छत्तीसगढ़ में सिंदूर उत्सव, सुहागिनों ने बड़े ही उत्साह के साथ मनाया
दंतेवाड़ा। बंगाली समाज द्वारा देवी दुर्गा माँ की पूजा के समय पूरे रीति-रिवाज के साथ 5 दिनों तक मां शक्ति की आराधना की जाती है। बंगाली समुदाय में एक विशेष प्रकार की पूजा करने के बाद कई रस्मों में भक्त, भक्ती में लीन हो जाते हैं। बड़े-बड़े पंडाल और आकर्षक मूर्तियों के साथ शानदार तरीके से बंगाली समाज देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। विजयादशमी के दिन मां दुर्गा को विदा किया जाता है, मतलब प्रतिमा विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। उससे पहले आज के दिन बंगाली समुदाय द्वारा सिंदूर उत्सव मनाया जाता है और मां दुर्गा के साथ सिंदूर खेला जाता है।
मां दुर्गा की विदाई का उत्सव दशमी के दिन होता है। इस दिन विजयदशमी का पर्व भी होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पान के पत्ते से मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं। जिससे मां दुर्गा और सुंदर हो जाती हैं। उसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और उत्सव मनाती हैं। एक दूसरे के सुहाग की लंबी आयु की शुभकामनाएं भी देती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जिस प्रकार एक बेटी को अपने घर से विदा किया जाता है, उसी प्रकार मां दुर्गा मायके से विदा होकर जब ससुराल जाती हैं तो सिंदूर से उनकी मांग भरी जाती है।