छत्तीसगढ़

एसकेएस इस्पात की संपत्ति कुर्क, लोन हड़पने का आरोप

Nilmani Pal
29 Jun 2023 5:59 AM GMT
एसकेएस इस्पात की संपत्ति कुर्क, लोन हड़पने का आरोप
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ईडी ने धोखाधड़ी के प्रकरण में कई प्रकार की जांच शुरू की

अब मामला तमिलनाडु बैंक से फंसा तो खुलासा हुआ कि क्या साजिश थी

फर्जी ईडी अधिकारियों का चारागाह बना छत्तीसगढ़

दो पहले महाराष्ट्र के ठगों ने आबकारी-पर्यावरण मंडल के अधिकारियों को लगाया चूना

एसकेएस का मालिक शुरूआत से ही हेराफेरी, फोरजरी, मामले का आरोपी रहा

पैसे के बल पर अपने रसूख का राजनीतिक फायदा उठाकर इधर-उधर से लोग लेकर हड़प लेता

एसकेएस इस्पात की 517.81 करोड़ की संपत्ति जब्त, तमिलनाडु की कंपनी के साथ लोन हड़पने की रची साजिश

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। स्थानीय अधिकारियों और व्यापारियों में ईडी -आईटी का इतना खौफ है कि नाम सुनते ही सरेंडर कर देते है और समजौता के मनाम पर फर्जी अधिकारी को 2-5 लाख की चढ़ोत्री कर देते है। बाद में पता चलता है कि वो अधिकारी तो फर्जी हो तो सिर पिटते रहते है। दो दिन पह ले भी पर्यावरण और आबकारी अधिकारी के साथ ठगी हो चुका है। आज फिर राजधानी बनने के बाद बन धनाढ्यों एसकेएस की गिनती होने लगी थी, एसकेएस का मालिक अपनी चतुराई और सीए से फर्जी कंपनी बनाकर अलग-अलग बैंकों से लोन लेने में शातिर है। कोई भी फर्जी कंपनी स्थापना के लिए करोड़ों रूपए लोन लेने के मामले में अब तमिलनाडु बैंक ने सख्ती दिखाई और संपत्ति को सीज की है। नहीं तो स्थानीय पुलिस तो ऐसे नामचीन लोगों को बख्शीस लेकर सलामबजा लाते है। बैंक धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के एसकेएस इस्पात एंड पावर कंपनी की 571.81 करोड़ रुपये की सम्पत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर ली है, जो कि तमिलनाडु के 895 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले से संबंधित है। इस धोखाधड़ी में तमिलनाडु के त्रिचरापल्ली स्थित बायलर निर्माता कंपनी मे. सेथर लिमिटेड भी शामिल हैं। कंपनियों ने बैंक से कर्ज लेकर उसका भुगतान नहीं किया। ईडी के मुताबिक सेथर और एसकेएस ने मिलकर यह साजिश रची थी। सेथर लिमिटेड ने एसकेएस को गलत तरीके से 228 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया और लोन के दस्तावेजों में हेराफेरी की। ईडी ने वर्ष 2012 के मामले में सेथर के निदेशक सुुब्बुराज और एसकेएस इस्पात के सीएमडी अनिल गुप्ता के खिलाफ जांच की कार्रवाई आगे बढ़ाई है। ईडी इस मामले में 2019 से जांच कर रही है। ईडी ने एसकेएस कंपनी के भूमि, भवन, संयंत्र, मशीनरी, रेलवे साइडिंग, जिनकी वर्तमान कीमत 571 करोड़ रुपए हैं। इन्हें अस्थायी रूप से जब्त किया है। यह धन-शोधण निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत किया जा रहा है।

सोझी-समझी साजिश के तहत लिया ऋण

जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु की कंपनी सेथर लिमिटेड और एसकेएस पावर ने मदुरै स्थित इंडियन बैंक से 895 करोड़ रुपए का ऋण सोझी-समझी साजिश के तहत लिया था। 31 दिसंबर 2012 को ऋ ण के लिए बनाई गई यह कंपनी एनपीए हो गई। इसके बाद इस मामले में इन कंपनियों के खिलाफ चेन्न्ई में वर्ष 2017 में नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में जांच शुरू हुई। ईडी ने वर्ष 2019 में मामले को पीएमएलए के तहत जांच के दायरे में लिया। तब भी एसकेएस के परिसरों की तलाश ली गई थी और 9.08 करोड़ रुपये के आभूषणों को जब्त किया गया था।

ईडी की जाल में ऐसे फंसा

जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु की कंपनी सेथर लिमिटेड का मुख्य कार्य बायलर निर्माण था। ऐसे में एसकेएस ने कंपनी से अपने संयंत्र के लिए बायलर मशीन की खरीदी की, लेकिन इसका बिल साजिश के तहत अधिक बनाया गया। अब इस अतिरिक्त बिल के एवज में सेथर कंपनी ने एसकेएस कंपनी के 228 करोड़ रुपये के शेयर खरीद लिए।

793 करोड़ की आय को छिपाने की दूसरी साजिश

ईडी ने अपनी जांच में कहा है कि वर्ष 2016-17 में सेथर लिमिटेड ने बैंक लोन के अलावा आपराधिक तरीके से अर्जित किए गए 793 करो? रुपये की धनराशि को एसकेएस इस्पात में सुरक्षित तौर पर भेजा। इस राशि का उपयोग एसकेएस इस्पात एंड पावर लिमिटेड ने अपने नियमित व्यवसायिक प्रक्रिया में किया। ईडी के मुताबिक सेथर लिमिटेड ने एसकेएस कंपनी में इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन का ठेका के नाम पर अपनी कंपनी के 3500 करोड़ रुपये को हेराफेरी की साजिश रची थी।

