छत्तीसगढ़

कहीं मज़हबी अत्याचार तो कहीं महंगाई की मार, देश का युवा घूम रहा बेरोजगार

Nilmani Pal
21 Jan 2022 5:59 AM GMT
कहीं मज़हबी अत्याचार तो कहीं महंगाई की मार, देश का युवा घूम रहा बेरोजगार
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

भाजपा नेता उत्तर प्रदेश के हिंदुओं को आगाह करते फिर रहे हैं कि अखिलेश जीते तो राम मंदिर पर बुलडोजर चलवा देंगे, लेकिन उत्तरप्रदेश की जनता भी खूब समझ रही है कि आखिर अखिलेश भी तो हिन्दू हैं और हिन्दू तो क्या कोई भी सत्ता में आये मंदिर पर बुलडोजऱ चलवाने की बात सोच भी नहीं सकता। भाजपा का असली चुनावी तुरुप धार्मिक ध्रुवीकरण और मंदिर की राजनीति ही है। योगीजी ने खुलेआम कहा है कि मुकाबला अस्सी बनाम बीस है। लेकिन परेशानी इस बात की है कि भगदड़ अस्सी प्रतिशत में ही मची हुई है। प्रधानमंत्री जी भी कब्रिस्तान और श्मशान के नाम से तालियां बटोर रहे हैं, लेकिन अब उत्तरप्रदेश की जनता रोजगार मांग रही है। मोदी, शाह और योगी समेत भाजपा नेता बार-बार याद दिलाते हैं कि उनकी सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद-370 को समाप्त किया, पाकिस्तानी आतंकवाद को करारा जवाब दिया। वे समाजवादी पार्टी को मुस्लिम परस्त और आतंकियों के मददगार के रूप में पेश करते हैं, अरे भई सिर्फ इसी बात पर कैसेट फंसी रहेगी या विकास, रोजगार की भी बात होगी। समाजवादी पार्टी भाजपा के मुख्य निशाने पर है, ताकि हिंदुओं के मन में उसकी छवि हिंदू-विरोधी एवं मुस्लिम-हितैषी की बनी रहे। यही कारण है कि अब्बाजान, कब्रिस्तान और जिन्ना का बार-बार उल्लेख किये बिना भाजपा नेताओं के भाषण पूरे नहीं हो रहे हैं लेकिन अब सवाल यह उठता है कि इतने धाकड़ मंत्रियों और विधायकों के पार्टी छोडकऱ चले जाने के बाद भी क्या अब्बाजान,कब्रिस्तान और पाकिस्तान काम आएगी या नहीं यह उत्तरप्रदेश की जनता तय करेगी, क्योंकि बेरोजगारी उत्तरप्रदेश की ही नहीं देश की भी सबसे बड़ी समस्या है। इसी पर शायर शशांक त्रिपाठी निहार गोरखपुरी ने ठीक ही कहा है कि कहीं मज़हबी अत्याचार, तो कहीं मंहगाई की मार,हाथो में डिग्री ले, देश का युवा घूम रहा है बेरोजगार।

अगले पांच सालों में 15 लाख रोजगार देने का लक्ष्य

मुख्यमंत्री भूपेश की सभी योजनाएं नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी का पूरे देश में डंका बज रहा है। बिजली उत्पादन से लेकर हर्बल उत्पादन, लघुवनोपज संग्रहण में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार को 43 योजनाओं में केंद्रीय मंत्रालय ने पुरस्कृत किया है। जिसकी झलक देशवासियों को गणतंत्र दिवस की परेड में देखने को मिलेगी। हाल ही में मु्ख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक रोजगार सृजन समिति गठित होगी जिसमें आगामी पांच सालों में 15 लाख रोजगार देने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। जिसे लेकर भूूपेश सरकार लक्ष्य अर्जित करने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कका ह कोनो काम ला अइसने नई लाय, ओखर पाछू जनता के हित रहिथे, तभे आगू के पांच बछर बर योजना बनाय हवय।

