थानों को सेट कर चलाते हैं धंधा, मीडिया में खबर से होती है परेशानी
सवाल यह है कि संवाददाता का मोबाइल नं. सटोरियों को किसने दिया?
सटोरिये ने पुलिस वाले से नंबर मिलना बताया, जाहिर है खबरों में नहीं आने से उसे पुलिसिया संरक्षण प्राप्त था, खबर छपने से पुलिस पर कार्रवाई का दबाव बना
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में नशा और सट्टा कारोबार खुलेआम चलते रहता है पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद भी शहर में नशा सट्टा का अवैध कारोबार बंद नहीं हो पाया है। सट्टा का चलता अवैध कारोबार रायपुर की गलियों में आज भी सट्टे का अवैध करोबार चलते जा रहा हैं और पुलिस भी इन सभी लोगों पर छापेमार कार्रवाई किये जा रही हैं। मगर नतीजा शून्य ही है। जुए व नशाखोरी की लत तेजी से अपने पैर पसार रही है। इसकी गिरफ्त में युवा पीढ़ी भी आ रही है। इससे युवाओं का भविष्य भी संकट में आ रहा है। दूसरी तरफ नशीले पदार्थो की बिक्री करने वाले और जुआ-सट्टा चलाने वालों की चांदी हो रही है। वही कार्रवाई के डर से शहर के बड़े खाईवाल व सटोरियों ने ठिकाना बदल दिया है और रायपुर व महाराष्ट्र के बड़े शहरों से अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। राजधानी में आए दिन सट्टा का करोबार जोरो से चलते जा रहा है। शहर में सट्टे का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। शहर के साथ-साथ गांवों में भी सट्टा का कारोबार सफेदपोश नेताओं और आस-पास लोगों की मदद से तेजी से फैल रहा है। लोग बेख़ौफ़ होकर अपने काले धंधे का संचालन कर रहे हैं। शहर के कई क्षेत्रों में सट्टे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। इसके चलते युवा वर्ग बर्बादी की ओर बढ़ रहा है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो पूरा मामला जान कर भी स्थानीय पुलिस मौन धारण किये हुए है।
युवा बुजुर्ग खिलाते हैं सट्टा
शहर में आईपीएल मैच शुरू होते ही सट्टा का कारोबार भी जोर शोर से चलने लगता है। रायपुर में साइकिल से घूम-घूमकर सट्टा पट्टी लिखी जा रही है। शहर में नया बस स्टैंड, कटोरा तालाब, माना, वीआईपी रोड, राखी के पास खुलेआम सट्टा पट्टी लिखा जा रहा है। इसके अतिरिक्त कई साइकिल स्टोर, पान ठेला, गुमटी की आड़ में भी सट्टा-पट्टी लिखने का खेल चल रहा है। शहर से जुड़े कई गांवों में भी सट्टा कारोबारी पैर पसार चुके हैं। विडंबना यह है कि सट्टा के इस खेल में युवा और बुजुर्ग बड़ी संख्या में फंसे हुए हैं। अब तो विद्यार्थी, व्यवसायी और महिलाएं भी सट्टा खेलने के लिए पहुंचने लगी हैं।
सट्टा का काला धंधा जोरो पर : सट्टा एक नशा की तरह होता हैं, पहले लोग अपनी किस्मत आजमाते हैं फिर बाद में अपनी गाढ़ी कमाई को दोगुना करने के लालच में फंसकर धीरे-धीरे सब कुछ गंवा बैठते हैं। पुलिस इस अवैध कारोबार में लिप्त लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है, कार्रवाई न होने की वजह से इस गोरखधंधे पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पा रहा है। और अवैध कारोबार में लिप्त गिरोह के लोगों के हौंसले बुलंद हैं।
सट्टे की बाजी गर्म करते सटोरिए
