- राजधानी में खाद्य विभाग का छापा, सिलेंडरों से गैस निकालते हुए पकड़ा
- एक ट्रक तीन डिलेवरी वाहन सहित 350 खाली-भरे सिलेंडर जब्त किए
- कामर्शियल सिलेंडर से चोरी कर मनमानी कीमत पर बेच रहे कूकिंग गैस
- नापतौल विभाग-खाद्य विभाग व गैस एजेंसियों-पेट्रोल पंप मालिकों की सांठगांठ
- जांच के नाम पर खानापूर्ति का खेल बदस्तूर जारी
- कम पेट्रोल-गैस-राशन मिलने की शिकायत की नहीं होती सुनवाई
- मंदिर हसौद पेट्रोल डिपो के सामने टैंकर से होती है पेट्रोल और गैस की चोरी
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। खाद्य विभाग ने राजधानी रायपुर में बड़ी कार्रवाई की है। उरकुरा स्थित अमर इंडेन गैस एजेंसी के स्टाफ ने एजेंसी के कर्मचारियों को सील लगे सिलेंडरों से गैस निकलते रंगे हाथों पकड़ा है। खाद्य विभाग की टीम ने एक ट्रक तीन डिलेवरी वाहन सहित 350 खाली-भरे सिलेंडर जब्त किए हैं। खाद्य विभाग की टीम को लगातार इस संबंध में जानकारी मिल रही थी। आखिरकार बुधवार को टीम बनाकर छापेमारी कार्रवाई की है। जहां इस वक्त कार्रवाई जारी है। फिलहाल इस संबंध में गैस एजेंसी के संचालक से लेकर कर्मचारियों तक से पूछताछ की जा रही है। खाद्य विभाग टीम का कहना है कि लगातार लोगों से इस एजेंसी से भेजे जाने वाले गैस के सिलिंडर में घटतौली की शिकायत मिल रही थी। इसी को देखते हुए औचक छापेमारी कार्रवाई की गई है, ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके और लोगों को हो रहे नुकसान को बंद किया जा सके।
गैस सिलेंडरों के दाम में वृद्धि होने अवैध कारोबार बढ़ी
इधर, गैस सिलेंडर के दाम में वृद्धि होने के कारण अवैध कारोबार की रफ्तार तेजी से पकड़ लिया है। दूसरी ओर कई बार मोहल्लों में वजन को लेकर गैस सिलेंडर के डिलिवरी ब्वाय के दुव्र्यवहार की लोगों की शिकायत भी रहती है। सिलेंडर का वजन कम होने पर कई बार मोहल्लों में लोगों द्वारा डिलीवरी ब्वाय के साथ बहसबाजी देखने को मिलती है। इधर, सूत्रों के अनुसार राजधानी में अभी कई एजेंसी अवैध गैस बनाने का काम कर रही है। इस पर खाद्य विभाग नकेल कसने के तैयारी है।
2500 का कई गुना कमा रहे - सबसे ज्यादा कामर्शियल सिलेंडर से गैस की चोरी कर उसका कामर्शियल इस्तेमाल फैक्ट्रियों और होटलों में हो रहा है। आपूर्ति को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर गैस की चोरी हो रही हैं। इसके आड़ में लोग कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं। कामर्शियल गैस की एक सिलेडर की कीमत अगर 25 सौ रुपए है तो ऐसे 100 सिलेंडरों से गैस चुराकर टैंकर में भरकर इसकी कालाबाजारी की जा रही है। फैक्ट्रियों-होटलों में यही गैस बड़े मुनाफे के साथ कई गुना ज्यादा दाम पर बेची जा रही है। गैस कंपनियों, एजेंसियों की सांठगांठ से यह पूरा काला कारोबार चल रहा है। नापतौल विभाग के अधिकारी भी इनसे मिले हुए हैं।
कामर्शियल सिलेंडर से गैस लेककर मुनाफा कमाना
