फर्जी पट्टे वितरण को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने की चर्चा
कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत के निज सचिव या कार्यालय सहायक भूपेंद्र यादव ने स्वयं के नाम से, पिता रामानंद यादव के नाम से, और भाई हेमंत यादव के नाम से कई एकड़ जमीन का कूट रचना कर पट्टा अपने नाम कर लिया था। इस संबंध में जब ग्राम वासियों ने 21 तारीख को तहसील बतौली में आवेदन देकर जांच करने की मांग की। कोई कार्यवाही नहीं होने पर 28 तारीख को थाना बतौली का घेराव कर जांच करने और प्रकरण दर्ज करने की मांग की थी ।इस दल में पूर्व सरपंच रामप्रसाद, सरपंच पति भुनेश्वर,मुरारी यादव के साथ दर्जनों लोग थाना तक आए थे।
भारतीय जनता पार्टी ने जब इस मुद्दे को उठाकर कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत के निजी सचिव के द्वारा अनियमितता पूर्ण रूप से अपने नाम कराए जाने के लिए गुरुवार को धरना प्रदर्शन का प्रोग्राम तय किया तब शासन प्रशासन हरकत में आ गए। ग्राम वासियों को तहसीलदार एवम एसडीएम के द्वारा धमकाया गया कि पूर्व में जो निर्माण काम हुए हैं, धान बिक्री हुए हैं, या जो भी प्रकरण हैं उन पर कार्रवाई करते हुए जेल में भेज दिया जाएगा। भटको ग्राम के 102 लोगों को अनियमितता पूर्वक पट्टा प्राप्त करने का नोटिस दिया गया। यह पट्टा 1978-80 में डॉ रामचंद्र सिंहदेव बीस सूत्रीय योजना के तहत वितरण हुआ था।उन्हें भी नोटिस दिया गया। जब ग्राम भटको के अधिकतर लोगों को इस प्रकार के नोटिस प्राप्त हुए तो वे डर गए और उन्होंने गुरुवार की सुबह कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत के घर पहुंचे।ग्राम वासी जमीन छीन जाने के डर से काफी भयभीत थे। उन्होंने कहा कि हमसे भूल हो गई है हमारी इसमें कोई गलती नहीं है। हमें बहकाया गया था,हमे बहकाने वालों में भाजपा के नेताओं के नाम है। जिन्होंने हमें बरगला कर इस प्रकार का कृत्य कराया। तथाकथित रूप से भाजपा नेताओं के नाम भी इस में घोटाले में आने लगे और आनन-फानन में प्रेस विज्ञप्ति जारी करके ऐसा जाहिर किया गया कि पूरा मामला सुलझ गया है।और एक भाजपा नेता और पटवारी कंचन राम को 4 सदस्यीय जांचकर्ताओं ने दोषी माना है।
केबिनेट मंत्री अमरजीत भगत के इस बयान के बाद मामला एकदम उलट नजर आने लगा, परंतु इतना सीधा भी नहीं है। भटको ग्राम में 46 एकड़ जमीन के बंदरबांट में शामिल निज सचिव जिसे कार्यालय सहायक के रूप में गरियाबंद जिले से स्थानांतरित करा कर लाया गया ने अपने नाम के साथ भाई और पिता के अलावा कुछ कांग्रेसी नेता हैं उन पर कार्यवाही करने से शासन बचना चाह रही है।ग्राम वासियों को दबाव डालकर डरा-धमकाकर ऐसे बयान दिलवाए जा रहे हैं जिससे यह मामला यहीं पर दब जाए और बात आगे तक न पहुंचे। 6 महीने में होने वाले चुनाव के फ्लेइस प्रकार के घोटाले सामने आने से प्रशासन हरकत में है।डैमेज कंट्रोल करने के लिए पूरे गांव के लोगों को कैबिनेट मंत्री के बंगले में बुलाकर बयान दिलवाया गया है।ग्राम वासियो से जबरन कहलवाया गया कि ऐसा किसी भी प्रकार का कोई भी कृत्य नहीं हुआ है।जबकि यह वही लोग हैं,जो कुछ दिन पूर्व तहसील और थाने में जाकर पत्रकारों को और थाना प्रभारी को लिखित में दिए हैं कि उक्त लोगों के द्वारा शासकीय भूमि का बंदरबांट किया गया है। थाना प्रभारी फरदीनन्द कुजूर ने कहा कि अभी तहसील कार्यालय से किसी भी प्रकार का कोई भी जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुआ है। रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कार्यवाही किया जाएगा।