किसके लिए गाय गुनाह और किसके लिए माता

मध्यप्रदेश के छतरपुर में सैकड़ों गौ-वंश के शवों को खुले में फेंक दिया गया था। आवारा कुत्ते इनके शवों को नोचते दिखे। विरोध के बाद नगरपालिका की टीम पहुंची और गौवंश के शवों को दफनाने का कार्य शुरू कर दिया गया। गायों को बचाने के लिए सरकार ने करोड़ों-अरबों रुपये खर्च कर सैकड़ों एकड़ जमीन में गौ-शालाएं खोलीं लेकिन अब ये सिर्फ महज़ दिखावा बनकर रह गया है। उत्तरप्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान वाराणसी में प्रधानमंत्री जी का कहना था कि गाय कुछ लोगों के लिए गुनाह हो सकती है लेकिन हमारे लिए माता है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और गऊ माता की ये हालत। पार्टी कार्यकत्र्ता को छतरपुर नगर पालिका द्वारा गौवंश के अंतिम संस्कार हेतु ठेका भी दिया गया था, लेकिन कर्मचारी और ठेकेदारों की लापरवाही के चलते यहां खुले में ही सैकड़ों की तादात में गौवंश के शव फेंक दिए गए। उनके शवों को कुत्ते नोंच रहे थे। दूसरी ओर नागालैंड के भाजपाई मंत्री ने पिछले दिनों एक बयान में कहा था कि चिकन और मटन के बजाय गोमांस अधिक खाना चाहिए उन्होंने यह भी कहा कि प्रजातंत्र में कोई भी व्यक्ति अपने पसंद का कुछ भी खा सकता है कोई रोकटोक नहीं होना चाहिए। अब ये समझ में नहीं आ रहा कि किसके लिए गाय गुनाह है और किसके लिए माता।

बुल्ली बाई और सुल्ली डील के आरोपियों बचाने कोई नहीं आया

क्चह्वद्यद्यद्ब क्चड्डद्ब , स्ह्वद्यद्यद्ब ष्ठद्गड्डद्य ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं को टारगेट करने के मामले में बांद्रा की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को 2 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। दो आरोपी श्वेता सिंह और मयंक रावत को उत्तराखंड व नीरज सिंह को ओडि़शा से गिरफ्तार किया गया । बेंगलुरु के विशाल कुमार के पकड़े जाने के बाद दोनों गिरफ्त में आए थे। क्चह्वद्यद्यद्ब स्ह्वद्यद्यद्ब नाम के ऐप पर मुस्लिम महिलाओं को टारगेट किया जा रहा था और सिख समाज के लोगो के नाम से फर्जी अकाउंट खोला गया था ताकि मुस्लिम और सिखों में फसाद हो। ऐप पर उनके खिलाफ नफरत और गंदी-गंदी बातें लिखी जा रही थीं. दरअसल, क्चह्वद्यद्यद्ब क्चड्डद्ब ठीक उसी तर्ज पर काम करता था, जिस तर्ज पर कुछ दिन पहले स्ह्वद्यद्यद्ब ष्ठद्गड्डद्य आया था। जनता में खुसुर-फुसुर है कि किसके इशारे पर ये ऐप बना, इन बच्चों को कौन नफरती गैंग में शामिल कर रहा है, इस ऐप से किसको फायदा मिलना था। जो राजनीतिक दल इन सब बातो में विश्वास रख कर सत्ता पाना चाहते हैं क्या वे इन बच्चों का भविष्य से खिलवाड़ तो नहीं कर रहे हैं। इसी बात पर किसी किसी शायर ने ठीक ही कहा है उनको बंदूकों पर नाज़ है बहुत, जब चलाएगा पहचानेगा नहीं।

