जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में नशे का कारोबार तो खुलेआम चल ही रहा है। मगर वही दूसरी तरफ स्पा सेंटरों में देह व्यापार का काला कारोबार चलने लगा है। शहर और बाकि जगहों में जिश्मफरोशी का धंधा तेजी से फ़ैल रहा है। बहुत ही सामान्य डिस्प्ले बोर्ड के साथ ये स्पा सेंटर यानि मसाज पार्लर वैसे नहीं होते जैसा ये बाहर से दिखाई देते है। अंदर की दुनिया के बारे अंदाजा लगाना तो दूर कोई ये सोच भी नहीं सकता कि बॉडी मसाज देने के नाम पर इन स्पा सेंटरों में जिश्मफरोशी का धंधा चलता है। सेक्स पैकेज का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, छत्तीसगढ़ के कई शहरों में ये ट्रेंड काफी सालों से बना हुआ है। अपनी परेशानी को दूर करने के लिए बड़े घराने के लोगों ने एक स्थान चुना था जो कि अब अलग ही रुख ले रहा है। थकान मिटाने के लिए चर्चित स्पा सेंटर अब देह व्यापार का रूप लेते जा रहा है। कई ऐसे स्पा सेंटरों में मसाज की आड़ में सेक्स के आलावा और अवैध कारोबार को भी अंजाम दिया जा रहा है।
विदेशों से बुलवाई जाती है कॉलगर्ल
थाईलैंड व बाकि विदेशी शहरों में स्पा एक थैरेपी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। स्पा और मसाज की बारीकियों को वहां की युवतियां बेहतर ढंग से समझती है इसलिए उनकी मांग ज्यादा रहती है। छत्तीसगढ में ये विदेशी युवतियां टुरिस्ट या बिजऩेस वीज़ा पर आती है पिछले कुछ सालों से इनकी संख्या बढ़ गयी है। लोगो के डिमांड पर विदेशों से लड़कियां बुलवाई जाती है जिनका एक दिन का चार्ज 5 हज़ार से 20 हज़ार तक भी होता है। मसाज और स्पा के नाम पर रायपुर के पांच सितारा होटल और घरों में जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा है।
धंधे के लिए होता सोशल मीडिया का इस्तेमाल
जिश्मफरोशी के लिए आजकल सोशल साइट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। सोशल मीडिया सेक्स रैकेट का सबसे आसान और बड़ा जरिया बन चूका है। देह व्यापार से जुड़े दलाल फेसबुक, एव्हाटसअप, इंस्टाग्राम, ट्विटर सहित कई सोशल साइट्स का इस्तेमाल कर रहे है। ये दलाल इसमें ग्राहकों को लड़कियों की फोटो और रेट शेयर करते है और उसके बाद ग्राहकों को स्पा सेंटर या किसी और ठिकाने पर बुला लेते है।
कैसे बदला जिस्मफरोशी का ट्रेंड
राजधानी के हर छोटे-बड़े होटलों से लेकर जिस्मफरोशी का धंधा अब बदनाम गलियों से निकल कर पॉश इलाकों और आलीशान बाजारों तक पहुंच चुका है। पुलिस की आंख में धूल झोकने के लिए इस धंधे के दलालों ने अपना तरीका हाईटेक कर लिया है। कुछ साल पहले तक धंधेबाज आर्केस्ट्रा और म्यू?जिकल ग्रुप की आड़ लेते थे या फिर मॉडलिंग एजेंसी, पांच सितारा होटलों में सर्विस देकर अथवा पॉश इलाकों की कोठियों से लड़कियों को जिस्मफरोशी के लिए भेजते थे। लेकिन ये सभी तरीके जब पुलिस की नजर में चढ़ गए तो धंधेबाजों ने स्पा और बॉडी मसाज को अपने धंधे की आड़ बना लिया।
नशे में दवा का उपयोग और होती जिस्मफरोशी
राजधानी में नशे के रूप में बेहोशी की दवा केटमाइन का उपयोग किया जाने लगा है। अभी तक खांसी की दवा या नींद की दवा का इस्तेमाल ही नशे के रूप में किया जाता था, लेकिन अब केटमाइन का प्रयोग नशा करने वाले युवाओं के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है। विश्वनीय सूत्रों ने बताया कि केटमाइन के काफी कम लोग ही इसका उपयोग नशे के लिए कर रहे है। आमतौर पर इसके पाउडर या टैबलेट का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है। केटमाइन देश के बड़े शहरों में मुंबई, दिल्ली, कोलकाता में तो पहले ही पांव पसार चुका है. अब यह छत्तीसगढ़ में भी उपयोग में लाया जाने लगा है। केटमाइन पार्टी ड्रग के रूप में प्रचलित है, खास बात यह है कि यह अस्पताल या नर्सिंग होम में उपयोग में लाने के लिए दिया जाता है। चूंकि यह दवा आम लोगों के लिए प्रतिबंधित है, इसलिए इसकी चोरी-छिपे बिक्री की जाती है और मुंहमांगी कीमत वसूली जाती है।
जिस्मफरोशी का धंधा बना नशे का भी व्यापार
रायपुर क्षेत्र में अब जिस्मफरोशी का धंधा पैर पसारता जा रहा है। ऐसा भी नहीं है कि इस धंधे में युवा पीढ़ी ही लिप्त है बल्कि अधेड़ भी इससे अछूते नहीं हैं। ये आजकल क्लब में सोशल मीडिया के विज्ञापन देकर युवाओं को अपने जाल में फंसाते हैं। इसी दोस्ती की आड़ में जिस्मफरोशी का धंधा पनप रहा है। ये सभी क्लब लगभग एक ही तरह से कार्य करते है। अपने मोबाइल नंबर अखबार में प्रकाशित कर लोगों को दोस्ती करने के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिसमें महिलाओं को नि:शुल्क सदस्यता प्रदान की जाती है और पुरुषों की सदस्यता के लिए शुल्क मांगा जाता है। इस शुल्क के बदले एक से लेकर पांच लड़कियों और महिलाओं के फोन नंबर दिए जाते है, जिनसे वह व्यक्ति दोस्ती कर सकता है।