सारंगढ़। सारंगढ़ की दो पंचायतों में सरपंच और धरमजयगढ़ की तीन पंचायतों में पंच के पद सात साल से खाली हैं । स्थानीय लोगों का दबाव ऐसा है कि ना तो यहां जनप्रतिनिधि निर्विरोध चुने जाते हैं और ना ही चुनाव कराने दिया जाता है। यहां चुनाव और उपचुनाव जैसी स्थिति बन रही है।
तीन साल पहले उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन कोई नामांकन भरने नहीं आया। सारंगढ़ के बरभाठा (अ) में एक महिला निविर्रोध सरपंच बनी तो कुछ माह बाद उसने इस्तीफा दे दिया। असामाजिक लोग पंचायतों में पंचायती राज व्यवस्था के बदले अपना राज चलाते हैं। धरमजयगढ़ में भी तीन पंचायतों में भी ऐसी ही स्थिति है।
सारंगढ़ के दुर्गापाली और बरभाठा (अ) में 2019 में सरपंच का चुनाव हुआ था। यह सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। पहले यह रिपोर्ट आई कि यहां पर एसटी कैटेगरी का एक भी परिवार नहीं रहता है। स्थानीय निर्वाचन आयोग ने जानकारी जनपद पंचायत सीईओ की कमेटी ने जांच कराया तो पता चला कि भरभाठा (अ) में एसटी कैटेगरी की एक परिवार था, जिसमें कुसुम गोंड को निविर्रोध सरपंच बनाया । 2019 में चुनाव होने के बाद 2020 में उनपर कुछ लोगों ने दबाव बना कर इस्तीफा ले लिया, उसके बाद से वहां का सरपंच का पद खाली पड़ा हुआ है। दुर्गापाली में भी एसटी वर्ग के पद आरक्षित है। चुनाव, उपचुनाव दोनों नहीं हुए। कुछ दिन पहले जनपद पंचायत के माध्यम से एक रिपोर्ट मांगी गई तो पता चला कि वहां भी एक एसटी परिवार ही है। लेकिन डर से वे जनप्रतिनिधि नहीं बनना चाहते हैं।