छत्तीसगढ़

भगवान भरोसे चल रहा प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल

Nilmani Pal
13 Jun 2023 5:44 AM GMT
भगवान भरोसे चल रहा प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल
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न इलाज हो प रहा समय पर, न खाना मिल रहा डाइट के अनुसार

कैंसर विभाग 18 करोड़ की पेट मशीन धूल खाने छोड़ दिया

अंबेडकर मे संसाधनों का अभाव

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई । अंबेडकर अस्पताल का बेहाल अन्य हॉस्पिटलों में डीकेएस में 13 ओटी मॉडलर है जबकि अंबेडकर में एक भी नहीं, फिर भी डॉक्टरों ने अभी तक कोई मांग नहीं किया, हालांकि हाल के दिनों में 6 ओटी मॉडूलर का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है ऐसी जानकारी मिली है। आलम तो यह है कि किसी भी विभाग के जिम्मेदार पदाधिकारी या नियुक्त अधिकारी अपने विभाग को ही देखने तक ही सीमित रह जाते है। नतीजन अब व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और सभी प्रकार के मरीज के लिए कष्टदायक और दं झेलने लायक हो गया है । अंबेडकर अस्पताल लगातार छत्तीसगढ़ के अखबारों की सुर्खियों बन रहता है । अंबेडकर अस्पताल कैंसर के मरीज परेशान है । बच्चों का विभाग बदहाली में है। मरीजों के खानपान की सुविधा भी ठेकेदारों के भरोसे चल रही है । गंदा और सड़ा हुआ खाना हर अनाप-शनाप कुछ भी परोसा जा रहा है । हार्ट- बीपी-शुगर कैंसर के मरीजों को एक ही प्रकार का खाना परोसा जा रहा है। अंबेडकर हॉस्पिटल की जर्जर व्यवस्था पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने किसी प्रकार का संज्ञान लेकर अभी तक कड़ाई से कार्रवाई नहीं करने पर आम जनता आश्चर्य चकित है। अंबेडकर अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल है जहां बड़े से बड़े रोग को इलाज हो सकता है। लेकिन अफसरशाही के चलते सिर्फ कमीशन और अपने चहेतों को उपकृत करने का खेल चल रहा है।

डीकेएस में 13 ओटी मॉड्यूलर, अंबेडकर में एक भी नहीं

अंबेडकर अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में दीवार छेदने वाली ड्रिल मशीन के उपयोग और बेहोशी का हाईटेक सिस्टम ठप होने के खुलासे से स्वास्थ्य विभाग में खासी खलबली मची है। सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के सचिव पी. दयानंद ने इस बारे में रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने सवाल पूछा है कि ओटी में और कौन-कौन से उपकरण व मशीनें बंद हैं? इस पूरे घटनाक्रम के बीच अंबेडकर अस्पताल के 6 ऑपरेशन थियेटर को मॉड्यूलर बनाने की फाइल फिर खुल गई है। ओटी मॉड्यूलर होंगे, तभी सुधरेगा सिस्टम।

नई मशीनें और उपकरण लगेंगे लेकिन डॉक्टर प्रस्ताव ही बनाकर नहीं दे रहे। जबकि विशेषज्ञों का कहना है ओटी मॉड्यूलर होंगे तो बेहोश करने का वर्क स्टेशन हाईटेक हो जाएगा। हड्डी में छेद करने के लिए ड्रिल मशीन भी ऑटोमेटिक होगी।

वर्क स्टेशन नया लगेगा

मॉड्लूर ओटी में हवा पूरी तरह से प्योर होकर आती है। एयर कंडीशन सिस्टम ऐसा लगा रहता है कि हवा क्लीन करने के बाद ही ओटी में दाखिल होती है। इससे हवा के जरिये किसी भी तरह का इंफेक्शन ओटी में नहीं पहुंचता। इसके फ्लोर में ऐसा मटेरियल उपयोग होगा जिससे करंट नहीं फैलता। दीवारों के ऊपर स्टील की एक परत च?ाई जाती है। उसके ऊपर ऐसा कलर लगाया जाता है जिसमें बैक्टीरियल इंफेक्शन और फंगल का खतरा नहीं रहता। मॉड्यूलर ओटी में सारी मशीनें और उपकरण आधुनिक होते हैं। दीवार में कहीं भी छेद नहीं किया जाता। उपकरणों को रखने वाली प्लेट्स हैंगिंग सिस्टम में छत पर लगे एंगल में अटैच रहती है।पूरा सिस्टम इतना हाईटेक रहता है कि सर्जन को ऑपरेशन के दौरान किसी तरह की तकनीकी दिक्कत नहीं आती।

करीब डेढ़ माह पहले चिकित्सा शिक्षा संचालक की जिम्मेदारी मिलने पर आईएएस नम्रता गांधी ने अस्पताल का निरीक्षण किया था। उन्होंने ओटी कांप्लेक्स के निरीक्षण के दौरान हैरानी जाहिर की थी कि यहां एक भी ऑपरेशन थियेटर को मॉड्यूलर नहीं किया गया है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रशासन से कहा था कि सभी विभागों से प्रस्ताव मंगवाया जाए कि उन्हें मॉड्यूलर ओटी के लिए क्या-क्या जरूरी चीजें चाहिए, लेकिन एक भी विभाग से प्रस्ताव नहीं बनाकर दिया गया। करीब एक साल पहले भी ओटी को मॉड्यूलर बनाने का प्रस्ताव शासन स्तर से भेजा गया था। उस समय भी नेत्र विभाग को छोडक़र किसी भी विभाग के डाक्टरों ने प्रस्ताव नहीं दिया। इस वजह से शासन से भेजा गया प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। अस्पताल अधीक्षक डा. एसबीएस नेता का कहना है कि मॉड्यूलर ओटी का प्रस्ताव दोबारा तैयार किया जा रहा है। प्रारंभिक चरण में छह ओटी को मॉड्यूलर करेंगे।

एक ओटी को मॉड्यूलर बनाने में 60 लाख से ज्यादा खर्च आएगा। नई मशीनें और उपकरण लगाने के साथ ही ओटी के भीतरी हिस्से का पूरा सिस्टम ही बदल जाएगा। अस्पताल प्रशासन के अफसरों ने अनुमानित खर्च का आंकलन कर लिया है। उसी के बाद प्रारंभिक चरण में ओटी कॉप्लेक्स में जहां 6 ऑपरेशन थियेटर एक साथ है वहां पहले मॉड्यूलर ओटी बनाया जाएगा।

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