छत्तीसगढ़

कोई दिवाना कहता है, कोई पागल समझता है....मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है: डॉ.कुमार विश्वास

Shantanu Roy
17 Sep 2024 4:17 PM GMT
कोई दिवाना कहता है, कोई पागल समझता है....मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है: डॉ.कुमार विश्वास
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Raigarh. रायगढ़। चक्रधर समारोह के समापन अवसर पर डॉ.कुमार विश्वास एवं पद्मश्री डॉ.सुरेन्द्र दुबे एवं अन्य कवियों की कविता पाठ ने देर रात तक श्रोताओं को गुदगुदाता रहा। वहीं कार्यक्रम में मानसी दत्ता एवं साथी कलाकारों ने बीहू नृत्य पर शानदार प्रस्तुति दी। साथ ही बिलासपुर से आए अनिल कुमार गढ़ेवाल के नेतृत्व में गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति नेे सबका मन मोह लिया। कवि डॉ.कुमार विश्वास ने रायगढ़ चक्रधर समारोह के बारे में कहा कि राजा चक्रधर सिंह ने रायगढ़ में किले के साथ ही गीत के गढ़ बनाए है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के श्रोताओं की तारीफ करते हुए कहा कि कहा कि विदेशों में कविता धन सुनता है वहीं छत्तीसगढ़ के किसी भी क्षेत्र में आने पर लगता है जैसा कविता मन सुन रहा है.... मैं जब तेज चलता हूं तो नजारे छूट जाते है... कोई दिवाना कहता है कोई पागल समझता है.... पुराने दोस्ती को इस नई ताकत से मत तौलों ये संबंधों की तुरपायी है षडयंत्रों से मत खोलों...जैसे कविता पाठ पढ़ी तो श्रोताओं की वाहवाही के साथ तालियां बजती रही।
डॉ.सुरेन्द्र दुबे ने मंच पर आकर जैसे ही कहा कि टाईगर अभी जिन्दा है...श्रोताओं ने तालियों से उनका स्वागत किया। उन्होंने रायगढ़ पर चुटकी लेते हुए कहा कि रायगढ़ के एक बात खास है, यहा के आदमी एकदम झकास हे... काबर हाथ में माचिस रखके सिगरेट मांगथे....गजब के आत्मविश्वास है। दु के पहाड़ा चार बर पढ़, अमटाहा भांटा ला खां, मूंनगा ला चूचर, राजीम में नहां के डोंगरगढ़ चढ़.. इही ला कथे छत्तीसगढ़... उन्होंने बताया कि जब बाहर जाने पर पूछा जाता है कि छत्तीसगढ़ में देखने लायक क्या है, तो उन्हें श्रोताओं को गुदगुदाते हुए कहा कि एक तो में हो...
साक्षी तिवारी ने वीर रस पर कविता पाठ पढ़ी। उन्होंने तेरी छॉव में सावली हो गई, न सुध-बुध रही, बावरी हो गई, जब से तुमसे मिली शेरनी हो गई...इसी प्रकार उन्होंने श्रीराम पर कविता पाठ किया-कठिन होता है निष्काम हो जाना, नहीं आसान जग में श्रीराम हो जाना... इसी प्रकार उन्होंने वंदे मातरम कहो जी वंदे मातरम...पर जोशपूर्ण भक्ति गीत पर कविता पाठ की। दिनेश बावरा ने श्रोताओं को हंसाते हुए वर्तमान में मोबाइल के दुष्परिणाम को भी बातों ही बातों में कह डाली। उन्होंने कहा कि इसने छीना है नई किताबों के सुगंध को, बेटी के शादी के निमंत्रण पत्र पर लगे हल्दी के गंध को... कवि सुदीप भोला ने राजनीतिक पर चुटकुले लेते हुए दर्शकों को हंसी-ठिठोली में डुबाया रखा। उन्होंने भारतीय रेल के टायलेट में लिखे नंबरों पर श्रोताओं को खूब हंसाया।
