प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरुप जिले में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वनवासी वन अधिकार अधिनियम के तहत् बीते दो वर्षों के दौरान 1308 हितग्राहियों को वनाधिकार पट्टे प्रदाय किये गये हैं। जिससे वन भूमि पर काबिज काश्त करने वाले इन हितग्राहियों को अपनी जमीन से बदेखली के भय से मुक्ति मिल रही हैं और ये सभी अब उन्नत खेती-किसानी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के इस संवेदनशील पहल की प्रशंसा करते हुए वनांचल के वनाधिकार पट्टेधारी हितग्राही खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ऐसे ही एक हितग्राही भैरमगढ़ ब्लॉक के बरदेला निवासी लच्छन पोयम कहते हैं शासन ने मुझे वन भूमि में काबिज काश्त जमीन का मालिक बना दिया। मुझे सिर्फ जमीन का पट्टा ही नहीं बल्कि सरकार से और भी मदद मिला है, जिसके तहत् मनरेगा से खेत में डबरी निर्माण कराया, कृषि विभाग के जरिये दो एकड़ रकबा मंे फंेसिंग कराया। वहीं सोलर पंप लगाने के फलस्वरुप अब साल भर साग-सब्जी की खेती कर रहा हूँ। इसके साथ ही खेत में फलदार पौध रोपण किया हूँ। इसी तरह बीजापुर ब्लाक के जैतालूर निवासी वनाधिकार पट्टेधारी हितग्राही सीताराम मांझी बताते हैं कि वन भूमि मंे काबिज होने का पट्टा मिलने अब परिवार में खुशहाली आयी है। करीब दो एकड़ वन भूमि के पट्टे वाली जमीन को मनरेगा से समतलीकरण करवा कर धान की खेती सहित उड़द-कुल्थी जैसे दलहन फसल भी ले रहे हैं। यहीं नहीं अभी हाल ही में कृषि विभाग की सहायता से खेत में नलकूप खनन कर सोलर सिंचाई पंप स्थापित किये हैं, जिससे रबी में साग-सब्जी और मक्का की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं। सीताराम मांझी की तरह जैतालूर निवासी वनाधिकार पट्टेधारी हितग्राही लालैया ककेम, नैमेड़ के समल कुडियम, कुयेनार निवासी धनाजी नेताम भी वनाधिकार पट्टा मिलने को किसी बड़े सपने का साकार होना रेखांकित करते हुए बताते हैं कि अब खेती-किसानी के लिए शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ आसानी से मिल रहा है। वनाधिकार पट्टे के फलस्वरुप किसान क्रेडिट मिल गया और फसल ऋण लेने में सहूलियत हो रही है, वहीं समर्थन मूल्य पर धान विक्रय करने भी सुविधा मिल गयी है। यह सब हम निर्धन किसानों के लिए एक बड़ी सौगात है। ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ सरकार की इस महत्वाकांक्षी पहल के जरिये जिले में 2 वर्षों में 1308 हितग्राहियों को वनाधिकार मान्यता पत्र वितरित किया गया है। इसके साथ ही सामुदायिक प्रयोजन के लिए 1501 सामुदायिक वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदाय किया गया है। वहीं पहली बार 216 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र प्रदान किया गया है, जिससे वनांचल के ग्रामीणों को तेन्दूपत्ता संग्रहण सहित लघु वनोपज संग्रहण और अन्य वन संसाधनों के समुचित दोहन का अधिकार मिल गया है।