छत्तीसगढ़
पिछले 21 वर्षों में क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में हजारों मरीजों का सफल उपचार
Shantanu Roy
3 Feb 2023 4:21 PM GMT
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छग
रायपुर। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एवं डाॅ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में शनिवार 4 फरवरी विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर कैंसर को लेकर आमजनों को जागरूक करने के उद्देश्य से चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों के लिए प्रातः 6.30 बजे से मरीन ड्राइव से क्षेत्रीय कैंसर संस्थान, चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर तक मैराथन प्रतियोगिता कैनेथान 2023 का आयोजन किया जा रहा है। कैंसर के विरूद्ध जागरूकता अभियान के तहत चित्रकला प्रतियोगिता, कैंसर सर्वाइवर सम्मान, पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र वितरण कार्यक्रम का आयोजन प्रातः 11 बजे से किया जाएगा। इसमें अब तक विभाग में उपचार प्राप्त करके स्वस्थ हुए 100 मरीजों का सम्मान किया जाएगा। जिसमे 2साल के बच्चे से लेकर 80साल के बुजुर्ग शामिल होंगे। सम्मान प्राप्त करने राज्य के दक्षिण भाग बस्तर से उत्तर भाग जशपुर तक के मरीज आ रहे है।
कुछ मरीज पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा से आने वाले है, जिन्होंने रायपुर के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में अपना इलाज करवाया है। अम्बेडकर अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ तथा अन्य कर्मचारियों ने भी अपने कैंसर का इलाज क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में प्राथमिकता से कराया है। ऐसे 10 कर्मचारियों का भी सम्मान किया जाएगा। साथ ही बाल मरीजों द्वारा विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी। कार्यक्रम में विभाग में कार्यरत डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी इन सभी को कैंसर मरीजों के इलाज में योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा। साथ ही विभाग में कार्यरत पी.जी. छात्रों को भी उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा।
क्षेत्रीय कैंसर संस्थान रायपुर में अत्याधुनिक उपचार सुविधा के साथ विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम है। कोरोना काल में भी इस विभाग ने कैंसर मरीजों की लगातार सेवाएं की। पिछले 21 वर्षों में क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में हजारों कैंसर मरीजों का सफल उपचार हुआ है। क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में उच्चतम तकनीक की 2 लीनियर एक्सीलेटर मशीन, ब्रेकीथेरपी मशीन, सीटी स्कैन मशीन तथा कोबाल्ट मशीन उपलब्ध है। इस साल कैंसर दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 30 जनवरी 2023 से 3 फरवरी 2023 तक कैंसर स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया। महासमुंद, राजनांदगांव एवं कांकेर मेडिकल काॅलेज के साथ-साथ रायपुर के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में स्क्रीनिंग कैंप किया गया जिससे सैकड़ों मरीज लाभान्वित हुए। कैंसर को मात देने की कुछ प्रेरणादायक एवं वास्तविक कहानियां जो विपरीत परिस्थितियों में भी जीने का हौसला देती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर को हरा कर बनने वाली है मां, जल्द गूंजेगी नन्हे की किलकारी
2014 में शादी के तीन माह बाद जब अनिता (परिवर्तित नाम) को गर्भवती होने का पता चला तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अगले महीने की जांच में उसने महिला डॉक्टर से स्तन में हुई गठान के बारे में पूछा। जब गठान की बायोप्सी हुई तो पता चला कि उसे कैंसर है और तुरंत इलाज करने के लिए गर्भ का अर्बाशन करवाने की नौबत आ गई। सारी खुशियां उदासी में बदल गई। किसी परिचित की सलाह पर अम्बेडकर अस्पताल स्थित कैंसर विभाग में दिखाया तो सर्जन ने ऑपरेशन कर स्तन निकालने की सलाह दी।
