मनरेगा के तहत सुधनराम ने अपने खेत में कुंए का निर्माण कराकर नए सिरे से खेती-किसानी की शुरूआत की। वह परम्परागत खेती के बजाय अपने 2-3 एकड़ कृषि भूमि में बरबट्टी, पालक, मूली, गोभी, प्याज, टमाटर, आलू इत्यादि की खेती प्रारंभ कर दिया। सिंचाई की उपलब्धता से अच्छी पैदावार हुई। आमदनी में इजाफा हुआ और परिवार को आर्थिक संबल मिला। सब्जी-भाजी की खेती से शुरूआती दौर में 20 से 22 हजार रूपये की आमदनी हुई। जिससे उनका उत्साह बढ़ा। सुधनराम ने कुएं से दोहरी फसल लेना प्रारंभ किया। एक फसल धान का लेने के बाद सब्जी की खेती से उन्हें अतिरिक्त आय होने लगी है।
सुधन के घर में खुशियों की दस्तक उस समय हुई, जब उन्हें मालूम हुआ कि महात्मा गांधी नरेगा से सिंचाई के लिए कुंआ निर्माण कराया जा सकता है। उसने ग्राम पंचायत जा कर इस संबंध में सभी जानकारी लेकर अपने नाम से कुंआ स्वीकृति से आवेदन प्रस्तुत किया। कुंआ निर्माण होने से न केवल पानी की वर्षभर उपलब्धता सुनिश्चित हुई अपितु रोजगार और जीविकोपार्जन के सुलभ अवसर भी प्राप्त हुआ। इस संबंध में सुधन राम का कहना है कि महात्मा गांधी नरेगा ने उसके जीवन को आधार प्रदान किया है। कुंआ निर्माण से जहॉ साल भर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हुई वही जीवन-यापन का बेहतर अवसर उपलब्ध हुआ है।