जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राज्य सरकार की सौर सुजला योजना के तहत किसानों को सोलर पंप लगवाने के बाद उसकी मरम्मत के लिए पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। इसी तरह आदिवासी और दूरस्थ अंचलों में सौर उर्जा पैनल लगाकर रोशनी पहुंचाने की योजना भी चरमराने लगी है। क्रेडा की इन योजनाओं में हितग्राहियों को रियायती दर पर सोलर पंप और सोलर पैनल उपलब्ध कराया जाता है। सौर सुजला योजना राज्य में 2016 में शुरू हुई थी जिसमें किसानों को सोलर पंप लगवाने के लिए 90 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है। किसानों ने बड़ी संख्या में योजना का लाभ लिया लेकिन अब मेंटनेंस के अभाव में उनके खेतों में लगे सोलर पंप बंद पड़े हैं। ऐसा ही हाल सौर उर्जा का भी है, कई गांवों में सोलर प्लेट, प्लांट और घरेलू उपकरण खराब हो गए हैं। मरम्मत के लिए नियुक्त तकनीशियन भी इनके मरम्मत पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं के्रेडा के अधिकारी योजना के क्रियान्वयन में ही कई तरीकों से कमीशनखोरी और अनियमितताओं के जरिए सरकारी रकम हड़पने में ही मशगुल हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही जनहित की योजनाएं भी दम तोड़ रही हैं।
खराब पड़े हैं किसानों के खेतों में लगे सोलर पंप
सौर सुजला योजनांतर्गत कई किसानो के खेतों में लगाए गए लगभग सभी सोलर पंप खराब हो गए हैं। किसान खेतों में सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। क्रेडा की सौर सुजला योजना 2016 में शुरू हुई थी। अब तक 3 हजार 468 किसानों के खेतों में सौर उर्जा सोलर पंप लगाए जा चुके हैं। इसमें किसानों को 95 प्रतिशत अनुदान मिलता है। नरहरपुर विकासखंड के ग्राम भीमाडीह में एक किसान ने खेत में 2 साल पहले सिंचाई के लिए सोलर पंप लगवाया था जो पिछले 8 माह से खराब पड़ा है। मरम्मत करने कोई टेक्रिशियन भी नहीं मिल रहा है। उनके गांव में लगभग सभी किसानों के खेतों में लगे सोलर पंप खराब पड़े हैं। क्रेडा मरम्मत पर ध्यान नहीं देता। ग्राम कोड़ेजुंगा में 12 किसानों ने सोलर पंप लगवाए थे जिसमें से 6 किसानों के सोलर पंप खराब हो चुके हैं।
सौर ऊर्जा की रौशनी से भी वंचित हुए ग्रामीण
सूरजपुर जिले के ओडग़ी विकासखंड के चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र के दूरस्थ ग्रामों में विद्युत लाइन का विस्तार आज तक नहीं किया गया है। जंगल, पहाड़ से घिरे बसाहटों में सौर ऊर्जा से रौशनी की व्यवस्था की गई थी। छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास (क्रेडा) द्वारा यह सारी व्यवस्था की गई थी। अब धीरे-धीरे तकनीकी कारणों से यह व्यवस्था चौपट होती जा रही है। कई गांवों में सोलर प्लेट, प्लांट और घरेलू उपकरण खराब हो गए हैं। अब सुधार के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं होने से गांववालों को अंधेरे में रात गुजारना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास द्वारा अब सोलर लाइट व्यवस्था को नजरअंदाज किया जा रहा है। संसाधनों की कमी भी व्यवस्था में बाधा बन रही है।
