छत्तीसगढ़

बसों में तस्करी, जीएसटी पर भी डाका डाल रहा ट्रेवल्स माफिया

Nilmani Pal
25 Sep 2022 6:18 AM GMT
बसों में तस्करी, जीएसटी पर भी डाका डाल रहा ट्रेवल्स माफिया
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जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। ट्रेनों के बंद होने का फायदा बस आपरेटर जमकर उठा रहे है। किराया के नाम पर यात्रियों से बस कंडक्टर को हर यात्री से हू-हुज्जत करते देखा जा सकता है। महिला यात्रियों के साथ दुव्र्यवहार तो आम बात हो गई है। जिसे बस में सफर करना है तो उसे बेइज्जती झेलनी ही पड़ेगी । भाठागांव में बस स्टैंड जाते ही सबसे पहले बस संचालकों ने किराया बढ़ाने को लेकर हड़ताल कर दिया। सरकार ने उनकी बात मान भी ली मगर बस स्टैंड में तो बस आपरेटरों की दादागिरी चरम पर पहुंच गई है। न तो ड्रेस कोड का पालन करते है और न ही निर्धारित टिकट की सूची बसों में लगी है। यात्री किराया के नाम पर बस संचालकों की मनमानी दादागिरी के साथ चल रही है।

सूत्रों ने बताया कि पुलिस की मिली भगत से तस्करी को भी अंजाम दे रहे है? बसों से यात्रा करना और पार्सल भेजना इतना महंगा हो गया है कि ट्रेन के सेकंड एसी का किराया भी बसों से कम है। राजधानी सहित पूरे प्रदेश में बसों का सफर इतना महंगा हो गया है कि सेंकड एसी का किराया उससे कम है। करोनाकाल के बाद जैसे-तैसे लोगों की जिंदगी पटरी पर आई, रोजी रोजगार के साधन शुरू हुए तो केंद्र सरकार ने सैकड़ों ट्रेनों को मेंटनेंस और दोहरी लाइन को नाम पर बंद करने के कारण बसों में सवारियों का दबाव बढ़ते ही बस आपरेटरों ने मनमानी शुरू कर दी। अंतरराज्यीय बस स्टैंड से संचालित बसों में लंबी दूरी के सफर के लिए दोगुना किराया वसूला जा रहा है। मनमानी का आलम यह है कि एक ही रूट में चलने वाली अलग-अलग ट्रैवल्स एजेंसियों का किराया अलग-अलग है। वो भी जब शासन ने दूरी के हिसाब से बसों का किराया निर्दारित कर दिया है। उसके बाद भी सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए किराया वसूली में मनमानी कर रहे है। सरकार के परिवहन विभाग का सीधे हस्तक्षेप नहीं होने से यात्रियों की शिकायतों पर भी पुलिस कोई ध्यान नहीं दे रही है।

मुंहमांगा किराया नहीं देने पर उतर जाते है मारपीट में

बस संचालकों और बुकिंग एजेंटों की मनमानी देखनी है तो अंतरराज्यीय बस स्टैंड भाठागांव में टिकट बुकिंग करा कर देख सकते है। यहां एजंटों की मनमानी से आम जनता त्रस्ेत है। लेकिन कुछ नहीं कर सकते, कही शिकायत करने का भी प्रावधान वहां पर नहीं है। पुलिस चौकी में तो बस ड्राइवरों और कंडक्टरों का जमावाड़ा रहता है। बुकिंग एजेंटों या कंडक्टरों से अधिक किराया वसूलने की बात कहने पर बदतमाजी में उतर जाते है। कई बार तो मामला मारपीट तक पहुंंच जाता है। विभागीय अधिकारियों को इसकी शिकायत कैसे करें बस स्टैंड में तो शिकायत के लिए कोई टोल फ्री नंबर भी जारी नहीं हुआ है। जिसका बेजा फायदा बस आपरेटर उठा रहे है। उनको मालूम है कि हमारी शिकायत नहीं हो सकती इसलिए बेखौफ होकर दुगुना किराया वसूली कर रहे है।

