कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में जुटेंगे 15 हजार नेता
नई दिल्ली (ए/नेट डेस्क) कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवेशन पहली बार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होने जा रहा हैं। आजादी के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ को कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन की मेजबानी मिली है। इस लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस भी पूरी तैयारियों के साथ जुट गई है। कांग्रेस आलाकमान ने भी इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आयोजन और स्वागत समिति की घोषणा कर दी है। इस स्वागत समिति में प्रदेश के 114 नेताओं का शामिल किया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम इसके अध्यक्ष बनाए गए हैं जबकि सीएम को समिति का सह अध्यक्ष नियुक्ति किया गया है। जबकि आदिवासी मुद्दों को लेकर सरकार से अलग सुर रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को इस समिति का हिस्सा बनाया गया है। अतिथियों के आने-जाने की जिम्मेदारी वन एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर, रुकने-ठहरने की व्यवस्था मंत्री शिवकुमार डहरिया और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामगोपाल संभालेंगे। यह समिति कांग्रेस हाई कमान ने खुद तय की है, ताकि तमाम आयोजनों की निगरानी की जा सके।
राष्ट्रीय अधिवेशन 24 से 26 फरवरी तक रायपुर में : इसके अलावा आयोजन समिति का अध्यक्ष पवन कुमार बंसल को बनाया गया है। तारिक अनवर इसके संयोजक होंगे। वहीं कांग्रेस स्टीयरिंग कमेटी के सभी 47 नेता इसके सदस्य होंगे। इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, एके एंटनी, आनंद शर्मा, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला भी शामिल हैं। आयोजन समिति में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी विशेष आमंत्रित के तौर पर शामिल किया गया है।
दरअसल, कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन 24 से 26 फरवरी तक रायपुर में होगा। इस तीन दिवसीय महाधिवेशन के दौरान देश के मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक स्थिति की समीक्षा की जाएगी। साथ ही इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले नये विचारों पर चर्चा की जाएगी। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत छह अन्य राज्यों में विधानसभा का चुनाव भी 2023 में होने वाला है। इस आयोजन के लिए नवा रायपुर के मेला स्थल को चुना गया है। यह वही जगह है जहां पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौर में राज्योत्सव का आयोजन होता रहा है। इस जगह पर अधिवेशन के लिए टेंट पर पूरा शहर बसाया जा रहा है। वहीं मुख्य मंच की भी साज-सज्जा जारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दो बार तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। पूरा प्रदेश संगठन इसकी तैयारियों में लगा है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कुमार शैलजा भी यहा तैयारियों का जायजा ले चुकी हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस आयोजन को पहले ही एतिहासिक मौका बता चुके हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शुक्रवार को दो समितियों के गठन का आदेश जारी किया। इसमें स्वागत समिति में केवल छत्तीसगढ़ के 114 नेताओं का नाम है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री के साथ पूरा मंत्रिमंडल, सभी सांसदों, प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों और प्रमुख नेताओं का नाम शामिल किया गया है। इस अधिवेशन मे देशभर के करीब 15 हजार नेताओं के छत्तीसगढ़ पहुंचने की उम्मीद है। इन नेताओं की मेहमान नवाजी के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने खाने, पीने ठहरने, ट्रांसपोर्ट अन्य व्यवस्थाओं के लिए छह हजार कार्यकर्ताओं को तैनात करेगी।
विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए अधिवेशन अहम
आगामी लोकसभा और इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर ये अधिवेशन अहम माना जा रहा है। सबसे पहले तो जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले है, उनमें दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। पार्टी इन दोनों राज्यों में वापसी के अलावा बाकी राज्यों में कांग्रेस की स्थिति को बेहतर करने की रणनीति पर बैठक में चर्चा कर सकती है। उत्तर प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस पार्टी में महिलाओं को अधिकांश सीटों पर उतारने जैसा फैसला किया था, इसी तरह कांग्रेस अधिवेशन में नई रणनीति पर फैसला ले सकती है। इसके अलावा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की रणनीति क्या होगी इस पर भी इस अधिवेशन में चर्चा हो सकती है।
मजदूर विरोधी है भाजपा, सोशल मीडिया में लिखा 'अमृतकाल का मृत बजट': भूपेश
रायपुर। इस सप्ताह आये केंद्रीय बजट पर विपक्ष का हमला अब भी जारी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बजट प्रावधानों और नीतियों पर लगातार हमलावर हैं। शनिवार को उन्होंने मनरेगा-महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के बजट में कटौती पर तीखी प्रतिक्रिया दी। मुख्यमंत्री ने इस कटौती को भाजपा का मजदूर विरोधी चरित्र बताया। उनका कहना था, भाजपा गरीबों का निवाला छीनकर पूंजीपतियों को देती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार दोपहर अपने सोशल मीडिया एकाउंट से एक पोस्ट डाली। लिखा - जब कोरोना के रूप में मानवता पर बड़ा संकट आया तब मनरेगा जैसी योजना मज़दूरों का संबल बनी, उनकी रीढ़ बनी। इस बार मनरेगा का बजट 89, 400 करोड़ रुपए से घटाकर 60, 000 करोड़ रुपया कर दिया गया। यह भाजपा का मज़दूर विरोधी चरित्र है, जो गरीबों के मुंह से निवाला छीनकर पूंजीपतियों को देते हैं। एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने केंद्रीय बजट को अमृतकाल का मृत बजट बताया था। उन्होंने लिखा- अमृत बजट को समझने के लिए कुछ तथ्य आपके साथ साझा कर रहा हूं। यह केंद्रीय बजट 2023-24 किसान, मजदूर, निम्न वर्ग के लिए सिर्फ निराशा का एक और बूस्टर डोज है। बजट वाले दिन छत्तीसगढ़ के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था, यह निर्मला जी का निर्मम बजट कहा जा सकता है।
न इसमें युवाओं के लिए कोई सुविधा है, न किसानों की आय दोगुना करने की बात है, न महिलाओं के लिए है और न ही ट्राइब्स के लिए है। न शेड्यूल ट्राइब्स के लिए कुछ है। कहा जाए तो यह बजट केवल चुनाव को देखकर बनाया गया है। इसमें किसी को कोई सहूलियत नहीं दी गई है। सीएम ने आगे कहा एक चीज चौंकाने वाला है। रेलवे के लिए दो लाख 45 हजार करोड़ रुपए बजट में रखा गया है।
क्या यह कर्मचारियों के लिए है? नई भर्ती के लिए है ? ऐसा तो नहीं है कि जैसे एयरपोर्ट को बेचने से पहले सैकड़ों-हजारों करोड़ रूपए उसके नवीनीकरण में लगाया और फिर निजी हाथों में बेच दिया। इसी प्रकार की सोच तो नहीं है कि केंद्र सरकार की कि रेलवे को भी चकाचक कर निजी क्षेत्र को बेच दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा था, इस बजट से छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से निराशा मिली है।