जेल में निभाएंगे पड़ोसी धर्म

कोर्ट ने निलंबित जीपी सिंह को 14 दिन के रिमांड पर जेल भेज दिया है। जेल में पहले से ही कालीचरण निरूद्ध है उसके बगल वाले कमरे को जीपी के लिए आवंटित किया है। अब कालीचरण और जीपी सिंह पड़ोसी धर्म निभाएंगे। छत्तीसगढ़ पुलिस ने अभी हाल में जिस प्रकार से कालीचरण और जीपी सिंह को पकडऩ़े में जिस टेक्निक का इस्तेमाल किया है कबीले तारीफ है। कालीचरण को लाते समय एक गाड़ी को दो किलोमीटर आगे चलाकर इस बात की जानकारी लेते रहे कि मध्यप्रदेश पुलिस कोई अड़चन पैदा तो नहीं कर रही है अगर अड़चन पैदा करे तो तत्काल पीछे वाली गाड़ी को अलर्ट करके रुट बदल कर छत्तीसगढ़ लाना था, वे इसमें कामयाब हो ही गए क्योंकि मध्यप्रदेश के गृहमंत्री के बयान के बाद ऐसा लगने लगा था कि कालीचरण को रायपुर लाने में दिक्कत जरूर होगी दूसरी ओर जीपी सिंह को घेरने में भी उन्होंने कोरोना का बहाना लिया। दिल्ली में यह अफवाह फैला दिए की पुलिस टीम को कोरोना हो गया है जबकि छत्तीसगढ़ पुलिस टीम के लीग वही डटे रहे अंतत: जीपी को रणनीति के तहत धर ही लिए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पहले ऐसा टेक्निक उपयोग नहीं करते थे। क्या उच्चाधिकारी ही नहीं चाहते थे की छत्तीसगढ़ पुलिस का नाम हो?

तपन से जीपी के झुलसने का डर

सेंट्रल जेल में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में दाखिल किए जीपी सिंह ने अपने वकीलों के माध्यम से कोर्ट में जेल के भीतर जान का खतरा बताया। मामला तब का है जब जीपी सिंह दुर्ग आईजी थे, उस समय कुख्यात गैंगस्टर तपन सरकार और उसके कई गुर्गों को जेल भेजा था। वर्तमान में तपन सरकार और उनके साथी केंद्रीय जेल में है। लिहाजा कोर्ट के आदेश पर कोरोना संकटकाल में क्वारंटाइन कक्ष में तब्दील किए गए, एक नंबर विशेष सेल में जीपी सिंह को अकेला रखा गया, उनके पीछे स्थित विशेष सेल में कालीचरण को रखा गया है। जनता में खुसुर फुसुर हैै कि समय-समय की बात है, कभी पानी में जहाज तो कभी जहाज में पानी। तपन सरकार को जेल भेजने वाले आज खुद जेल के शिकंजों में है। इसलिए बड़े बुजुर्ग और संत महात्मा अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देते है कि अंत समय कोई पछतावा न हो।

फरारी में मददगारों की कुंडली हो रही तैयार

फरारी से पहले और फरारी के बाद जीपी सिंह के मदद करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए आर्थिक अपराध शाखा ने राजधानी रायपुर और देश की राजधानी दिल्ली के मददगारों की कुंडली तैयार कर रही है। जीपी सिंह के मददगारों की सूची बना ली गई है। 6 दिनों के पुलिस रिमांड के दौरान जीपी ने ज्यादातर सवालों के जवाब न में दिए थे। हालांकि शाखा चार सौ पन्नों की कुंडली बनाकर कोर्ट में पेश किया था। जीपी सिंह के खिलाफ पुृख्ता सबूत जुटाने इनके साथियों, लाखों का निवेश व फरार कराने के साथ शाखा की एक-एक गतिविधियों की सूचना देने वाले कुछ विभागीय कर्मचारियों से पूछताछ की जाएगी। सूत्रों की माने तो चार माह तक फरारी के दौरान जीपी सिंह की एक शख्स से लगातार बातचीत होती थी,जिसको हिरासत में लेकर पूछताछ की तैयारी चल रही है। शाखा ने अपने जांच प्रतिवेदन में भी शख्स के नाम का उल्लेख किया है कि गिरफ्तार होने के पहले तक जीपी सिंह से बातचीत करने के ठोस सबूत मिले है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पुलिस वाले ही पुलिस वाले का दुश्मन हो गया। घोर कलयुग है, कल तक साहब के दरबार में हाजिरी लगाने वाले आज हाजिर सवाली बनकर जीपी सिंह से सवालों का जवाब मांग रहे है। पुलिस महकमें में काना पूसी हो रही है कि कहीं मेरा नाम तो नहीं है।

Nilmani Pal

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