चिकित्सकों की सलाह पर सबसे पहले गर्भ का अर्बाशन करवा के स्तन की सर्जरी करवाई गयी। कीमोथेरेपी से इलाज प्रारभ हुआ जिसमें आने वाली सभी तकलीफों को डाॅ. एस. के. आजाद (विभाग के रिटायर्ड सीनियर डाॅक्टर) ने तुरंत इलाज कर हर स्तर पर उनका मनोबल बढ़ाया। रेडियेशन और हार्माेनथेरेपी इलाज के बाद भी वह लगातार हर महीने फाॅलोअप के लिए आती रही। इसी बीच कैंसर विभाग की डाॅ. मजुला बेक से बातचीत कर उसने मां बनने की इच्छा जाहिर की।
तब डॉक्टर मंजुला ने स्त्री रोग विभाग में बातचीत कर 2020 से अनीता का इलाज शुरू करवाया। 4 फरवरी 2023 को कैंसर सर्वाइवर सम्मान समारोह में आकर वह अपनी कहानी सुनाने की इच्छा पूरी नहीं कर पायीं क्योंकि बहुत खुशी की बात है कि वह गर्भवती है। और इसी सप्ताह वह अपने बच्चे को जन्म देने वाली हैं। अनिता की कैंसर के साथ लड़ाई जहां दुखद रूप से शुरू हुई थी, वहीं उस दुख का अब सुखद अंत होने वाला है क्योंकि उसके घर में इसी हफ्ते नन्हें की किलकारियां गूंजने वाली है।
पेंशनर के लिए उम्मीद की किरण बन गया, क्षेत्रीय कैंसर संस्थान
2012 में 70 साल के रिटायर्ड बंटी केशरवानी (परिवर्तित नाम) को जब फेफड़ों के कैंसर की रिपोर्ट मिली तो वो हताश हो गये। उन्हें जैसे ही पता चला कि पेंशनरों का क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में मुफ्त इलाज होता है और यहां इलाज की उच्चतम तकनीक की मशीन उपलब्ध है, तो उन्होंने समय गंवाए बिना ही संचालक क्षेत्रीय कैंसर संस्थान डाॅ. विवेक चौधरी से परामर्श लिया। डाॅ. चौधरी ने बीमारी की गंभीरता को देखते हुए कीमीथेरेपी और रेडियेशन से उपचार प्रारंभ किया।
इलाज के बाद वह आज पूर्णतः स्वस्थ है। और पूरे कोरोनाकाल में जब स्वस्थ लोगों को फेफड़ों से संबंधित बीमारी कोरोना ने परेशान किया तब केशरवानी कैंसर विभाग के चिकित्सकों के संपर्क में लगातार रहे। वह इस बात से बहुत खुश है कि उन्होंने सरकारी अस्पताल में अपना इलाज करवाया और अपने स्वस्थ होने का श्रेय पूरे कैंसर विभाग के चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, मेडिकल स्टूडेंट और अन्य कर्मचारियों को देते हैं। छोटी उम्र में हुआ ब्रेन ट्यूमर, पढ़ाई छूटी, इलाज के बाद 10 वीं प्री बोर्ड की परीक्षा में हो रहे शामिल।
अगले सप्ताह शंकर (परिवर्तित नाम) की 10वीं कक्षा की प्री बोर्ड परीक्षा है। फिर भी कैंसर दिवस के अवसर पर होने वाले सर्वावाइवर सम्मान समारोह में वो अपनी मां के साथ शामिल होने जा रहा है। उसकी मां का कहना है- इससे अच्छा अवसर कब मिलता क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के चिकित्सकों का शुक्रिया अदा करने का। अगस्त 2015 मे जब शंकर को लगातार सिरदर्द की शिकायत हुई तो परिवार में सभी ने उसे उसके पापा के आकस्मिक निधन से जोड़कर देखा। पर जब उसे लगातार चक्कर आने लगे तो उन्होंने तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लिया और जब जांच में पता चला कि उसे ब्रेन ट्यूमर है, तो मां के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
शंकर के पापा को गुजरे अभी 6 महीने ही हुए थे और ये नया संकट सामने खड़ा हो गया। न्यूरो सर्जन को दिखाने पर उन्होंने ही कहा कि इसकी सर्जरी करना जरूरी है। परंतु गठान ब्रेन के जिस नाजुक हिस्से में था, उसके चलते उसके जिंदगीभर विकलांग होने की संभावना है। हालांकि जान बच सकती है। उसी वक्त किसी परिचित ने चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान जाकर सेकंड ओपिनियन लेने की सलाह दीं।
यहां पर बच्चों के कैंसर विशेषज्ञ डाॅ. प्रदीप चंद्राकर ने बिना सर्जरी किए रेडियोथेरेपी से इलाज कराने की सलाह दी। शंकर की मां पूरे विश्वास के साथ अपनी सहमति देकर सिर्फ रेडियोथेरेपी से इलाज कराने का निर्णय लिया। डाॅ. प्रदीप चंद्राकर ने सटीक रेडियेशन नियोजन कर 2014-15 के बीच शंकर की सिंकाई से इलाज किया और तब कक्षा 5वीं में पढ़ने वाला शंकर आज स्वस्थ है और 10वीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहा है। इस बीच शंकर की मां को उसके पापा की जगह अनुकंपा नियुक्ति भी मिल गयी है। शंकर को पापा की कमी तो हमेशा रहेगी पर मां अनिता सिंह अब अपने दोनों बेटों के साथ खुशी-खुशी जीवन यापन कर रही है।
