छत्तीसगढ़

सफलता की कहानी: अमृत सरोवर से हो रही है पानी की खेती

Shantanu Roy
13 March 2023 3:02 PM GMT
सफलता की कहानी: अमृत सरोवर से हो रही है पानी की खेती
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छग
गरियाबंद। किसी गांव में अमृत सरोवर होने से उस गांव के अच्छे दिन लौट आना आखिर कैसे संभव है। कोई एक तालाब कैसे किसी की दशा और दिशा को बदल पाने में समर्थ हो सकता हैं। लेकिन यह हुआ है जिले के गरियाबंद विकासखंड के ग्राम बिन्द्रानवागढ़ में, जहां अमृत सरोवर से हो रही है पानी की खेती। गांव के ग्रामीण इस तालाब की चर्चा ऐसे उत्साह से करते हैं, कि जैसे गांव के किसी को कोई उपलब्धि हासिल हुई हो। तालाब दिखाते हुए वे कहते कि पहले बस इत्ता सा रह गया था यह तालाब और इसका पानी। पानी इतना गंदा हो गया था, कि हवा के चलने पर इसकी बदबू दूर तक महसूस होती थी। पर अभी देखिए कितना सुंदर है यह तालाब और इसका पानी। तालाब के संबंध में विस्तार से बताते हुए यहां की सरपंच लक्ष्मीबाई ध्रुव कहती है, कि हम सोच भी नहीं सकते थे, कि एक तालाब गांव की दशा और दिशा को बदल सकता है। सरपंच के तौर पर मैं तालाब की दशा को लेकर काफी चिंतित थी। बस एक ही ख्याल रहता था, कि किसी भी तरह से इस तालाब को फिर से पुनर्जीवित तो करना ही है। यहां के 646 पंजीकृत परिवार जिसकी जनसंख्या लगभग 1471 है।
इस गांव में पानी की काफी समस्या भी थी। दूरस्थ अंचल व वन क्षेत्र में होने के कारण निस्तारी के लिए पानी की कमी की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने आगे बताया कि तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए ग्राम पंचायत ने ग्रामीणों की बैठक आयोजित की। यहां सभी के बीच काफी चर्चा हुई। धीरे-धीरे बात बनने और बढऩे लगी। आखिरकार यह तय हुआ कि पानी की समस्या को दूर करने के लिए तालाब का गहरीकरण किया जाए और इसके पाटों को बांधने के लिए पीचिंग का कार्य भी करवाया जाएं। इसके लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से राशि की व्यवस्था की गई। ग्रामवासियों के निर्णय पर ग्राम पंचायत ने एक प्रस्ताव तैयार किया और विधिवत अनुमोदन प्राप्त कर, आठ लाख चवालिस हजार रुपए की लागत से तालाब गहरीकरण की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त की। इसमें महात्मा गांधी नरेगा से सात लाख चवालिस हजार रुपए और 15वें वित्त योजना से 1 लाख रुपएं का अभिसरण शामिल है। इस तरह अमृत सरोवर के लिए संसाधनों की व्यवस्था के बाद 15 जून 2022 को तालाब गहरीकरण की शुरुआत हुई। ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं की भागीदारी और मेहनत से तालाब का आकार खुलने लगा व गहरीकरण भी हुआ। इस कार्य से जहां ग्रामीणों को सीधे रोजगार के अवसर प्राप्त हुए, वहीं गांव को जल संरक्षण का साधन भी उपलब्ध हो गया है।
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