बिलासपुर। नायब तहसीलदार और पुलिस के बीच हुए विवाद का प्रकरण दावे के विपरीत सुलझा नहीं है। यह पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और नागरिक अधिकारों के बीच बढ़ते तनाव का प्रतीक बन गया है। नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा ने सरकंडा थाना में उनके साथ हुई कथित मारपीट और दुर्व्यवहार के मामले में न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें जांच के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है और साक्ष्य छुपाए जा रहे हैं।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि 17 नवंबर 2024 की रात उन्हें और उनके भाई को थाना लाया गया, जहां उनके साथ न केवल शारीरिक हिंसा हुई बल्कि अभद्र भाषा का भी प्रयोग किया गया। सरकंडा थाना प्रभारी तोपसिंह नवरंग ने उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई और झूठे मामले दर्ज कर उन्हें फंसाने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि पुलिस अधीक्षक ने झूठे एफआईआर को तीन दिन में समाप्त करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। मिश्रा ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग होनी चाहिए।
उन्होंने मांग की कि घटना की रात के सीसीटीवी फुटेज को ऑडियो सहित सार्वजनिक किया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। मिश्रा ने कहा कि विभागीय जांच में पारदर्शिता नहीं है। उन्हें अब तक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट और आरोप पत्र की प्रति नहीं दी गई है। उन्होंने मांग की कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। इस मामले में 21 नवंबर को आईजी डॉ. संजीव शुक्ला ने सरकंडा थाना प्रभारी तोप सिंह नवरंग को लाइन अटैच किया था। हालांकि, अन्य पुलिसकर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। मामले की जांच एएसपी सिटी राजेंद्र कुमार जायसवाल कर रहे हैं। नायब तहसीलदार ने मांग की है कि झूठे एफआईआर को रद्द किया जाए, दोषी पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो और जांच प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए। उन्होंने राज्य सरकार और प्रशासन से हस्तक्षेप की अपील की है। मिश्रा ने कहा कि वह केवल अपने लिए नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए आवाज उठा रहे हैं, जिन्हें न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ता है।