![शहर बसाकर अब सुकून के लिए गांव ढूंढते हैं, बड़े अजीब हैं लोग हाथ में कुल्हाड़ी लिए छांव ढूंढते हैं... शहर बसाकर अब सुकून के लिए गांव ढूंढते हैं, बड़े अजीब हैं लोग हाथ में कुल्हाड़ी लिए छांव ढूंढते हैं...](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/05/30/1077950-pm.webp)
ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव
कोरोना की तीसरी लहर आने के पहले केंद्र सरकार को सतर्क हो जाना चाहिए। दो लहर में हम नाकामयाब रहे। सरकार वेक्सीन उत्पादन में पीछे रही है. दूसरी लहर में हुए परेशानी को लोग अभी भूले नहीं हैं। सिर्फ बयानबाजी से या टीवी पर आकर रोने से समस्या का हल नहीं निकलने वाला। विदेशो में वेक्सीन उत्पादक कंपनियों को उनकी सरकारों की ओर से भरपूर मदद दी गई। लेकिन हमारे देश में काफी सोच विचार करने के बाद वक्त बीत जाने के बाद मदद दी गई। सेन्ट्रल विस्टा जैसे अन्य प्रोजेक्ट भी तत्काल रोक देने चाहिए था और सिर्फ वेक्सीन उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए था। सीरम इंस्टिट्यूट ने लगभग दो हजार करोड़ इन्वेस्ट करके वेक्सीन का उत्पादन करना शुरू किया साथ ही मेलिंडा गेट्स की फाउंडेशन भी लगभग बाइस सौ करोड़ की मदद की तब जाकर वेक्सीन का उत्पादन शुरू हो सका। लेकिन भारत में वेक्सीन उत्पादक कंपनी भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट को मदद देने में सरकार काफी देर लगा दी। हालांकि केंद्र सरकार ने इन दोनों कम्पनियो को एडवांस देने में सभी नियमो को शिथिल जरूर कर दिया था लेकिन मदद करने में देर कर दी। विधान सभा चुनावो पर जितना ध्यान केंद्र सरकार ने दी उतना ध्यान अगर कोरोना से निपटने में दी होती तो आज स्थिति इतनी भयावह नहीं होती। इन सबकी कमी अब न हो ऐसा उपाय सरकार को करना चाहिए। इसी बात पर एक शायर कहता है - शहर बसाकर अब सुकून के लिए गांव ढंूढते हैं, बड़े अजीब हैं लोग हाथ में कुल्हाड़ी लिए छांव ढूंढते हैं।
शाबाश भूपेश जी
कोरोना संकटकाल में दुनिया छोड़ चुके लोगो के आश्रितों/बच्चों को पेंशन देने की मांग कई समाजसेवी संस्थाओ ने किया था। मांग जायज भी थी लेकिन ये वक्त के मारे थे पूर्व सांसद या विधायक तो नहीं थे। अब सरकार को फैसला लेना था कि इनको पेंशन दिया जाय या नहीं। बहरहाल प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने सहृदयता का परिचय देते हुए छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना लाकर उन बच्चो को अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षा, उन्हें छात्रवृति और प्रतिभावान बच्चो के लिए कोचिंग की नि:शुल्क व्यवस्था कर दी है। इस मामले में अब केंद्र सरकार भी उनके नक्शे-कदम पर चलने लगी है। शाबाश भूपेश दाऊ जी।
समय बलवान होता है
एक समारोह में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि देश में श्मशान भूमि की कमी हो रही है ऐसे में लोगो को दाह संस्कार को अपनाना चाहिए। कोरोना ने योगी जी के मनसूबे पर पानी फेर दिया । गरीब तबके के लोग दाह संस्कार विधि को खर्चीला बताकर दफऩाने और जल समाधी करने लग गए , नतीजन गंगा नदी के किनारे और गंगा नदी में हजारो की तादात में लाशे तैरते हुए मिले जिसे देश और दुनिया के लोगो ने देखा। इन सब को देख रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे काफी व्यथित और दुखी हुए सो उन्होंने योगी को पांच हजार एक सौ का चेक भेज कर मृतकों का अंतिम संस्कार सम्मान जनक तरीके से करने का अनुरोध किया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि समय बलवान होता है भैया ।
हिसाब बराबर
पिछले दिनों कांग्रेसियो ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया। इसके विरोध में भाजपाई जगह जगह धरना भी दिए। इसके जवाब में मध्यप्रदेश में भाजपाइयों ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर हिसाब बराबर कर दिए ।
सुर्खियों में बने रहना जरुरी है
राजनीतिज्ञों को हमेशा सुर्खियों में बने रहना पसंद है। इन सब के लिए दिग्विजय सिंह सबसे ऊपर रहते है, अपने बयानों से हमेशा वे सुर्खियों में बने रहते है। पिछले दिनों उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर को लेकर एक बयान से सियासी गलियारों में खलबली मच गया। उन्होंने बयान दिया था कि जब वेक्सीन के सर्टिफिकेट पर मोदी की तस्वीर है तो मरने वालो के डेथ सर्टिफिकेट पर भी उनकी तस्वीर होनी चाहिए।
ध्यान बटाने की राजनीति
कोरोना काल में गंगा नदी में बहते लाशो की तस्वीर दुनिया भर के लोगों ने देखा। जनमानस आक्रोशित न हो इसके लिए यूपी सरकार ने लोगो का ध्यान बटाने के लिए बाराबंकी में सौ साल पूर्ण मस्जिद को शहीद करवा दिया। लोग कोरोना की पीड़ा को भूलकर योगी की जयजयकार करने लगे। लोगो का ध्यान बटाने रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने एक बयान दिया कि देश को इसाई देश घोषित करने का षडय़ंत्र है। अंग्रेज फूट डालो राजनीति करो के नीति पर चलते थे हमारे यहाँ के नेता एक कदम आगे चलते हैं वे फूट डालो के साथ ध्यान बटाओ पर भी यकीन करने लगे हैं।
बाबा रामदेव पर राजद्रोह और मानहानि
डाक्टरों की यूनियन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एलोपैथी के खिलाफ बाबा द्वारा दिए गए बयान को लेकर उन पर राजद्रोह और मानहानि का दावा किये हैं। बाबा रामदेव आज भी यही बोलते हैं कि 90 फीसद आयुर्वेद से मरीज ठीक हुए हैं और 10 फीसद लोग एलोपैथ से ठीक हुए हैं। बहरहाल दोनों पद्धति अपने अपने जगह काम आता ही है। इसी पर कवि और सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया से रिटायर्ड प्रथम श्रेणी अधिकारी मुंबई निवासी जनता से रिश्ता इ-पेपर के पाठक श्री ह्रदय तिवारी ने दो पंक्ति भेजी है-आयुर्वेद और एलोपैथ में लड़ाई क्यों? बन रही है दोनों में खाई क्यों? अपनी लाइन बढ़ाएं आप, पर बनी लाइन की कुटाई क्यों ?
रायपुर हुआ महानगर
महानगरों में जुआ, सट्टा , गांजा, चरस और अन्य नशे के कारोबार का संचालन डी कंपनी के लोग करते हैं खुद कहीं दूर बैठ कर अपने गुर्गो से वे काम करवाते हैं। रायपुर में भी अब इसी तरह के काम चालू हो गया है। जितने भी अवैध धंधे हो रहे हैं सब डी कंपनी के लोग कर रहे हैं। खुद पकड़ में आते नहीं, अगर आ गए तो छुटभैये नेता थाने से छुड़ाकर ले जाते हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब हमारा रायपुर भी महानगरों श्रेणी में आ गया लगता है।