किसानों के प्रति सरकार की रवैया उजागर
रायपुर (जसेरि)। पूर्व कृषि मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू और कृषि मंत्री रवींद्र चौबे के गृह जिले दुर्ग के ग्राम मातरोडीह (मचांदुर) के युवा किसान दुर्गेश निषाद के आत्महत्या करने पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि दुर्गेश निषाद की आत्महत्या प्रदेश सरकार के माथे पर कलंक का टीका है। अगर तीन-तीन बार कीटनाशक दवाएं डालने के बाद भी प्रदेश के किसान अपनी फसल को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं तो यह प्रदेश सरकार कब एक्शन में आएगी? दुर्गेश निषाद का सुसाइडल नोट प्रदेश के किसानों की वेदना का वह आइना है, जिसमें प्रदेश सरकार अपने वीभत्स सियासी अक़्स को देखने का साहस जुटाए। बृजमोहन ने कहा है कि किसानों के नाम पर राजनीति और झूठे वादे करके सत्ता में आने के बाद से ही प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने कदम-कदम पर किसान विरोधी चरित्र का परिचय दिया है। उसी का यह परिणाम है कि प्रदेश में अब किसान आत्महत्या करने जैसा कदम उठाने को विवश हो रहे हैं। दुर्ग जिले के 34 वर्षीय किसान की आत्महत्या ने प्रदेश सरकार और उसके समूचे तंत्र के खोखलेपन को जगजाहिर कर दिया है। अग्रवाल ने कहा है कि जो सरकार अपने प्रदेश के किसानों के आत्मसम्मान और उनकी खेती संबंधी जरूरतों का ध्यान तक नहीं रखकर उन्हें आत्मघात के लिए विवश कर दे, वह सरकार सत्ता में एक पल भी रहने की अधिकारी नहीं हो सकती। इस घटना के बाद मंत्रियों की आमदरफ़्त के बावजूद इस पूरे मामले की लीपापोती की तमाम कोशिशों में प्रदेश सरकार नाकाम रहेगी। पूर्व मंत्री अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि जबसे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है, किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
भाजपा इस खरीफ सत्र की शुरुआत से ही किसानों को साथ हो रही धोखाधड़ी पर प्रदेश सरकार का ध्यान खींचती रही, लेकिन किसानों के प्रति बेपरवाह प्रदेश सरकार घटिया बीज वितरण, रासायनिक खाद की कालाबाजारी और नकली कीटनाशक दवाओं की दुकानदारी करने वालों को ही संरक्षण देने में और कमीशनखोरी की काली कमाई में ही मशगूल रही। प्रदेश के किसान पहले घटिया बीज के अंकुरित नहीं होने से परेशान रहे, फिर उन्हें रासायनिक खाद की जमाखोरी व कालाबाजारी ने सड़क पर उतरने को विवश किया और फिर नकली कीटनाशक दवाओं की दुकानदारी ने किसानों के पूरे अर्थतंत्र को ही इस कदर चौपट कर दिया कि अब प्रदेश के किसान हताश-निराश हैं।