबलेट का मुख्य केंद्र बन गया है। डीडी नगर ने चार बड़ी कार्रवाई की है। अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक डीसी पटेल ने कहा कि- नशे के खिलाफ लगातार अभियान जारी रहेगा। आरोपी काफी दिनों से काम कर रहा था। इन्हें ओडिशा से लाकर रायपुर में बेचने का काम करता था। सूचना पर गिरफ्तारी की गई। जल्द ही ओडिशा के तस्कारों को पकड़ा जाएगा।

रायपुर पुलिस लगातार प्रतिबंधित नशीली टेबलेट के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है। छोटे-छोटे सप्लायरों के साथ अब बड़े तस्करों को पकड़ रही है। पिछली पांच बड़ी कार्रवाई में 10 आरोपियों को पकड़ा गया है। इसमें मध्यप्रदेश जबलपुर से फर्म संचालक को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसी क्रम में पलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। आरोपी प्रतीक तांडी ओडिशा से जिनसे नशीली टेबलेट लेकर आता था, अब पुलिस ने उनकी जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। जल्द ही बड़े तस्करों को गिरफ्तार करने की तैयार में टीम जुट गई है।

आरोपी काफी लंबे समय से कर रहा था काम

पिछले दिनों पकड़े गए आरोपियों के पास से पुलिस को कई अहम जानकारी हाथ लगी। जिसके बाद पुलिस के सामने प्रतीक का नाम आया। प्रतीक काफी लंबे समय से ओडिशा से लाकर रायपुर में टेबलेट की सप्लाई कर रहा था। पुलिस ने रंगे हाथ पकडऩे की योजना बनाई और उसे गिरफ्तार किया। आरोपित बाइक से ओडिशा जाता था और वहां तस्करों से आसानी से मुलाकात सामान लाता था व शहर में आकर बेचता था।

15 दिन में 10 आरोपी पकड़ाए

नशे के काले कारोबार पर पुलिस ने लगातार कार्रवाई करते हुए विगत 15 दिन में थाना आजाद चौक के प्रकरण में सात आरोपित, थाना मंदिर हसौद के प्रकरण में एक आरोपित एवं थाना टिकरापारा के प्रकरण में एक आरोपी व डीडी नगर के अपराध में एक आरोपित को पकड़ा गया है। इस प्रकार कुल 10 आरोपितों को गिरफ्तार कर कुल 2,60,000 नग प्रतिबंधित नशीली टेबलेट जब्त की गई है।

छग में बढ़ रहा नशीली दवा का कारोबार

छत्तीसगढ़ में तेजी से विकसित होता नशीली दवा का कारोबार चिंता का विषय है। हाल के दिनों में नशीली दवा पर जो कार्रवाई हो पाई है उससे पता चलता है कि यहां देश के कई शहरों से नशे में प्रयोग होने वाली दवाओं की सप्लाई हो रही है। छत्तीसगढ़ से सात राज्यों की सीमा लगती है। इसके कई लाभ हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। ओडिशा से बस्तर व रायपुर के रास्ते उत्तर भारत तक गांजा की सप्लाई का मार्ग विकसित हो चुका है। इधर निकटस्थ राज्यों से आने वाली नशीली टेबलेट और सीरप का नशा यहां के युवाओं को बरबादी के मार्ग पर ले जा रहा है। नशीली दवाओं के गोरखधंधे में कई मेडिकल स्टोर्स संचालक व कंपनियों के मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव शामिल हैं। रायपुर पुलिस ने बुधवार को जबलपुर के एक मेडिकल कारोबारी सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से भारी मात्रा में नशीली टेबलेट जब्त की गई है। यह अत्यंत चिंतनीय कि नशीली दवाओं का उपयोग बच्चे भी कर रहे हैं।

सहज व आसानी से उपलब्ध इन दवाओं का दूरगामी परिणाम अत्यंत भयावह होता है। ये दवाएं तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालती हैं। मनोवैज्ञानिक पहलू यह भी है कि नशे की गिरफ्त में फंसे युवा अपराध की ओर प्रेरित होते हैं। निश्चित रूप से इससे कानून व्यवस्था के लिए भी चुनौती उत्पन्न् हो रही है। विडंबना है कि राजधानी ही नहीं प्रदेश के अन्य शहरों में भी नशीली दवा का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। भारत सरकार की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में एक करोड़ सात लाख लोग नशीली दवाओं के आदी हैं।

नशा करने वालों में 12 प्रतिशत 15 वर्ष से कम आयु के हैं। यह विचारणीय है कि नशीली दवाओं के कारोबार पर पूर्ण अंकुश लगाने की कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। पड़ोसी राज्यों से चल रहे दवा के रैकेट को तोडऩे के लिए आवश्यक है कि दवा सप्लायरों को गिरफ्त में लिया जाए। स्थानीय दवा विक्रेताओं की धरपकड़ से इस खतरनाक धंधे को नहीं रोका जा सकता है। तस्करों के लिए नशीली दवाओं का कारोबार चार गुना लाभ प्रदान करने वाला है। इससे स्पष्ट है कि जब तक बाहर से सप्लाई मिलती रहेगी कारोबार चलता रहेगा। जबलपुर में नर्मदा फार्मा के संचालक को रायपुर पुलिस ने प्रतिबंधित दवा स्पासमो, अल्प्राजोलम की सप्लाई के प्रकरण में पकड़ा है। उसने स्वीकार किया कि इस दवा को बेचने में बहुत लाभ है।

ओडिशा व बिहार से भी यहां नशीली दवा आ रही है। वहां के तस्करों को भी पुलिस ने पकड़ा है। पुलिस की जाल में अब तक छोटी मछलियां ही फंसी हैं। नशीली दवा के निर्माताओं को भी पकड़ा जाना चाहिए। नशीली दवा की रोकथाम के लिए सामाजिक चेतना की आश्यकता है। पालकों का भी उत्तरदायित्व है कि वह बच्चों की बदलती अभिरूचि या उनके व्यवहार पर ध्यान रखें। समाज को नशे के चुंगल से निकालने के लिए व्यापक पहल की आवश्यकता है। दवा की तस्करी रोकना पुलिस का उत्तरदायित्व है परंतु इसके उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए सामाजिक प्रयास किया जाना अनिवार्य है। सामूहिक प्रयास से ही इस चुनौती से निपटा जा सकता है।

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