मंजिलों से गुमराह भी कर देते है कुछ लोग, हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
आइएएनएस-सी वोटर के सर्वे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जनता के बीच सबसे कम नाराजगी वाला मुख्यमंत्री बताया गया है। सर्वे सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। कांग्रेस ने जहां मुख्यमंत्री बघेल की सफलता के लिए जनता के हित में किए जा रहे काम को श्रेय दिया है। वहीं, भाजपा ने कहा कि जनता जानती है कि एक नंबरी वाली बात है या दस नंबरी वाले हालात हैं। धरमलाल कौशिक ने कहा कि जिस मुख्यमंत्री के कार्यकाल में 20 हजार से ज्यादा लोगों ने निराशा, हताशा और प्रताडऩा से तंग आकर आत्महत्या की हो। जिसके राज में तीन हजार से अधिक हत्याएं और 8000 से ज्यादा बलात्कार हुए हों। जिस मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश युवाओं के द्वारा किए जाने वाले अपराधों में नंबर वन बना हो।
अवैध वसूली का रैकेट बनाकर हजारों करोड़ रुपये की लूट की गई हो। वह मुख्यमंत्री नंबर वन बन जाते हैं, तो सभी को पता है कि इसमें भी बड़ा गोलमाल है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में आइएएनएस-सी वोटर और दिल्ली के बड़े-बड़े केंद्रीय भाजपा नेता और मीडिया घराने के लोग भाजपा शासन के कसीदे क्यों पढ़ते थे? अब क्यों उन्हीं नेताओं को भाजपा ने दूध के गिलास से मक्खी की तरह अलग कर मार्गदर्शक मंडल में शामिल कर दिया है। इस पर गुलजार साहब ने ठीक ही कहा है कि मंजिलों से गुमराह भी कर देते है कुछ लोग, हर किसी से रास्ता नहीं पूछना चाहिए ।
समीर की बदली चलाएंगे रितेश कुमार
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्त में आए आइएएस समीर विश्नोई को छत्तीसगढ़ इफोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स) से हटा दिया है। सरकार ने समीर विश्नोई की जगह 2012 बैच के आईएएस रितेश कुमार अग्रवाल को चिप्स सीईओ का अतिरिक्त प्रभार दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि क्या गारंटी की अब आगे भी चिप्स को आलू चिप्स नहीं बनाएंगे। चिप्स यानी काजल की कोठरी जहां कोई कालिख से बच नहीं सकता।
बाबा का सच
टीएस सिंहदेव ने कहाकि पूर्ण शराबबंदी करना कठिन है। इसके कई कारण है। बाबा ने माना कि यह सही है कि जनघोषणा पत्र में उसे प्रबल स्थान मिला था, प्रदेश में उसे सराहा भी गया। कई लोग ऐसे भी थो जो शराबबंदी के पक्ष में नहीं थे। अनेक लोगों ने उनसे कहा था कि बाबा आप शराबबंदी लाओगे तो हमारा वोट नहीं मिलेगा। ऐसी भी परिस्थिति निर्मित हो गई है कि यह अब समर्थन और विरोध के झूले में झूल रहा है। सिंहदेव ने गुजरात और बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों जगह नाम के लिए शराबबंदी है वहां दो नंबर की शराब धड़ले से बिक रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बाबा को नंबर-1ही पसंद है नंबर-2 नहीं।
आदिवासी लड्डू हाथ से टपकने का डर
आदिवासियों के आरक्षण को लेकर कांग्रेस-भाजपा लगातार आमने सामने हैं। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा के षड्यंत्र और पूर्ववर्ती रमन सरकार द्वारा जानबूझकर बरती गई लापरवाही से आदिवासियों का हक छिन गया है। आरक्षण बढ़ाने के लिए तत्कालीन गृहमंत्री ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की सिफारिशों को अदालत के समक्ष क्यों नहीं रखा गया? तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की सिफारिशों को अदालत में क्यों छिपाया गया? वहीं भाजपा ने आरोप लगाया कि भूपेश बघेल सरकार ओबीसी आरक्षण से लेकर आदिवासी आरक्षण तक हर मामले में अदालत में हार रही है, क्योंकि यह सरकार असल काम करने की जगह कुछ और ही करने में जुटी है। कांग्रेस की कभी मंशा ही नहीं रही कि आदिवासी हितों की रक्षा की जाए। इसलिए जानबूझकर उन्होंने चार वर्ष तक इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दोनों ही पार्टी आदिवासी लड्डी हाथ से खिसकने के डर से बयानबाजी कर रहे है जबकि हकीकत यह है कि यदि सच में आदिवासी को हितैषी होते तो 15 साल पहले ही यह मसला हल हो सकता था।
गाय माता और दाता दोनों है
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा को 15 साल शासन करने का मौका मिला था। इन्होंने राम के नाम पर वोट लिया जरूर लेकिन किया कुछ नहीं। यहां भगवान राम की ननिहाल है, माता कौशल्या का मायका है। पूरी दुनिया में माता कौशल्या का एकमात्र मंदिर है। रमन सिंह 15 साल में वहां (माता कौशल्या मंदिर, चंदखुरी) झांके तक नहीं। जबकि चंदखुरी भाजपा के बड़े नेता का गांव भी है। उसके बाद भी उन्होंने कोई सुध नहीं ली। उन्होंने केवल वोट लिया चाहे वह राम के नाम पर हो या फिर राम के नाम पर। हमारी सरकार ने राम वन गमन पर्यटन परिपथ का निर्माण शुरू किया है। पहले चरण में 9 जगह चिन्हित किया गया है। चंदखुरी और शिवरीनारायण में हमने कर दिया, दूसरी जगहों पर भी काम चल रहा है। हमारा काम चल रहा है तो इनको तकलीफ क्यों हो रही है। इनको मौका मिला था 15 साल तक। हमारे पौने चार साल में दो साल तो कोरोना में निकला। उसके बावजूद हम लोग लगातार काम कर रहे हैं। जनता में खुसुर फुसुर है कि अगले साल विधानसभा चुनाव है तब पता चलेगा कि जनता काम पर वोट देगी या नाम पर। तब पता चलेगा कि गाय माता है या दाता है।