डेयरी पालन को व्यवसाय बनाकर स्व-सहायता समूह की महिलाएं हो रही लाभान्वित
कांकेर। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजनांतर्गत जिले के गौठानों में विभिन्न आय मूलक नवाचार किया जा रहा है। इस योजना के माध्यम से लोगों के लिए स्वरोजगार में वृद्धि करना है, जिससे अधिक से अधिक हितग्राहियों को आय प्राप्त हो सके। जिला प्रशासन के निर्देशानुसार गौठानों में वर्मी खाद का उत्पादन कर विक्रय किया जा रहा है, साथ ही समूह की महिलाओं द्वारा सब्जी का उत्पादन एवं अन्य गतिविधि कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।
जिला मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदिवासी बाहुल्य ग्राम पोटगांव अपने विकास के लिए जाना जाता है। राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजनान्तर्गत यहां की स्व-सहायता समूह से जुड़ी आदिवासी महिलाओं को आजीविका संवर्धन के उददेश्य से द्वितीय किश्त की 05 दुधारू गाय दिया गया। कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला द्वारा स्व-सहायता समूह के महिलाओं को अंशदान की राशि जिला खनिज न्यास निधि से प्रदाय किया गया है। समूह की महिलाओं द्वारा पूर्व में दिया गया गाय से 10 हजार रुपये तक की आय अर्जित कर चुके हैं। डेयरी पालन से समूह के महिलाओं द्वारा प्रतिदिन 50-60 लीटर दुग्ध उत्पादन किया जा रहा है। अब तक दुग्ध विक्रय से 01 लाख 02 हजार रुपये का आमदनी अर्जित किया जा चुका है। इसके साथ ही गोमूत्र से कीटनाशक उत्पादन का 02 हजार 500 रुपये का अतिरिक्त लाभ और गोबर विक्रय से 12 हजार रूपये का लाभ प्राप्त हुआ है। इस तरह से समूह द्वारा 01 लाख 16 हजार 500 रुपये का आय अर्जित किया जा चुका है। समूह की महिलाएं ग्राम स्तर मिले योजना से लाभ पाकर खुश एवं संतुष्ट है, यह योजना महिला सशक्तिकरण एवं सुदृढ़ीकरण में मिल का पत्थर साबित हो रही है। डेयरी उद्यमिता विकास योजना तथा आजीविका संवर्धन लागू करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आभार व्यक्त किये हैं।