छत्तीसगढ़

विधायकों का स्टिंग, फर्जी न्यूज वेब पोर्टल पर रोक जरूरी

Nilmani Pal
27 Oct 2021 5:28 AM GMT
विधायकों का स्टिंग, फर्जी न्यूज वेब पोर्टल पर रोक जरूरी
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  1. पत्रकार, कारोबारी, बिल्डर, अपराधी, छुटभैय्ये नेता न्यूज पोर्टल की आड़ में कर रहे उल्लू सीधा
  2. पूरे प्रदेश में गिरोह सक्रिय, व्लैकमेलिंग और अवैध वसूली का चल रहा धंधा

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। पत्रकारों को अपने विचारों व अभिव्यक्ति को व्यक्त करने के लिए एक नया क्रान्तिकारी मंच मिला। जिसे आज हम न्यूज पोर्टल के नाम से जानते है। दुनिया भर में न्यूज पोर्टल की शुरुआत बड़ी तेजी से हुई न्यूज पोर्टल्स की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए कई पुराने अख़बार व टीवी चैनलों ने भी अपना-अपना वेब पोर्टल चैनल शुरू किया । लेकिन जहाँ एक ओर न्यूज पोर्टल से पत्रकारिता में एक नई क्रांति आ रही है वही दूसरी ओर मीडिया के इस माध्यम को कुछ लोग अपने निहित स्वार्थ को पूरा करने का हथियार बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं। जिन्हें पत्रकारिता या लोक हित से कोई सरोकार नहीं होता वो वेबपोर्टल की आड़ में अवैध गतिविधियां, कारोबार संचालित करने के साथ ही ब्लैकमेलिंग और वसूली में लिप्त हैं। ऐसे ही तथाकथित पत्रकारों की वजह से वेबपोर्टल पर सवाल उठते हैं।

इंटरनेट बना फर्जी पत्रकारों का हथियार

इंटरनेट और डिजिटल के जमाने में न्यूज वेबपोर्टल सोशल मीडिया की ही तरह तेजी से प्रचलन में आ रहा है। लोग टीवी पर न्यूज चैनल देखने और अखबार पढऩे की जगह न्यूज पोर्टल और वेबसाइट के माध्यम से मोबाइल पर खबरों का अपडेट लेना पसंद कर रहे हैं। लेकिन इसका बुरा पहलू भी सामने आ रहा है कि कोई भी 10-12 हजार में वेबसाइट बनवा कर न्यूज पोर्टल संचालित करने लगा है। न्यूज पोर्टल चलाने के लिए कोई मापदंड और पात्रता नहीें होने के कारण न्यूज पोर्टलों की बाढ़ आ गई है। पत्रकार तो पत्रकार, कारोबारी, बिल्डर के साथ अपराधी और छुटभैय्ये नेता भी न्यूज पोर्टल की आड़ में अपना उल्लू सीधा करने लगे हैं।

पत्रकारिता की आड़ में अवैध गतिविधि

न्यूज़ पोर्टल की आड़ में अपराधी, छुटभैय्ये नेता, असामाजिक गतिविधि वाले लोग अपने काले कारोबार को चला रहे है। सरकार में बैठे लोगों के नज़दीकी और संबंधों का फायदा उठा रहे है। छुटभैय्ये नेता, अवैध कारोबारियों, यहां तक बिल्डर और इंडस्ट्रलिस्ट के लिए भी यह धंधा फायदे का साबित हो रहा है। वेबपोर्टल शुरू कर पत्रकार का टैग लगाकर आसानी से अधिकारियों को धौंस दिखाकर सरकारी विज्ञापन हासिल करना, उगाही करना आसान हो गया है। वही सोशल मीडिया पर मज़ाक बनाकर रख दिया है। जिधर देखो उधर वेब मीडिया की आवश्यकता है। जिले में रिपोर्टर, कैमरामैन तो मोबाइल से ही रिपोर्टिंग करना जानते है। पत्रकारिता को आज के समय में न्यूज़ वेबपोर्टलों द्वारा मज़ाक बनाया जा रहा है। कुछ गुंडे-दादा लोग भी अपने सगे-संबंधों के नाम से फर्जी वेबपोर्टल का डोमिन खरीद कर रजिस्ट्रेशन करवा लेते है। और दो चार रिपोर्टर और कैमरामैन रखकर खुद को पत्रकार घोषित करते है।

