कहीं नंगा दौड़ा रहे, तो कहीं लहरा रहे है हरा झंडा किसका षड्यंत्र...
राजनीतिक संपादक -
चुनावी साल में राजनीतिक लाभ के लिए कैसे-कैसे हथकंडे अपनाए जा रहे...!
अक्सर चुनाव नजदीक आते ही समाज की शांतिप्रियता को असामाजिक तत्व ही वैमनस्यता का जहर घोलकर राजनीतिक लाभ उठाते है। सरकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ की शांतधरा पर असामाजिक तत्वों का साथ कौन दे रहा है ? फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर नंग प्रदर्शन करने वाले सभी पुराने अपराधी निकले और उसके बाद प्रायोजित रूप से घासीदास मंदिर में हरा झंडा फहराने की घटना सरकार को कटघरे में खड़े करने की साजिश तो नहीं । इस बात की भी जानकारी पुलिस के खुफिया तंत्र को करनी चाहिए। भूपेश सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्य को देखते हुए जनता से मिल रहे समर्थन को प्रभावित करने की चाल किसकी हो सकती है। यह तो समय बतायेगा । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ साल पहले हाथरस में एक दलित युवती से सामूहिक बलात्कार उसके बाद उसकी मौत पर कहा था कि ऐसा षडयंत्र कुछ लोग सरकार के विकास कार्य में बाधा डालने के लिए कर रहे हैं। क्या ऐसा ही बाधा डालने यहां भी कोशिश तो नहीं हो रही है। इन सब बातों का जवाब छत्तीसगढ़ की शांतिप्रिय जनता देगी। पहले कवर्धा, फिर बिरनपुर और अब दुर्ग में हुई घटना सब एक जैसे ही है। अब सवाल ये उठता है कि इन आरोपियों की मंशा क्या थी, इसके पीछे साजिशकर्ता कौन थे,और किसके इशारे पर ये काम कर रहे थे इसमे राजनीतिक फायदा उठाने की चाल तो नहीं थी। पुलिस को हर पहलू की बारीकी से जांच करनी चाहिए। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले में बयानबाजी करने के बजाय शांति से स्थिति को नियंत्रण करने में दिलचस्पी दिखाई और हालात को आसानी से काबू कर यह संदेश देने की भी कोशिश की कि छत्तीसगढ़ की शांतिप्रिय जनता का इस प्रकार की गतिविधियों को समर्थन नहीं है। कुछ गिने-चुने विघ्नसंतोषी लोग ही राजनीतिक फायदा उठाने के लिए ऐसा माहौल पैदा कर रहे हैं । पिछले दिनों बेमेतरा जिले के बिरनपुर में मामूली घटना ने तीन निर्दोषों की जान ले ली। पिछले कई दशक से सभी धर्मो के लोग शांति से खेती किसानी और अन्य कामों में लग कर आपसी सौहार्द्र से रह रहे थे। सामाजिक सौहाद्र्र के करण ही इस घटना ने विकराल रूप नहीं ले पाया और गांव वाले आपस में बैठ कर मामले को सुलझा लिए। इसी प्रकार दुर्ग भी ऐसी घटना घटित हुई। वहां अराजक तत्वों ने दंगा भडक़ाने की नाकाम कोशिश की। कुछ लोगों ने सतनामी समाज के मंदिर पर समुदाय विशेष का झंडा लगा दिया। सुबह इसकी जानकारी लोगों को हुई तो आक्रोशित हो गए। आक्रोशित होना तो स्वाभाविक था। लेकिन पुलिस की मुस्तैदी ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया तत्काल पुलिस ने माहौल बिगडऩे के पहले स्थिति को संभाल लिया। तत्काल पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से छह लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया। आरोपियों का कहना है कि सामाजिक सौहार्द्र्र खराब करने की नियत दंगा फैलाना चाहते थे। जानकारी के मुताबिक कातुलबोर्ड स्थित गुरु घासीदास मंदिर पर 13 जुलाई की रात करीब एक से 1.30 बजे के बीच कुछ लोगों ने समुदाय विशेष का झंडा लगा दिया। सुबह सतनामी समाज के लोग मंदिर पहुंचे तो झंडा देखकर भडक़ गए। सूचना मिलने पर पुलिस भी पहुंच गई और मंदिर से झंडा उतारा गया। इस पर पुलिस ने उसके साथियों नागेश यादव और राजा निर्मलकर सहित तीन नाबालिग साथियों को भी पकड़ लिया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि दंगा-फसाद कराने की नीयत से उन्होंने समुदाय विशेष का झंडा मंदिर पर लगाया था। इसमें नाबालिगों ने भी उसकी मदद की। पुलिस ने बताया कि आरोपी रवि जांगड़े खुद सतनामी समाज से जुड़ा हुआ है। उसी ने अपने साथियों के साथ मिलकर साजिश रची थी। वह दो समुदायों के बीच आपसी रंजिश को लेकर दंगा फैलाना चाहता था। जब जब चुनाव नजदीक आता है इस प्रकार की घटनाएं सामने आती है। इससे किसे फायदा होता है पुलिस को बारीकी से पूछताछ करना चाहिए। छत्तीसगढ़
वैसे भी शांत प्रदेश है इस बात की तस्दीक सभी पार्टी के नेता और आम जनता भी करती है फिर अचानक इस प्रकार की घटना किनकी मदद से हो रही है, इसका मकसद क्या है। कौन फायदा उठाना चाहता है इन सब बातों पर गौर करना जरूरी?