छत्तीसगढ़

श्री ऋषभदेव जैन मंदिर सदरबाजार में रक्षाबंधन पर्व पर विशेष प्रवचन

HARRY
22 Aug 2021 3:57 PM GMT
श्री ऋषभदेव जैन मंदिर सदरबाजार में रक्षाबंधन पर्व पर विशेष प्रवचन
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रायपुर। श्रीऋषभदेव जैन मंदिर सदरबाजार के आराधना हाॅल में रविवार को रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर विशेष प्रवचन करते हुए नवकार जपेश्वरी साध्वीवर्या शुभंकराश्रीजी महाराज साहब ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षाबंधन का यह पर्व भाई-बहन के पवित्र, निश्छल प्रेम का प्रतीक है। लाल वर्ण आरोग्यता का और श्रीफल शुभ का प्रतीक है। बहन अपने भाई के माथे पर लाल कुमकुम का तिलक कर और भाई के हाथों में श्रीफल भेंट कर अपने भाई के सुदीर्घ आरोग्यमयी जीवन की शुभकामना करती है। इसी तरह हम प्रभु परमात्मा को राखी भेंट करके उनसे यही आशीर्वाद मांगते हैं कि हे प्रभु आपकी ही तरह हमारा जीवन सदा सदाचारी बना रहे और आत्मोत्थान के मार्ग पर उत्तरोत्तर वृद्धि करते हुए एक दिन हम भी आपकी ही तरह शुद्ध-बुद्ध और प्रबुद्ध हो जाएं। प्रभु से हम यही आशीर्वाद लेते हैं कि हे प्रभु आप मेरी रक्षा करें, मैं इस नश्वर-क्षणभंगुर भौतिक सुखों से युक्त संसार में आसक्त होकर पतन की गर्त में ना गिरूं, सदा धर्मपथ पर आगे बढ़ता चलूं ऐसा मुझे आत्मबल प्रदान करें। जगत के जीवों के प्रति हमारा पवित्र-निश्छल प्रेम सदा-सर्वदा बना रहे। साध्वीवर्या सरलमना सुभद्राश्रीजी महाराज साहब ने कहा- आज के युग में भी भाई-बहन का निश्छल प्रेम जीवन पर्यंत बना रहे, वह कभी स्वार्थ में ना बदले, तभी हमारा इस पर्व को मनाना सार्थक सिद्ध होगा। अहिंसा धर्म का पालन करते हुए, क्षयकाय के जीवों की विराधना से हरसंभव बचने का प्रयत्न-पुरूषार्थ करते हुए जीवों की रक्षा के संकल्प के साथ हम इस रक्षा पर्व को मनाएं। सांसारिक गृहस्थ जीवन में जहां प्रेम होता है वहां धन और यश भी स्वतः चले आते हैं। इसी तारतम्य में सुशिष्या साध्वी पुण्यधराश्रीजी एवं साध्वी वसुंधराश्रीजी ने रक्षाबंधन पर्व की जीवन में महत्ता विषय पर श्रद्धालुओं को प्रेरणास्पद संदेश दिया।

श्रद्धालुओं को रक्षा सूत्र बांधकर लिया तप-त्याग साधना करने का वचन

श्री जैन श्वेताम्बर चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विमलचंद मालू, सचिव निलेश गोलछा, अभिषेक गोलछा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि श्रावण सुदि पूर्णिमा रक्षा बंधन को पूज्या साध्वी सुभद्राश्रीजी के 68वें जन्म दिवस के प्रसंग साध्वी भगवंत ने श्रद्धालुओं को रक्षा सूत्र बांधकर उनसे उपहार के रूप में यथासामथ्र्य जप-तप, साधना-आराधना करने और दुगुर्णों का त्याग करने का वचन लिया। अनेक श्रद्धालुओं ने राखी बंधवाकर साध्वी भगवंत को एक सद्गुण को अपनाने और एक दुर्गुण को छोड़ने का लिखित संकल्प भेंट किया। साध्वीवर्या सुभद्राश्रीजी के दीक्षापूर्व के और वर्तमान संयमी जीवन के प्रेरक प्रसंगों का स्मरण कर साध्वीवर्या शुभंकराश्रीजी ने उनके तप-त्याग व साधनामयी जीवन में उत्तरोत्तर वृद्धि की शुभकामना की। वहीं साध्वी पुण्यधराश्रीजी एवं साध्वी वसुंधराश्रीजी ने उनसे संयम पथ प्रदर्शक बनकर सदैव अपनी कृपा बनाए रखने का आशीर्वाद मांगा। इसके अतिरिक्त धर्मसभा में बालिका वृद्धि बैद, पूज्या साध्वीश्री के सांसारिक पक्ष के भ्राता भीखमचंद गोलछा व सांसारिक पक्ष के लघु भ्रांता मोती बंगानी उर्फ मुकेश जैन ने पूज्या साध्वीवर्या के जन्म दिवस प्रसंग पर अपनी भावाभिव्यक्तियां दीं।

चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रसार प्रभारी तरुण कोचर ने बताया कि 12 उपांग तप के तपस्वियों का आज व्यासना रहा। रविवार को श्रीनवकार दरबार में जाप के लाभार्थी रहे- महेन्द्र कुमार सौरभ धाड़ीवाल परिवार, श्रीमती सुवाबाई टीकमचंद बुरड़ परिवार एवं रतनचंद विजयकुमार गोलछा परिवार। नवकार दरबार के संयोजक हरीश डागा ने बताया कि 68 दिवसीय दरबार में रात्रि 8.15 से 9.15 तक श्रीनवकार महामंत्र का सामूहिक जाप किया जा रहा है। जो श्रद्धालु रात्रिकालीन जाप साधना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं, उनके लिए दिन में किसी भी अनुकूल समय में एक घंटे के जाप का प्रबंध भी दरबार में किया गया है। लाभार्थी परिवारों को रात्रिकालीन जाप के अतिरिक्त प्रतिदिन प्रातःकालीन जिनवाणी प्रवचन सभा के उपरांत दरबार में आरती व मंगलदीपक लाभ भी प्राप्त हो रहा है।

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