छत्तीसगढ़

तूफां तो इस शहर में अक्सर आता है, देखें अबके किसका नंबर आता है

Nilmani Pal
2 Sep 2022 5:58 AM GMT
तूफां तो इस शहर में अक्सर आता है, देखें अबके किसका नंबर आता है
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

छत्तीसगढ़ वैसे भी पूरे देश का राजनीतिक बवंडर के केंद्र बना हुआ है। सीएम भूपेश बघेल ने अपने राजनीतिक दक्षता से सरकार चलाते हुए ऐसी-ऐसी योजना चला रहे जिसकी सारे देश में प्रशंसा हो रही है, वहीं स्थानीय विपक्ष सरकार के खिलाफ कुछ ज्यादा नहीं कर पा रहा है। भाजपा के नए अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष अपनी मर्जी से भी भूपेश के खिलाफ कुछ नहीं कर पा रहे है। उन्हें दिल्ली से जो लिखा हुआ मिलता है, उसे ही तोतावाणी कर रहे हैं। अब झारखंड में लाभ के पद को लेकर सीएम हेमंत सोरेन के घिरने के बाद भाजपा की कुदृष्टि से बचाने छत्तीसगढ़ में झारखंड के विधायकों को लाया गया है। विपक्ष की सरकारों को भाजपा फूट डाल कर सत्ता परिवर्तन करने हार्स ट्रेंिडंग के खेल में पारंगत हो चुकी है। जिस तरह एमपी के बाद महाराष्ट्र में खेला किया, उसे रोकने झमुमो ने सारे विधायकों को सुरक्षित ठिकाना में भेज दिया है। छत्तीसगढ़ में तो हार्स टे्रडिंग दूर-दूर तक संभव नहीं है क्योंकि यहां तो 70 और 15 का खेल है। यदि गलती से 30-40 होते तो कब का दौड़ लगा देते। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ भाजपाई तो खुद अपनी जमीन तलाशते फिर रहे है ऐसे में सारे भाजपाई नेता अपनी बुलंदियों को मजबूत करने में जुटे हुए है। यह बवंडर तो झारखंड का है जिसे भाजपा भुनाने के लिए हाथ पैर मार रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा को पहले 15 से 30 करने की कवायद करनी चाहिए फिर बवंडर में कूदना चाहिए। क्या मतलब एक संसदीय सचिव की बात जबरदस्ती सच हो जाए। मशहूर शायर राहत इंदौरी साहब का यह शेर ताजा राजनीतिक हालात में सटिक बैठ रहा है- तूफां तो इस शहर में अक्सर आता है, देखें अबके किसका नंबर आता है।

हिमाचल में भी गूंज रहा है, भूपेश है तो भरोसा है

हिमाचल प्रदेश में नवम्बर के अंत तक विधानसभा चुनाव होने है। जिसको लेकर हिमाचल प्रदेश के तमाम राजनैतिक दल सक्रियता से जनता को लुभाने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ रहें है। हिमाचल कांग्रेस ने 10 गारंटियों के साथ चुनावी ताल ठोक दी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री एवं विधानसभा चुनाव के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भूपेश बघेल ने शिमला से गारंटियों को लांच किया। इसी के साथ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है।भूपेश बघेल जानते है कि भाजपा से कैसे जीतना है। 15 साल पुराने भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने में जो ताकत सीएम भूपेश ने लगाया वही ताकत हिमाचल में लगा रहे है। परन्तु यहाँ की राजनीति अन्य राज्यों के मुकाबलें बिल्कुल अलग ही रही है। चुनावी सर्वे हो या एग्जिट पोल यहाँ के चुनावी नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया है। हिमाचल प्रदेश 12 जिले है, जिनमें इस साल में 68 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने है। वर्तमान में यहाँ भाजपा की सरकार है। वर्ष 2017 के विस चुनाव में भाजपा ने 68 में विधानसभा सीटों में से 44 और बहुमत सीटों पर कब्जा जमाया था और जयराम ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाई थी। हिमाचल प्रदेश में सत्ता पर कांग्रेस और बीजेपी ही काबिज रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि छत्तीसगढ़ के बाद हिमाचल में भूपेश की गर्जना और मेहनत भाजपाइयों सहित अन्य दलों को पानी मांगने मजबूर कर दी है। हिमाचल में भी गूंज रहा है भूपेश है तो भरोसा है। कका जिंदा हे। कांग्रेस ल हिमाचल में जिंदा करही ।

अन्ना के भाजपाई सुर

पिछले दिनों अन्ना हजारे ने अपने चेले अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा कि वे भी सत्ता के मद में होश खो बैठे हंै। जिस आंदोलन से आप पार्टी का उदय झाड़ू के साथ हुआ उसका मतलब ही सत्ताधारी आप के नेता निकाल रहे हैं। जिस तरह दिल्ली में शराबबंदी नीति को लेकर मनी लांड्रिंग हुई उस पर अरविंद केजरीवाल सरकार बुरी तरह घिर गई है। भाजपा और आप के बीच चल रहे घमासान में अन्ना हजारे की इंट्री पर जनता में खुसुर-फुसुर है कि काश अन्ना हजारे जी केजरीवाल को चिट्ठी लिखने के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी बेतहाशा मूल्य वृद्धि और हिन्दू-मुस्लिम राजनीति पर पत्र लिखते तो बात कुछ और होती । इस चिट्ठी को लोग भाजपाई प्रवक्ता का बोल समझ रहे है। किसी ने ठीक ही कहा है कि रोटी हो या सत्ता हमेशा पलटते रहना चाहिए, रोटी न पलटने से जल जाती है और सत्ता अहंकारी हो जाती है। बदलाव ही विकास की जननी है।