असम की लोक संस्कृति चक्रधर समारोह में जीवंत हो उठी। मेझांकोरी मेघ मोल्लार संस्थान के कलाकारों ने मंच पर असम की इंद्रधनुषी संस्कृति की छटा बिखेरी। दर्शक मंत्रमुग्ध होकर असम की लोक संस्कृतियों का आनंद उठाया। गौरतलब है कि मेझांकोरी मेघ मोल्लार ने विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों का सफलतापूर्वक आयोजन किया है, जिससे असम की सामाजिक-जातीय पहलुओं को लोगों के सामने लाया गया है और लोगों को याद दिलाया गया है कि असम केवल आंखों के सामने से अधिक है। मेझांकोरी मेघमोल्लार एक सांस्कृतिक संगठन है, जिसकी स्थापना 2016 में हुई थी। इस संगठन की स्थापना मणाशी दत्ता और सत्योजीत बोरपट्रागो द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य असम की लोक संस्कृति के लिए कुछ करने का था। तब से यह असमिया संस्कृति को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के मिशन में बदल गया है। संस्था ने कुशल, जीवंत युवाओं की एक टीम बनाई और विभिन्न आयोजनों में असमिया लोक संस्कृति को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए प्रदर्शन किया। इस संगठन ने कई कलाकारों को प्रशिक्षित किया है, जिन्होंने इस क्षेत्र में नाम और प्रसिद्धि अर्जित की है। मेझांकोरी मेघमोल्लार ने असम में 400 से अधिक स्टेज शो किए हैं। हमने नई पीढ़ी में हमारी लोक संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के लिए कई कार्यशालाओं, विशिष्ट सत्रों और अन्य आयोजनों का भी आयोजन किया है। अपनी 19 सदस्यीय टीम के साथ उन्होंने प्रदर्शन किया। असमिया लोक संस्कृति, जिसमें सत्रिया नृत्य, बिहू, मिसिंग, राभा, करबीए देवरी आदि शामिल हैं, की प्रस्तुति से लोगों का प्यार पाया।
चक्रधर समारोह के अंतिम दिन छत्तीसगढ़ की पारंपरिक गेड़ी नृत्य प्रस्तुति ने खूब वाहवाही बटोरी। बिलासपुर से आए लोक श्रृंगार भारती गेड़ी नृत्य दल ने संचालक अनिल कुमार गढ़ेवाल के नेतृत्व में शानदार प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। दर्शकों ने लंबे अरसे बाद सामूहिक गेड़ी नृत्य देखा और इसका भरपूर आनंद उठाया। उल्लेखनीय है कि गेड़ी लोक नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य की पुरातन लोक संस्कृति में से एक है। जिसे हरेली पर्व के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य के विद्वानों एवं बुजुर्गो की ऐसी मान्यता रही है कि गेड़ी नृत्य लगभग 2000 वर्ष से भी अधिक पुराना लोक नृत्य है। इस नृत्य परंपरा को लोक श्रृंगार भारती के लोक कलाकारों ने फिर से जीवित किये हैं और इसका सरंक्षण कर रहे है। गेड़ी लोक नृत्य दल को उड़ीसा राज्य के कटक जिला में आयोजित राष्ट्रीय संगीत एवं नृत्य प्रतियोगिता में 215 दलों की भागीदारी में प्रथम स्थान प्राप्त हो चुका है। वैसे ही उत्तरप्रदेश के बरेली शहर में आयोजित उत्सव में 200 दलों की भागीदारी में प्रथम स्थान तथा पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में आयोजित राष्ट्रीय गीत एवं नृत्य, नाट्य प्रतियोगिता में 195 दलों की भागीदारी में गेड़ी नृत्य को प्रथम स्थान प्राप्त हो चुका है। अभी तक उनकी टीम द्वारा गेड़ी लोक नृत्य का प्रदर्शन भारत वर्ष के 13 राज्यों में किया जा चुका है। गेड़ी नृत्य दल की सबसे बड़ी खास बात यह है कि आज के आधुनिक युग में भी इस नृत्य दल में आपको आधुनिकता का एक अंश भी नजर नहीं आया।

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका ने प्रस्तुति देने वाले कलाकारों का किया सम्मान
39वें चक्रधर समारोह के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल रमेन डेका ने कवियों एवं प्रस्तुति देने वाले कलाकारों का शॉल और श्रीफल तथा स्मृति चिन्ह से सम्मान किया। इस अवसर पर वित्त मंत्री एवं स्थानीय विधायक ओ.पी. चौधरी, लोकसभा सांसद राधेश्याम राठिया, राज्यसभा सांसद श्री देवेंद्र प्रताप सिंह, संचालक संस्कृति विभाग विवेक आचार्य, कलेक्टर कार्तिकेया गोयल, पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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