फर्जी न्यूज पोर्टल का मतलब ही अवैध वसूली

न्यूज पोर्टल ब्लेकमेलिंग, वसूली यहां तक की लोगों की निजता और व्यक्तिगत जिंदगी में दखलदांजी का प्लेटफार्म बनते जा रहा है। सोशल मीडिया पर किसी के खिलाफ अपमान जनक पोस्ट करने पर संबंधित प्लेटफार्म के साथ पुलिस का साइबर सेल भी शिकायत दर्ज कर कार्रवाई करता हैं लेकिन न्यूज वेबपोर्टल पर ऐसे कंटेट और पोस्ट पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती। शिकायत तक दर्ज नहीं की जाती है, इससे न्यूज पोर्टल संचालित करने वाले बेखौफ होकर किसी को भी अपमानित और बदनाम कर ब्लेकमेल करते हैं।

पत्रकारिता हो रही कलंकित

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। व्यवस्थागत कमियों को दूर करने की पहल के साथ समाज और लोकहित में शोषितों-वंचितों और पीडि़तों के लिए आवाज उठाना पत्रकारिता का धर्म है, लेकिन आज पत्रकारिता का स्वरूप बदल गया है। मीडिया भी पूरी तरह से व्यवसायिक हो गई है। लोग इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत फायदे के लिए करने लगे हैं। पत्रकार भी अब पत्रकार नहीं रहा। स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले जहां अखबार, न्यूज पोर्टल की आड़ में आर्थिक लाभ के रास्ते तलाशते रहते हैं वहीं बड़े-बड़े बैनर्स, अखबार और न्यूज चैनल से संबद्ध पत्रकारों को संस्थानों ने पत्रकार की जगह समाचार संकलन और लाइजनर बना दिया है। जिन्हें ये विशेषज्ञता हासिल नहीं है उनकी पत्रकारिता ही संकट में है। अब न्यूज पोर्टलों को माध्यम बनाकर कोई भी आदमी पत्रकारिता के आड़ में व्यवसाय के साथ ब्लेमेलिंग और धौंस दिखाकर वसूली जैसा कृत्य कर रहे हैं।

वेबपोर्टल की जांच जरूरी

सरकार का संबंधित विभाग राज्य में संचालित न्यूज वेबपोर्टल को हर साल इम्पैनलमेंट कर न्यूज वेबपोर्टल को सूचीबद्ध कर विज्ञापन की सुविधा देती है। इसी के लालच में कोई भी न्यूज वेबपोर्टल बनाकर अनाधिकृत लाभ लेने में जुटे हैं। इसमें सबसे ज्यादा ऐसे लोग शामिल हैं जो सरकार में शामिल नुमाइंदों और राजनीति से जुड़े लोगों के करीबी हैं जो इनके रिकमेंड पर संबंधित विभाग से विज्ञापन हासिल करते हैं। इतना ही नहीं विभागीय अधिकारी और मंत्रियों से निकटता रखने वाले लोग भी अपने लोगों को वेबसाइट बनवाकर उपकृत करवा रहे हैं। ऐसे ही न्यूज पोर्टल के संचालक अवैध तरीके से लाभ लेने के राजनीतिक दलों और नेताओं के प्रलोभन में लोगों की छवि खराब करने जैसे कृत्य करते हैं। विभाग को ऐसे न्यूज पोर्टलों की सख्ती से जांच कर ही उन्हें सूची में शामिल कर सरकारी विज्ञापन आदि सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। अवैध कंटेंट प्रसारित कर लोगों को बदनाम करने अथवा झूठी खबर प्रसारित करने वाले न्यूज वेबपोर्टल को ब्लैकलिस्ट कर कार्रवाई की जानी चाहिए।

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