छत्तीसगढ़

success story: गैस में खाना बनाने से स्वच्छ और धुंआ रहित वातावरण में पढ़ रहे आंगनबाड़ी के बच्चे

Nilmani Pal
14 Jun 2024 9:01 AM GMT
success story: गैस में खाना बनाने से स्वच्छ और धुंआ रहित वातावरण में पढ़ रहे आंगनबाड़ी के बच्चे
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महासमुंद mahasamund news। जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में भीषण गर्मी में भी बच्चे आनंद और २ाकून के साथ पढ़ रहे है। एक ओर सुखद वातावरण मिलने से जहां बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है वहीं कूलर और पंखे की व्यवस्था से आंगनबाड़ी केन्द्रों में भीषण गर्मी से निजात मिली है। कलेक्टर प्रभात मलिक की पहल से जिले के सभी 1789 आंगनबाड़ी केन्द्रों में २ात प्रतिशत विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया गया है। यहां सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में कूलर और पंखे की व्यवस्था की गई है। इनकी व्यवस्था से बच्चों की उपस्थिति में सुधार देखा जा रहा है। वहीं सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में धुंआ से मुक्ति के लिए गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराया गया है। जहां बच्चों को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिल रहा है। इस व्यवस्था से आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों के पालक भी खुश नजर आ रहे हैं। महासमुंद के सुशील सैम्युअल वार्ड Sushil Samuel Ward में संचालित आंगनबाड़ी में पढ़ने वाली सिद्धी देवार की मां लिलिमा देवार ने कहा कि इस साल आंगनबाड़ी में कूलर के लगने से हमारे बच्चे नियमित रूप से आंगनबाड़ी जा रहे हैं। पिछले वर्ष गर्मी में वे आंगनबाड़ी जाने से आनाकानी करती थी। लेकिन इस वर्ष वे खुशी-खुशी आंगनबाड़ी जाती है। इसी तरह नयापारा वार्ड नम्बर 11 स्थित आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले सौरभ धीवर के पिता श्री विष्णु धीवर ने बताया कि इस वर्ष गर्मी थोड़ा अधिक पड़ने से हम लोग चिंतित थे लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्र में इस वर्ष कूलर लगने से बच्चों को लू लगने की आशंका नहीं रहती। इसलिए हम लोग निश्चिंत होकर बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र नियमित तौर पर भेज रहे है।

chhattisgarh news ज्ञात है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति, स्वास्थ्य और पोषण के लिए २ासन द्वारा विभिन्न प्रयास किए जा रहे है। कुपोषण को सामुदायिक आधारित प्रबंधन के माध्यम से निजात पाने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य और पोषण के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य और मितानिनों का नियमित बैठक लेकर विस्तृत समीक्षा की जाती है। बच्चों को पौष्टिकता से भरपूर गर्म भोजन दिया जाता है। सुपोषण अभियान के तहत मोरिंगा और रागी से निर्मित चिकीबार भी दिया जाता है। इसके अलावा बच्चों को पूरक पोषण आहार के रूप में रेडी-टू-ईट भी दिया जाता है। महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी श्री समीर पांडेय ने बताया कि इस वर्ष एनीमिया से पीड़ित 400 किशोरी बालिकाओं को सामान्य स्थिति में लाया गया है। जिले में 2023-24 में मनरेगा अभिसरण से कुल 46 नवीन आंगनबाड़ी का निर्माण स्वीकृत किया गया है। अभी जिले में अब स्वयं के भवन में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रां की संख्या 1699 हो गई है। इस वर्ष 91 नए केन्द्र बनाए गए हैं। वहीं कुपोषित बच्चों के लिए पिथौरा में पोषण पुनर्वास केन्द्र भी प्रारम्भ किए गए हैं।

Anganwadi Worker उल्लेखनीय है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं के लिए जन्मपूर्व और प्रसवपूर्व देखभाल सुनिश्चित करते हैं और नवजात शिशुओं और शिशुवती माताओं के लिए निदान और देखभाल करते हैं। 0 से 6 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के टीकाकरण का प्रबंध करते हैं। महिलाओं और बच्चों के लिए नियमित स्वास्थ्य और चिकित्सा जाँच की निगरानी उनकी मुख्य जिम्मेदारियों में से एक है।

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