बलात्कार कर पीड़िता को सिगरेट से जलाने वाले आरोपी का सजा बरकरार
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक युवती के अपहरण और बलात्कार के मामले में सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने पीडि़ता के बयान को विश्वसनीय साक्ष्य मानते हुए सत्र न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। अभियोजन के मुताबिक 13 जनवरी 2014 को कटघोरा बस स्टैंड से चौटाला नाम के आरोपी द्वारा द्वारा जबरन बस में बैठाकर पीडि़त युवती बिलासपुर लाई गई थी। एक अन्य आरोपी संजय राजपूत ने पीडि़ता को ट्रेन से गुडग़ांव ले जाकर वहां एक कमरे में बंद कर दिया। आरोपी और उसके साथी ने पीडि़ता के साथ बलात्कार किया। विरोध करने पर सिगरेट से जलाने की घटना भी सामने आई।
पीडि़ता ने मकान मालिक के फोन से अपनी मां को अपने अपहरण और बंधक बनाए जाने की सूचना दी। पुलिस और परिजनों ने गुडग़ांव पहुंचकर पीडि़ता को मुक्त कराया। 12 जून 2017 : विशेष कोर्ट (एट्रोसिटी) ने संजय राजपूत को दोषी ठहराते हुए विभिन्न धाराओं में कुल 10 साल की सजा और जुर्माना लगाया। इस सजा के खिलाफ अपील की गई। आरोपी ने हाईकोर्ट में यह तर्क दिया कि पीडि़ता ने अपहरण के दौरान किसी को मदद के लिए नहीं पुकारा जबकि वह बस में सफर कर रही थी।, आरोपी का पीडि़ता के साथ जाने के कोई गवाह नहीं हैं। जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने अभियोजन पक्ष के 12 गवाहों के बयान और पीडि़ता के साक्ष्य को पर्याप्त मानते हुए अपील खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा- ‘बलात्कार के मामलों में पीडि़ता का साक्ष्य दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त होता है। अभियुक्तों ने संगठित रूप से अपराध किया और पीडि़ता के बयान में कोई संदेह नहीं है।