शहर में एक बार फिर से सट्टा-बाजार गर्म हो गया है। इस कारोबार में कई सफेदपोश लोग भी शामिल हैं जो कहने के लिए शहर के बड़े व्यापारी हैं और उनका असली काम सट्टे का ही है। इसके अलावा रायपुर के सटोरियों के लिए सट्टा लगाने की व्यवस्था कालीबाड़ी से शुरू कर दी गई है। लोगों ने जब इस संबंध में कुछ सटोरियों से संपर्क साधा तो नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर उन्होंने बताया कि शहर में इन दिनों चार बड़े बुकी ही बड़े स्तर पर सट्टेबाजी में जुड़े हुए हैं। इनमें से एक का शहर का ज्वेलर्स भी है। इस कारोबारी ने सट्टे का कारोबार माना से लगे इलाके और आसपास के कुछ गांवों में बनाया हुआ है। यहीं से पूरा धंधा ऑपरेट हो रहा है।
सरे आम बिक रहा है नशा
शराब, बीयर के साथ-साथ आजकल के युवा गांजे का भी सेवन कर रहे है। गांजे को सिगरेट में भरकर लंबे-लंबे कश लेते हुए बच्चों को देखा जा सकता है। गांजे से भरी सिगरेट के कुछ कश लगाने के बाद उन्हें होश नहीं रहता कि वे कहां हैं।
आसानी से मिल रहा नशा
यदि बात करें स्कूलों की तो काफी स्कूल ऐसे है जिनके बाहर लगे खोखों पर बच्चों के खाने के सामान के साथ-साथ तंबाकू, गुटका एवं अन्य नशीले पदार्थ मिलते है। इन पर प्रशासन आज तक रोक नहीं लगा सका है। विद्यार्थी इन दुकानों से सरेआम गुटका खरीदकर खाते है।
चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा खुलेआम चलने लगा
शहर में कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से खाईवाल के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है। उससे यही लगता है कि बड़े खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। रायपुर क्षेत्र में तो ये चलता ही है आजकल आउटर क्षेत्र में भी इस खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिलाएं एवं बच्चे भी दिन-रात अंकों के जाल में उलझे रहते हैं। बड़े खाईवाल के एजेंट जो पट्टी काटते हैं रोज हर गली-मोहल्ले में आसानी से पट्टी काटते नजर आते हैं। इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग रायपुर में खुलेआम पट्टी काटकर और मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं। जिसकी जानकारी शायद पुलिस को छोड़कर सभी को है। सट्टे के हिसाब-किताब की जगह बार-बार बदल कर बड़े खाईवाल अपनी होशियारी का भी परिचय देने की कोशिश करते हैं।
स्कूली छात्र भी खेल रहे जुआ
जुआ खेलने में स्कूली विद्यार्थी भी पीछे नहीं है। स्कूलों पहुंचकर वहीं अपना बस्ता रखकर कई विद्यार्थी वहां से फरार हो जाते हैं और पहुंचते हैं इसके अड्डों पर। स्थिति इस कदर बिगड़ रही है कि बच्चे घर से किताब-कापियां खरीदने के लिए पैसे लाते हैं और उसे जुए में उड़ा देते हैं। बचपन में जुआ खेलने की बुरी लत पडऩे से उनके भविष्य भी खराब हो रहा है।
जुआ-सट्टा कारोबार जोरों पर हैं
जुएं और सट्टे का कारोबार भी जोरों पर चल रहा है। जुआ माफियाओं ने अपना अड्डा नेहरू नगर और नई बस्ती क्षेत्र के अलावा अन्य जगहों पर फैलाते हुए अवैध कारोबार शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व शहर में जुएं का कारोबार जोरों पर संचालित किया जाता था और इस कारोबार से लगे लोगों के हौसले इतने बुलंद हो चुके है कि अब दिनदहाड़े जहां खुले मैदानों में सट्टा पर्ची काटी जा रही है। वहीं खुले मैदान के सामने भी सट्टा खिलवाया जा रहा है। कुछ ऐसी तस्वीरें जनता से रिश्ता के कैमरे में कैद हुई है, जिन्हें देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि पुलिसिया कार्रवाई कितनी कड़ाई से की जा रही है। एक और जहां सट्टा, जुआ, भू- माफिया के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने का दम भर रही है। वहीं खुलेआम जुआरी और सटोरियों के द्वारा किया जा रहा कारोबार उन दावों का मुंह चिढ़ा रहा है।