बेटे ने अपने पिता के साथ रहने से किया इनकार, हाईकोर्ट में कहा - नाना-नानी के साथ खुश हूं
बिलासपुर। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के निर्देश पर 14 साल का बेटा अपने नाना-नानी के साथ चीफ जस्टिस एके गोस्वामी की डिवीजन बेंच में उपस्थित हुआ। बधो ने मासूमियत भरा जवाब दिया। चीफ जस्टिस के सामने खड़े होकर बधो ने कहा कि मुझे पापा के साथ नहीं रहना है। वे मम्मी के साथ मारपीट करते थे। नाना-नानी और नए पापा के साथ खुश हूं। बधो के जवाब के बाद चीफ जस्टिस ने बधो को नाना-नानी के साथ रहने की आजादी देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में एक पिता द्वारा अपने बधो को साथ रखने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। बुधवार को मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई। चीफ जस्टिस के सामने उपस्थित होकर 14 साल के बधो ने कहा कि मुझे नहीं रहना है पहले पापा के पास। जब तक मम्मी उनके साथ रहती थी तो मारपीट करते थे। मम्मी परेशान रहती थी। बधो ने कहा कि मैं अपने दूसरे पापा और नाना - नानी के ही साथ रहना चाहता हूं। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका पेश करने वाले पिता की याचिका को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि जगदलपुर की रहने वाली महिला का मुंबई निवासी व्यक्ति से वर्ष 2004 में विवाह हुआ।
तीन साल बाद बधो का जन्म हुआ। शादी के 15 साल बाद वर्ष 2019 में दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया। इसके बाद पहले पति ने दूसरा विवाह कर लिया। इधर पत्नी ने भी दूसरा विवाह कर लिया। दूसरे पति व बधो के साथ उसकी मां अपने मायके में ही रहने लगी। वर्ष 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण मां की मौत हो गई। बेटा नाना नानी व दूसरे पिता के साथ है। पिता ने अपने बेटे को साथ रखने के लिए अपने सास-ससुर से संपर्क किया। उन्होंने अपने नाती को देने से इन्कार कर दिया। सास-ससुर के इन्कार करने के बाद पिता ने वकील के जरिये छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पिता ने बेटे के लिए गिफ्ट लाने की जानकारी दी व उसे देने कोर्ट से अनुमति मांगी। कोर्ट ने अनुमति दे दी। अचरज की बात यह रही कि बेटे ने यह कहते हुए पिता से गिफ्ट लेने इन्कार कर दिया कि जब तक मां साथ रही उनको प्रताड़ित करते थे।