ग्राम पंचायत महुली और कोल्हुआ के विभिन्न बसाहटों में सौर ऊर्जा से रोशनी की व्यवस्था की गई है। महुली के पहाड़पारा में एक महीने से तकनीकी बाधा के कारण लगभग सवा सौ घरों में अंधेरा छाया हुआ है। ग्राम पंचायत कोल्हुआ एवं आश्रित ग्राम भाटपारा में सौर ऊर्जा चलित उपकरण लगाए गए थे। अब ये खराब हो चुके है। ग्राम पंचायत कोल्हुआ में 50 फीसद होम लाइट खराब हो चुके हैं। लगभग तीन वर्ष पूर्व ग्रामीणों को ये उपकरण दिए गए थे। बताया जा रहा है कि सौर ऊर्जा चलित उपकरणों के रख रखाव के लिए तकनीशियन नियुक्त किए गए हैं, जिन्हें क्षेत्र भ्रमण कर व्यवस्था बनाना है लेकिन कई माह से ग्रामीणों से उसने संपर्क नहीं किया है। सुधार के लिए कोई पहल नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व में जिस तकनीशियन को सोलर लाइट के संधारण की जबाबदारी दी गई थी उसके द्वारा नियमित रूप से ग्रामीणों से संपर्क किया जाता था जिससे किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आई। अब बिगड़े उपकरण घरों में शो पीस बने हुए है। क्रेडा के अधिकारी विजय कुमार ने बताया कि वे ओडग़ी विकासखंड क्षेत्र में हितग्राहियों की सूची निकलवा रहे है। प्रत्येक लाभान्वित हितग्राही से संपर्क किया जाएगा। सौर ऊर्जा से रौशनी की व्यवस्था में जो भी बाधाएं सामने आ रही है उसका निराकरण किया जाएगा।
क्रेडा में कुछ चुनिंदा फर्मों और डमी एजेंसियों का कब्जा!
क्रेडा में पिछले 15 वर्षो में भारी अनियमितता चल रही है। पिछले दिनों डुअल पंप टेंडर में 300 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ था। खुलासे क्रेडा में हड़कंप भी रहा और संबंधित जिम्मेदार टेंडर से जुड़े डाटा कंम्प्यूटर से हटाने सक्रिय हो गए थे। इसके बाद लगातार जनता से रिश्ता को क्रेडा के अन्य टेंडरों में हुए घोटाले को लेकर शिकायतें मिल रही हैं। अधिकारियों की कुछ चुने हुए सौर उर्जा प्रतिष्ठानों से सांठगांठ कर उनसे ही 80 फीसदी से ज्यादा कार्य निष्पादन कराया जा रहा है। इससे ये संस्थानें लाभ तो कमा ही रही हैं, क्रेडा के अधिकारी भी लाल हो रहे हैं। क्रेडा में सालों से एक ही सीईओ जिम्मेदारी संभाल हुए हैं, उनसे मिलीभगत और सांठगांठ के जरिए ही कुछ चुुनिंदा सौर उर्जा प्रतिष्ठानें स्वयं और अपनी छाया प्रतिष्ठानों के माध्यम से सरकार का खजाना लूट रहीं हैं और उनसे क्रेडा के उच्चाधिकारी से लेकर तमाम जिम्मेदार भी उपकृत हो रहे हैं। जनता से रिश्ता ने सूचना के अधिकार के तहत क्रेडा के जनसूचना अधिकारी से नक्सल प्रभावित इलाकों में कितने सोलर ड्यूल पंप लगे और एक पंप स्थापित करने में आने वाले खर्च की जानकारी मांगी थी लेकिन क्रेडा के जनसूचना अधिकारी अभिषेक शुक्ला ने नक्सल प्रभावित जिलों में विभिन्न विन्यास के कुल 7660 नग सोलर ड्यूल पंपों की स्थापना होने की जानकारी देते हुए अलग-अलग विन्यास के सोलर ड्यूल पम्पों की दरे विभिन्न निविदाओं के तहत भिन्न-भिन्न प्राप्त होने का हवाला देकर एक पम्प स्थापित करने में आने वाले खर्च की गणना किया जाना अव्यवहारिक बताकर जानकारी देना असंभव बताया है। आरटीआई के तहत जानकारी न देकर भी क्रेडा द्वारा अनियमितताओं पर परदा डाला जा रहा है।