कांग्रेस से पलायन के मायने

एक बार पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश को कांग्रेस मुक्त भारत बना दिया जाएगा। वहीं केसीआर भी इस अभियान को कमजोर करने के पीछे लगे है, वो देश को भाजपा और महंगाई मुक्त करने में लगे हुए हंै। केसीआर और भाजपा में चारा डाल चारों तरफ राज कर की रणनीति पर काम चल रहा है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इसी तरह कांग्रेस से पलायन होते रहा तो कांग्रेस के सारे गुलाम नवी आजाद हो जाएंगे और मोदी जी की बात सच साबित हो जाएगी। क्या कांग्रेस भी यही चाहती है कि सारे गुलाम नवी आजाद हो जाए और कांग्रेस पीएम मोदी के श्राप से मुक्त नहीं हो सके। कांग्रेस को चाहिए कि जनता पार्टी की तरह 1975 जिस तरह कांग्रेस के खिलाफ सारे विपक्षी दल एक हो गए थे, वैसे ही भाजपा के खिलाफ सारे विपक्षी दलों को मिलाकर भाजपा के खिलाफ एकजुट हो जाना चाहिए जिससे भाजपा को संयुक्त विपक्ष की ताकत का अंदाजा हो जाए।

हड़तालियों को सीएम का ऑफर

सरकारी कर्मचारियों को शासन ने ऑफर है कि वे 2 सितंबर तक काम पर लौट आते है तो उनको हड़ताल समय अवधि का पूरा वेतन दिया जाएगा। और उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करेगी। हड़ताल की अवधि को अवकाश माना जाएगा। उनके काम पर लौटने पर सुरक्षा की भी गारंटी दी जाएगी। शासन के पास शिकायत आई है कि अभी जो अफसर कर्मचारी लौटने की कोशिश कर रहे है उन्हें दफ्तर में घुसने नहीं दिया जाएगा। वहीं सरकार ने एक और मुद्दा हड़तालियों को दे दिया है। आईएएस, आईपीएस, आईएसएफ अधिकारियों का गृह भाड़ा भत्ता बढ़ाने का आदेश जारी किया है। अब उन्हें 9 से बढ़ाकर 19 प्रतिशत तक बढ़ा हुआ एचआरए मिलेगा। वहीं हड़तालियों को सिर्फ आश्वासन ही मिला है, 6 प्रतिशत महंगाई भत्ता तो सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है, मांग सिर्फ 12 प्रतिशत का है। ऐसे में खुन्नस बढऩे लगा है। शायद सरकार के ऑफर को भी ठुकरा सकते है या फिर चुनावी साल को देखते हुए सरकार उन्हें मनाने के प्रयास में कोई बड़ा निर्णय भी ले सकती है। जो कर्मचारियों को लिए फायदेमंद हो सकता है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सरकार और कर्मचारियों की लीला अपरम्पार है। दोनों ही एक दूसरे की दुखती रग को समझते है और समझ रहे है। कौन किसको क्या बना रहा है ये तो ये दोनों ही जान सकता है कोई तीसरा इनकी बात को समझ नहीं सकता है। क्योंकि ये दोनों ही चलाते है सरकार।

हिन्दू-अमेरिकन की पहचान बना रहे इंडियन

अमेरिका में रहने वाले भारतीय खुद को सियासी तौर पर मजबूत करने के लिए कवायद कर रहे है। वहां रह रहे भारतीयों का मानना है कि अमेरिका में उनका जितना राजनीतिक प्रभाव होना चाहिए उस अनुपात में नहीं है। इसलिए भारतीय समुदाय़ खुद की रि-ब्रांंिडंग करने अगले महीने कैपिटल हिल में एक बड़ा आयोजन करने जा रही है। कैपिटल हिल में होने वाले समागम में एक दर्जन हिन्दी संगठन शामिल होंगे। कैलिफोर्निया, टेक्सास, न्यायर्क, फ्लोरिडा, जार्जिया में हिन्दू संगठन सक्रिय है। इस कार्यक्रम में उन्ही संगठनों को बुलाया गया है जो धार्मिक पहचान रखते है। ये संगठन प्रांतीय चुनाव में भारी भरकम चंदा भी देते है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये बात भारतीय राजनीति से जुड़े संगठनों को अच्छी तरह मालूम है कि अमेरिका में रहने वाले भारतीय भारत की राजनीतिक पार्टियों को भी चंदा देने में पीछे नहीं है। इसलिए तो चुनाव के पहले नेता अमेरिका दौरा कर लेना ही चाहते है ताकि फंडिंग का मामला मजबूत हो जाए।

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