एक ओर रसोई गैस सिलेंडर में कम वजन की जांच नहीं होती। हर सिलेंडर में दो-तीन किलो गैस कम रहती है इससे एजेंसी वाले खाली सिलेंडर रिफलिंग कर ब्लैक में बेचते हैं। एजेंसियों से सांठगांठ कर कई निजी कारोबारी भी गैस की कालाबाजारी कर रहे हैं। इस सब गतिविधियों पर नापतौल और खाद्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता। अधिकारी वसूली में लिप्त रहते हैं और एजेंसियां मनमानी करती रहती हैं। यही हाल पेट्रोल पंपों का है जहां मशीन के माप की जांच ही नहीं होती। इस धंधे में डिपो से पेट्रोल और रसोईगैस सप्लाई करने वाले एजेंसी और पेट्रोल-गैस डिपो के अधिकारी की साठगांठ के जलते आम उपभोक्ता को 2 से 4 किलो सिलेंडर में गैस कम मिल रहा है। सप्लाई देते समय गैस सिलेंडर को तौल कर देने का नियम होने के बाद भी घर सेवा पहुंचाने वाले हाकर और एजेंसी के कर्मचारी कभी गैस सिलेंडर को उपभोक्ता से सामने तौल कर सप्लाई नहीं देते। गैस लिकेज की चेकिंग बड़ी मुश्किल से करते है। इस तरह की घल्लुघारा गैस एजेंसी में चल रहा है। राजधानी में 5 प्रमुख कंपनियों के डीलर्स गैस सिलेंडर की एजेंसी ले रखा है। उनके कर्मचारी घर पहुंच सेवा दे रहे है। इस सेवा के बदले वे पहले से ही एजेंसी से निकलते ही गैस सिलेंडर से चोरी करना शुरू कर देते है। एजेंसी से गाड़ी निकलने के बाद एक निश्चित स्थान पर सिलेंडर रिफिलिंग होती है वहां गाड़ी को लेकर पहुंचते है और सभी सिलेंडरों से से 2-4 किलो गैस चोरी कर कमर्शियल उपयोग होने वाले सिलेंडर में रिफिलिंग कर होटल और धर्मशालाओं के साथ जहां शादी-ब्याह या सामाजिक, सांस्कृतिक आयोजन होते है उन्हें सप्लाई करते है। इस तरह गैस सिलेंडर की खुलेआम चोरी कर उपभोक्ताओं को 4 किलो गैस देने का सिलसिला चल रहा है। जिस पर न तो पेट्रोलियम विभाग के स्थानीय अधिकारी मानिटरिंग करने की जहमत उठाने है और न ही नापतौल विभाग के अधिकारी गैस रिफिलिंग की नियमित मानिटरिंग करते है। मंदिर हसौद स्थित पेट्रोलियम डिपो के सामने ड्राइवर टैकर से पेट्रोल और गैस की चोरी करने का दुस्साहस करने से भी बाज नहीं आतेे।
शिकायत पर नहीं होती सुनवाई
कम गैस मिलने की शिकायत कहां करना है अधिकांश उपभोक्ताओं की जानकारी में ही नहीं है जिसका बेजा फायदा गैस एजेंसी वाले उठाते है। एजेंसी वाले खुद ही अपने गोडाउन में गैस रिफिलिंग करवाते है। जिसमें घरेलू और कमर्शियल गैस सिलेंडर की रिफिलिंग करते है। घरेलू उपभोक्ताओं के देने वाले गैस सिलेंडर में जानबूझकर 4 किलो गैस कम भरते है। वहीं जब उपभोक्ता के घर सिलेंडर पहुंचाते है तब न तो सिलेंडर को तौलते है और न ही लिकेज चेकिंग की जांच करते है। जिससे उपभोक्ताओं दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है। न तो एजेंसी में शिकायत दर्ज पुस्तिका होती है और न ही सप्लाई देने वाले शिकायत पुस्तिका लेकर चलते है। जबकि नियमत: दोनों ही स्थिति में शिकायत पुस्तिकाउपलब्ध होनी चाहिए । मगर ऐसा छत्तीसगढ़ के किसी में नगर या शहर, ग्रामीण क्षेत्र में सुविधा उपभोक्ताओं को उपलब्ध नहीं तो जो अपनी शिकायत दर्ज करवा सके।