छत्तीसगढ़

गोलबाजार में मालिकाना हक मिलने का इंतजार कर रहे कारोबारियों को झटका

Nilmani Pal
12 Jun 2022 6:39 AM GMT
गोलबाजार में मालिकाना हक मिलने का इंतजार कर रहे कारोबारियों को झटका
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रायपुर न्यूज़

निगम की चिट्ठी से मचा हड़कंप, पशोपेश में फंसे कारोबारी

गोलबाजार के कारोबारियों को देना होगा विकास शुल्क
3 दिन पहले जारी चिट्ठी से कारोबारी जगत में बढ़ी हलचल
निगम अफसरों ने हमारे पास कोई माफी आदेश नहीं

जसेरि रिपोर्टर: रायपुर। गोलबाजार व्यापारी महासंघ को निगम के बाजार विभाग की चिट्ठी 8 जून को जारी की गई है। उस चिट्ठी के जारी होने के बाद से कारोबारी पशोपेश में फंस गए हैं। पत्र में विकास शुल्क के साथ निर्माण लागत का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पूर्व में जैसा तय किया गया है, उसी के अनुसार शुल्क वसूल किया जाएगा। गोलबाजार में मालिकाना हक मिलने का इंतजार कर रहे गोलबाजार के कारोबारियों में निगम की चिट्ठी से हड़कंप मच गया है। निगम की ओर से भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि उन्हें पूर्व घोषणा के अनुसार विकास शुल्क देना होगा। चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि रजिस्ट्री केवल दुकान जितनी जमीन पर बनी है, उसकी होगी। दुकान के निर्माण के अनुसार उसकी लागत अलग से ली जाएगी। हालांकि सरकार की ओर से विकास शुल्क माफ करने की घोषणा की जा चुकी है। दूसरी ओर राज्य शासन ने कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए न केवल विकास शुल्क माफ किया था बल्कि दुकानों की निर्माण लागत वसूलने से भी छूट देने का भी फैसला किया है। शासन की ओर से निर्माण लागत की जगह दुकानों के नियमितीकरण की घोषणा की गई है। महापौर ने भी व्यापारियों की इन दोनों मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजा था। उनके प्रयास के बाद ही शासन ने व्यापारियों को दोनों प्रमुख मांगों को मानते हुए इसमें छूट देने की घोषणा की है। सरकार के इस फैसले से कारोबारियों को चार हजार से लेकर 23 लाख रुपए तक की बचत सिर्फ विकास शुल्क से हो रही है।

निर्माण लागत भी लाखों में तय किया गया है। अब इसकी जगह नियमितीकरण होने से कारोबारियों के काफी पैसे बचेंगे। इससे उत्साहित व्यापारी मालिकाना हक की प्रक्रिया में तेजी से आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच दो दिन पहले निगम के बाजार विभाग से पत्र जारी हो गया। कारोबारियों का कहना है कि विकास शुल्क माफ करने का फैसला होने के बाद निगम से पत्र कैसे जारी हुआ है।
अफसरों ने तर्क दिया कि उनके पास शासन का आदेश नहीं पहुंचा है। उनकी चिट्ठी गोलबाजार के कारोबारियों के जनदर्शन से संबंधित है। कारोबारियों ने पिछले महीने जनदर्शन व अन्य माध्यमों से विकास शुल्क और निर्माण लागत में छूट को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आवेदन दिया था। मुख्यमंत्री कार्यालय से वह आवेदन जवाब के लिए निगम कार्यालय भेजा गया।
निगम के जवाब में विकास शुल्क और निर्माण लागत की माफी का जिक्र ही नहीं किया गया, जबकि मुख्यमंत्री माफी की घोषणा 21 मई को कर चुके हैं। निगम के अफसरों का कहना है कि मुख्यमंत्री की घोषणा अपने आप में कानून है, लेकिन अभी इस संबंध में शासन से कोई लिखित आदेश नहीं मिला है।
इसकी एक प्रक्रिया है। सबसे पहले नगर निगम की एमआईसी में विकास शुल्क और निर्माण लागत माफ करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। एमआईसी से मंजूरी के बाद यह शासन को भेजा जाएगा और वहां से इसका विधिवित आदेश जारी होगा।
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