छत्तीसगढ़

हाथों में आए हुनर से स्वसहायता समूह को मिली पहचान

Shantanu Roy
2 Jun 2023 3:23 PM GMT
हाथों में आए हुनर से स्वसहायता समूह को मिली पहचान
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छग
बालोद। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा एवं बारी योजना के अंतर्गत गांव में निर्मित की गई गौठान के माध्यम से अब गांव एवं ग्रामीणों की तस्वीर बदलने लगी है। गौठानों में संचालित विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों के फलस्वरूप ग्रामीणों एवं स्वसहायता समूह की महिलाओं को हो रहे निरंतर आमदनी से अब महिला एवं ग्रामीण पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनकर राज्य शासन के गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना साकार कर रही हैं। आज इस योजना के फलस्वरूप बालोद विकास के ग्राम सांकरा ’ज’ में निर्मित गौठान के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार के सुलभ एवं बेहतर अवसर प्राप्त होने से सांकरा ’ज’ का तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। गौठान प्रारंभ होने के पश्चात अब सांकरा ’ज’ के ग्रामीणों को काम के तलाश में शहरों एवं अन्य स्थान में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। गौठान में विभिन्न आजीविकामूलक कार्यक्रम संचालन होने से ग्रामीणों को अब अपने गांव में ही रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त होने लगे है। जिससे ग्रामीणों में खुशहाली एवं परिवार में समृद्धि आई है। गौठान के आजीविकामूलक कार्यों से अच्छी-खासी आमदनी अर्जित करने के कारण सांकरा ’ज’ की महिलाएं अब घरेलु कार्य के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी से अपनी सहभागिता बढ़ा रही हैं।
इस योजना के फलस्वरूप महिलाएं अब अपने परिवार की जिम्मेदारी तथा तथा अपने परिवार का समूचित भरण-पोषण कर अपने जीवन स्तर में भी सुधार लाने में सक्षम हो रही हैं और इस योजना के माध्यम से महिलाओं के जीवन में एक नया मोड़ आया है। उल्लेखनीय है कि ग्राम सांकरा गौठान में अगरबत्ती निर्माण का कार्य जय सतनाम स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही है। इस कार्य में ग्राम के 3 महिला स्वसहायता समूह लगी हुई है। अब तक महिला समूह के द्वारा 842 किलोग्राम अगरबत्ती का निर्माण कर सप्ताहिक बाजार, किराना दुकानों में 1 लाख 10 हजार रुपये की बिक्री की गई है। इससे समूह को अब तक कच्चा माल की लागत को छोड़कर 30 हजार 520 रुपये का शुध्द लाभांश प्राप्त हुआ है। राज्य शासन के द्वारा गौठान में प्रारंभ किए गए विभिन्न आजीविकामूलक कार्यों की प्रशंसा करते हुए जय सतनाम स्वसहायता समूह की अध्यक्ष परमिला गायकवाड़ ने शासन की गौठान योजना को महिलाओं के लिए आत्मनिर्भर बनने का एक सशक्त माध्यम बताया है। उन्होंने कहा कि अब इसके माध्यम से आय प्राप्त कर महिलाएं अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ परिवार के आर्थिक गतिविधियों में भी अपना हाथ बंटा रही हैं। समूह की सदस्य पुष्पा बाई ने कहा कि अगरबत्ती निर्माण से होने वाले आय का उपयोग वे अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में कर रहे हैं। इसके अलावा इस कार्य से होने वाली आमदनी का उपयोग अपने परिवार के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में कर रही है। समूह की महिलाओं ने बताया कि वे पहले सिर्फ खेती किसानी का कार्य करते थे, अब खेती के बाद बाकी समय में गौठान में अगरबत्ती बनाने में कर रही हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय का साधन मिला है।
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