रूट वहीं मगर किराया अलग-अलग

अंतरराज्यीय बसे स्टैंड से संचालित होने वाली बसों में बसे बड़ी विडंबना यह है कि एक ही रूट की बसों में अलग-अलग किराया है। चौंकाने वाली बात यह है कि कोई कंडक्टर दो सौ रुपए ज्यादा बता रहा है तो कोई 5 सौ रुपए ज्यादा बता रहा है। बसे स्टैंड में आदमी देखकर किराया लिया जा रहा है। अफसर क्लास,पढ़े लिखे शहरी, गांव-देहात से आकर यात्रा करने वाले यात्रियों से अधिक किराया लेने का प्रचलन निकल पड़ा है। वहीं अफसर क्लास और शहरी लोगों से उससे कुछ कम लिया जा रहा है।

एक नजर किराए पर सर्वे के अनुसार

राजधानी रायपुर से राउरकेला के लिए बस का किराया 12 सौ रुपए है तो ट्रेन का किराया 985 रुपए है। नागपुर जाने के लिए बस का किराया 900 रुपए है तो ट्रेन का किराया 800 रुपए है। हैदराबाद 1800 रुपए तो ट्रेन का किराया 1600 रुपए है। भुवनेश्वर का किराया 1600 रुपए जबकि ट्रेन का किराया 1470 रुपए है। प्रयागराज 1700 रुपए ट्रेन का किराया 1470 रुपए है।

करोड़ों की जीएसटी चोरी

सूत्रों की माने तो बस आपरेटरों और पुलिस की मिली भगत से बसों में बिना हिसाब-किताब के जीएसटी चुकाए बिना सामान भेज कर करोड़ों की जीएसटी की चोरी की जा रही है। वहीं राजधानी में प्रतिबंधित नशीले मादक पदार्थ आ रहे और जा रहे है। पार्सल का जांच नहीं होने के कारण आसानी से तस्करी का सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंच रहा और आ रहा है। बड़े पैकेटों में कपड़ा-किराना सामान लिखे पार्सल में अवैध सामान का परिवहन धड़ल्ले से हो रहा है। जिसके लिए बस आपरेटर पार्सल ले जाने के लिए हजारों रुपए भाड़ा लेकर माल की सप्लाई कर रहे है।

गुंडे बदमाशों का अड्डा बना बस स्टैंड

शहर के सारे बदमाश और जेबकट का अड्डा अंतरराज्यीय बस स्टैंड बना हुआ है। वहां पर रोज जेबकटी, छिनताई, उठाईगिरी होती है। वहां तो शहर के नामी गुंडों बदमाशों ने अड्डा बना लिया है । कुछ दिन पहले ही पुलिस ने चापामार कार्रवाई कर दो दर्जन गुंडों को बस स्टैंड से खदेड़ा था। उसके बाद कुछ दिनों तक ठीक चला फिर गुंडों ने डेरा जमा लिया है।

महिला यात्रियों से आए दिन हो रहे छेड़छाड़

अंतरराज्यीय बस स्टैंड बनाने के पीछे यात्रियों को सम्मानजनक यात्रा और सुविधा के लिए बनाया गया है मगर वहां पर उल्टा ही हो रहा है। हर दिन महिला यात्रियों के साथ धक्का मुक्की छेड़छाड़ हो रही है। बदनामी के डर से लोग शिकायत करने से डरते है। इस कारण वहां पर गुंडों के हौसले बुलंद है।

पुलिस से याराना

शहर के गुंड़ों ने पुलिस से बचने के लिए ट्रैवल्स एजेंसी में नौकरी करने के नाम पर डेरा जमा लिया है। उनका पुलिस के साथ हंसी मजाक-चाय पानी का याराना है। बसों में यात्रियों को बैठाने के बाद बस रवाना होते ही पुलिस चौकी में गुंडों का चाय पानी का दौर शुरु हो जाता है। हर ट्रैवल्स में इस तरह के लोग जुड़े हुए है जो बसों के साथ भी चलते है और टाइमिंग और सवारी बैठाने को लेकर भी दूसरे बस आपरेटरों से उलझते रहते है। पुलिस वहां कार्रवाई के नाम सिर्फ तमाशा देखते रहती है।

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