विश्व न्यूमोनिया दिवस पर विशेष: बच्चों को लगाएं निःशुल्क पीसीवी का टीका
जगदलपुर। ठंड में छोटे बच्चों के निमोनिया से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। यह सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, यदि समय रहते उपचार नही किया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। इसलिए प्रत्येक वर्ष 12 नवंबर को समुदाय को निमोनिया से बचाव, लक्षण और उपचार के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इस सम्बन्ध में सीएमएचओ डॉ. आर.के.चतुर्वेदी ने बताया: "बदलता मौसम व ठंड निमोनिया के संक्रमण की गंभीरता को बढ़ा सकता है। इसलिए शिशुओं की विशेष देखभाल जरूरी है। आमतौर पर निमोनिया का संक्रमण दो से पांच साल के बच्चों को जल्दी अपनी चपेट में लेता है, लेकिन कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, बुजुर्ग व वयस्क भी इससे ग्रसित हो सकते हैं। न्यूमोनिया एक संक्रामक बीमारी है। बच्चों को होने वाले निमोनिया को टीकाकरण से रोका जा सकता है। बच्चों को न्यूमोकोकल कान्जुगेट वैक्सी्न यानी पीसीवी का टीका 6 सप्ताह, 14 सप्ताह एवं 9 वें महीने पर लगाने होते हैं। इस टीके को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है। पीसीवी का टीका बच्चों को निमोनिया से बचाने में काफ़ी असरदार है। इसलिए समय पर बच्चे का टीकाकरण कराएं, और उन्हें निमोनिया से बचाएं।"
टीकाकरण अधिकारी डॉ. सी.आर.मैत्री ने बताया: "निमोनिया फेफड़ों का सबसे जटिल संक्रमण है, जो फैलने वाले वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है। निमोनिया तीव्र श्वसन संक्रमण का एक रूप है, जो फेफड़ों को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। इसका इलाज समय रहते ना करवाया जाए, तो इसमें जान भी जा सकती है। सफाई का ध्यान रखें, खांसते और छींकते समय बच्चे की नाक और मुंह पर रूमाल या कपड़ा रखें। कीटाणुओं को फैलने से रोकें, बच्चों के हाथों बार-बार साफ करते रहें। मौसम में बदलाव के कारण भी निमोनिया की आशंका बढ़ सकती है। यदि बच्चे की सांस तेज चल रही हो, उन्हें सांस लेने में कोई दिक्कत हो रही हो, छाती/ पसली अंदर धंस रही हो एवं तेज बुखार जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हों तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क करना चाहिए।"
निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन फिर अचानक से बढऩे लगते हैंः
● कमजोरी महसूस होना
● उल्टी आना या महसूस होना
● ब्लड प्रेशर कम होना
● बेचैनी होना
● कई दिन तक सर्दी व जुकाम रहना
● फेफडों का संक्रमण
● तेज सांस फूलना
● सीने में दर्द
● तेज बुखार आना
● खांसी आना
● कभी-कभी खांसी में खून आना