पहले भी दर्ज है मामला

एसकेएस पर इससे पहले वर्ष 2014 में स्टील अथारिटी आफ इंडिया (सेल) के ब्रांड का दुरुपयोग करने के लिए कार्रवाई की जा चुकी है। कंपनी पर आरोप था कि एसकेएस ने सेल के ब्रांड का उपयोग कर बाजार में वाणिज्यिक गतिविधियों में इस्तेमाल किया था। सेल ने ब्रांड के दुरुपयोग पर 300 करोड़ रुपये नुकसान का दावा किया था।

छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई की खबर फैला कर ठगी

राजधानी सहित छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख औद्योगिक शहरों में कार्यरत विभागीय अधिकारी और व्यापारी ठगों के टारगेट में है। केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय या ईडी के ताबड़तोड़ छापों की जांच की खबरों के बीच ठगों ने भी अब ईडी के नाम का धड़ल्ले से इस्तेमाल चालू कर दिया है। ईडी की कार्रवाई के नाम से बचने का झांसा देकर हाल में कई अफशरों को लाकों का चूना लगाने का खुलासा हुआ। दो दिन बाद फिर दुर्ग में ठगी जैसी लूट की वारदात हो गई। बुधवार को ईडी की कथित पांच सदस्यों ने दुर्ग के प्रतिष्ठित धान कारोबारी अखिलेश गुप्ता से दो करोड़ लूट लिए। गिरोह व्यापारी को गरफ्तार करने अपने साथ एसयूवी लेकर गए । रास्ते में कारोबारी को छोडक़र भाग निकले। तब जाकर कारोबारी ने मोहन थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई । अखिलेश कई कारोबार से जुड़े है।

मोहन नगर थाना प्रभारी विपिन रंगारी ने बताया कि जानकारी मिलते ही पांच अलग-अलग टीम गठित कर आरोपियों की तलाश में लगा दी गई है। आसपास के सीसीटीवी खंगाले जा रहे है। जल्द ही आरोपियों को पकड़ लिया जाएगा।

फर्जी ईडी अफसर बनकर अधिकारी को ठगा

आबकारी और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों को ईडी से बचाने का झांसा देकर ठगी करने वाले दो आरोपितों को पुलिस ने अमरावती से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने अश्वनी भाटिया निवासी कौशल्य विहार अमरावती महाराष्ट्र और निशांत इंगडे निवासी पथरौल तालुआ अमरावती महाराष्ट्र को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपित अश्वनी भाटिया खुद को ईडी के सेंट्रल कमांड का ज्वाइंट डायरेक्टर बताकर अधिकारियों से बात करता था। आरोपित स्वयं को ईडी, ईओडब्ल्यू, आयकर विभाग और एसीबी का अधिकारी होना बताकर देश भर में अधिकारियों को शिकार बनाया है। रायपुर में अलग-अलग आबकारी और पर्यावरण के चार अधिकारियों सहित खरगौन मप्र के भी एक अधिकारी से ठगी की है। आरोपित पर्यावरण संरक्षण मंडल रायपुर के दो अधिकारियों से कुल 10 लाख 60 हजार रुपये की ठगी की है।

छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग में पदस्थ अधिकारी ने थाना राखी में रिपोर्ट दर्ज करवाई कि 16 मई को कार्यालय के लेंडलाइन नंबर पर अज्ञात नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) नई दिल्ली से बात करना बताया। कुछ जानकारियां पूछी गई। उसने फोन पर पूछा कि उपायुक्त आबकारी कौन है, अभी हाल ही में रिटायर्ड उपायुक्त कौन है उनका मोबाइल नंबर पूछने के साथ ही एसएन साहू व रमेश अग्रवाल कौन है उनका मोबाइल नंबर पूछा। जिस पर प्रार्थी द्वारा उक्त सभी जानकारियां अज्ञात व्यक्ति को दे दी। प्रार्थी को ईडी का धौंस दिखाकर लगातार धमकाया जा रहा था। इसी प्रकार पर्यावरण संरक्षण मंडल नवा रायपुर में पदस्थ दो अधिकारियों के द्वारा 18 मार्च को फोन कर पहले डराया गया। इसके बाद बचाने के लिए दोनों से 10 लाख 60 हजार रुपये ले लिए गए। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि आरोपित निशांत इंगडे इंटरनेट के माध्यम से देश के अलग-अलग राज्यों व जिलों में पदस्थ उच्चाधिकारियों का मोबाइल नंबर व उनके कार्यालय का लैंडलाइन नंबर निकालता था। इसके बाद आरोपित अश्वनी भाटिया नंबर में फोन करता था। खुद को अलग-अलग जांच एजेंसी का अधिकारी बताता था। अश्वनी भाटिया अंग्रेजी भाषा में बात करने के साथ ही एक उच्चाधिकारी की तरह बात करता था, जिससे पीडि़त आसानी से उसका शिकार बन जाते थे। उसकी बातों से डर जाते थे। आरोपितों का ईडी सहित उक्त अन्य शासकीय जांच एजेंसियों से कोई संपर्क नहीं है।

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