निराशा में डूब चुके परिवार में जगाई आशा की किरण
कांकेर निवासी 12 साल की नमिता (परिवर्तित नाम) के कान के निचले हिस्से में जब सूजन हुई तो रायपुर के नाक कान गला रोग विशेषज्ञ को दिखाया। जब दवा खाने के बाद भी सूजन कम नहीं हुई तो बायोप्सी कराई। बायोप्सी के निगेटिव रिपोर्ट देखकर छाई खुशी कुछ ही दिनों में गायब हुई। अंततः सर्जन की सलाह पर ऑपरेशन कराया तो अन्य, रिपोर्ट के लिए दिल्ली भेजा। जब उसमें कैंसर की पुष्टि हुई तो परिवार को यकीन ही नहीं हुआ। उन्होंने तुरंत मुंबई टाटा मेमोरियल हाॅस्पिटल जाकर दिखाया। दिल्ली से टुकड़ा मंगवाकर उसकी फिर से जांच करवाई क्योंकि परिवार को यकीन ही नहीं हो रहा था की लाडली बिटिया को कैंसर हो गया है।
कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की सलाह टाटा मेमोरियल के चिकित्सकों ने दी और यह भी बताया कि रायपुर के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में इलाज की उच्चतम तकनीक की मशीन और प्रशिक्षित चिकित्सक है, वहीं से इलाज कराएॅं। रायपुर में क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के बच्चों की कैंसर विशेषज्ञ डाॅ. मंजुला बेक के संवेदनशील व्यवहार को देखकर परिवार ने यही इलाज कराने का फैसला किया। कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट से होने वाले हर परेशानी के निराकरण के लिए डाॅ. मंजुला ने सक्रियता से सहायता की और अपनी देखरेख में रेडिएशन भी पूरा करवाया। आज नमिता कम्युटर साइंस के अंतिम वर्ष की छात्रा है और भिलाई में पीजी में रहकर अपनी पढ़ाई कर रही है। परिवार के अनुसार आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो यह पूरा सपने सा लगता है। बच्ची की कैंसर पॉजिटिव रिपोर्ट देखकर निराशा में डूब चुके परिवार आज सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से प्राप्त इलाज के कारण संतुष्टि से जीवन जी रहा है।
बेहतर इलाज की उम्मीद लिये, मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ का रूख किया
2009 में मध्यप्रदेश के सागर निवासी पी. आर. अथिया (परिवर्तित नाम) की जांच पश्चात् प्रोस्टेट कैंसर की पुष्टि हुई। उनके दामाद पुलिस विभाग में अधिकारी थे। उन्होंने रायपुर के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में उच्चतम तकनीक और अनुभवी प्रशिक्षित डॉक्टर होने की जानकारी मिलते ही अपने श्वसुर को यहां आने की सलाह दी। बेटी के घर जाकर इलाज करने में संकोच महसूस करने वाले अथिया ने अपने रिश्तेदारों से सलाह मशवरा किया। अथिया जी तुरंत ही अपना मन बनाकर रायपुर अपना इलाज कराने आए। कीमोथेरेपी, रेडिएशन और हार्मोन थेरेपी के इलाज के बाद वो पूर्णतः स्वस्थ है और अभी भी हर दो-तीन माह में आकर अपना फॉलोअप करवाते हैं। डाॅ. विवेक चौधरी के अनुभव एवं इलाज और दवाइयों की मदद से तथा बेटी-दामाद के प्यार पूर्ण व्यवहार से वो आज 75 से अधिक आयु में भी पूर्णतः स्वस्थ हैं।
हौसले के दम पर मात दे रहीं हैं कैंसर को
2016 में 35 साल की गुलशन खातून(परिवर्तित नाम) को जब बच्चेदानी में कैंसर की पुष्टि हुई तो बहुत डर एवं संकोच से वो रायपुर के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में इलाज कराने आई परंतु डाॅ. राजीव रतन जैन एवं अन्य डॉक्टरों ने हौसला अफजाई की और बातचीत में जब उन्हें सभी चिकित्सकीय पहलुओं के बारे में बताया तो उनके स्नेहपूर्ण व्यवहार से उनका डर दूर हुआ। लीनियर एक्सीलेटर मशीन से 25 सिंकाई और ब्रेकीथेरेपी से 3 सिंकाई होने के पश्चात् वह पूर्णत: स्वस्थ है और हर तीन माह में फॉलोअप हेतु आ रही हैं।
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