विशेष लेख : गौठानों-चारागाहों में लहलहा रहा हरा चारा नेपियर ग्रास
महासमुन्द। नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित गौठानों और चारागाहों में पशुओं के उत्तम चारा के लिए नेपियर ग्रास लगाने का कार्य स्व सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में तुमाडबरी गौठान में लगभग आधा एकड़ में घास लगाया जाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। तो वही महासमुन्द के 05 चारागाह में 28200 नेपियर रूट ग्राम पंचायत कछारडीह व बम्हनी के चारागाहों से लगाये गये है। तो वही चारागाह ठुठापाली, जनपद पंचायत बसना में नेपियर ग्रास अब लहलहा रहा है। पशुओं के लिए पौष्टिक माने जाने वाले नेपीयर घास की खासियत एवं गुणवत्ता को देखते हुए इसे रोपित किये जाने कार्य प्रारंभ किया गया। पौष्टिकता से भरपूर मवेशियों का प्रिय आहार हरा-चारा नेपियर घास जिलें के गौठान में विकसित किये गए चारागाहों में लहलहा रहे हैं। जिले में बारिश और धूप भी अच्छी हो रही है जिसके परिणामस्वरूप चारागाहों में लगाए गए नेपियर घास तेजी से विकसित हो रहे हैं, जिससे चारागाह में हरियाली छाई है।
जिले की 283 पूर्ण गौठान के चारागाहों में अनिवार्य रूप से नेपियर घास पशु चिकित्सा विभाग, कृषि विभाग, वन विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र, उद्यानिकी विभाग और जनपद पंचायत गौठान प्रबंधन समिति को दिए हैं। अब तक 283 ग्राम पंचायतों में 448 एकड़ रकबा चारागाह हेतु प्रस्तावित किया गया है। जिसमें से 89 गौठानों के चारागाह में 89.9 एकड़ क्षेत्र में नेपियर घास लगाया गया है। साथ ही डी.एम.एफ. अन्तर्गत 4.00 लाख खरीदी हेतु रू. 7.00 लाख स्वीकृत किये गए है। महात्मा गांधी नरेगा से कुल 122 चारागाह इस वर्ष स्वीकृत किये गए है। जो कि कुल लगभग 232 एकड़ है। पशु विभाग द्वारा अब तक कुल 4.00 लाख नेपियर प्रदाय किया जा चुका है, व कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा 1लाख 36 हजार नेपियर रूट प्रदाय किया गया है, साथ ही पशु विभाग द्वारा गौठान प्रबंधन समितियों के माध्यम से 27 चारागाहों में 42.5 एकड़ में बाजरा, मक्का, ज्वार लगाया गया है।
शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरूवा व बाड़ी योजना में गौठान में पशुओं को हरा चारा हमेशा उपलब्ध रहे इसके लिए कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने कार्ययोजना बनाकर सबसे पहले चारागाहों को नेपियर घास के लिए आत्मनिर्भर बनाने सभी गौठानों में जहां पानी की समुचित व्यवस्था है वहां पर नेपियर रूट लगाए जा रहें हैं। जनपद पंचायत आगामी वर्षो में अन्य जिलों के चारागाहों को भी नेपियर गांठ बेचकर गौठान समितियां आमदनी प्राप्त कर सकेंगी। नेपियर को हाथी घास भी कहा जाता है। पशुओं के लिए यह पौष्टिक चारा है। जिन चारागाहों में पानी आदि की समस्या है वहां पर बोर, डबरी, कुआँ जल्द से जल्द कराने की कार्यवाही की जा रही है। जिससे पानी की समस्या दूर हो तथा बरसात के बाद भी चारागाह सुचारू रूप से संचालित रहें। गौठान प्रबंधन समितियों को गौठान के साथ-साथ चारागाह देखभाल कर इसका उपयोग किये जाने हेतु पशु विभाग व कृषि विभाग के अमलों द्वारा प्रेरित किया जा रहा है।
संकर नेपियर घास की खेती इस क्रम में एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जिससे अन्य चारा फसलों की अपेक्षा कई गुना हरा चारा मिलता है। साथ ही इसकी खेती से 4-5 वर्षों तक बुवाई पर होने वाले व्यय की भी बचत होती है। संकर नेपियर घास एक बहुवर्षीय चारा फसल है एक बार बोने पर 4-5 वर्ष तक सफलतापूर्वक हरा चारा उत्पादन करती है। नेपियर घास की खास बातें नेपियर घास बाजरा की हाईब्रिड वैरायटी है। जो कि न केवल बंजर जमीन बल्कि खेतों की मेड़ों पर उगाई जा सकती है। केवल सिंचित करने की आवश्यकता है। यह समय यानि बरसात का समय नेपियर घास की रोपाई करने का सही समय है। यह घास बीस से पच्चीस दिन में तैयार हो जाती है। नेपियर घास का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 300 से 400 क्विंटल होता है। एक बार घास की कटाई करने के बाद उसकी शाखाएं पुनः फैलने लगती है।