छत्तीसगढ़

परिवार में आए संकट को देख कांपी अफगानी छात्र की रूह, रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाई करता फतहउल्ला

Gulabi
23 Aug 2021 4:13 PM GMT
परिवार में आए संकट को देख कांपी अफगानी छात्र की रूह, रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाई करता फतहउल्ला
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अफगानिस्तान में तालिबानी कहर की खबरें सुनकर अफगानी छात्र की रूह कांप जा रही है

रायपुर। अफगानिस्तान में तालिबानी कहर की खबरें सुनकर अफगानी छात्र की रूह कांप जा रही है। परिवार की स्थिति सुनकर आंखों से आंसू आ जा रहे हैं। आलम यह है कि घर-परिवार से दूर छात्र न तो उनकी मदद कर सकते हैं न ही उनकी सुरक्षा के लिए कोई पहल कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में अफगानी छात्र फतहउल्ला बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई करता है।

दो भाई पुलिस में हैं, लेकिन नौकरी पर नहीं जा रहे, घर वालों को खाने-पीने की दिक्कतें
उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि वहां की खबरें सुनकर रूह कांप रही है। उनके दो भाई पुलिस में हैं, लेकिन नौकरी पर नहीं जा रहे हैं। परिवार का एक सदस्य सरकारी नौकरी में है, जिन्हें तीन महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। फतहउल्ला के परिवार में 12 लोग हैं। घर में पैसे खत्म हो गए हैं। घरवालों को खाने-पीने की काफी दिक्कतें हो रही है।
तालिबानी सैनिक सड़क पर आतंक मचा रहे, लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे
तालिबानी सैनिक सड़क पर उतरकर आतंक मचा रहे हैं, जिसके कारण उनके परिवार के लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। फतहउल्ला ने बताया कि लोग अपना घर, कारोबार छोड़कर पड़ोसी देशों में भाग रहे हैं। उनके कई रिश्तेदार अपना सब कुछ छोड़कर अलग-अलग देश में चले गए हैं। फतहउल्ला ने बताया कि उसे 18 हजार रुपये हर महीने स्कालरशीप मिलती है। परिवार के लोगों को उम्मीद थी कि कुछ पैसे बचे होंगे, जिसे मैं उनके लिए भेज दूं, लेकिन कोरोना संकट के कारण हास्टल बंद है, जिसके कारण वह बाहर रहता है। इस परिस्थिति में पैसे बचना संभव नहीं है।
नहीं लौटना चाहता अफगानिस्तान
वापस फतहउल्ला ने बताया कि अभी जो परिस्थिति है, उसमें अफगानिस्तान जाना खतरे से खाली नहीं है। बाहरी देश से आने वालों पर तालिबानी सख्ती से पेश आ रहे हैं। इस समय बाहर से गए लोगों की जान भी खतरे में है।
तालिबानी राज में रोजगार का संकट, विदेशी डिग्री को नहीं मानते
फतहउल्ला ने बताया कि तालिबानी राज में रोजगार का संकट है। सरकार के खत्म होने के बाद जो लोग सरकारी नौकरी में थे, उनकी भी नौकरी चली गई है। तालिबानी विदेश से पढ़ाई करके लौटे छात्रों की डिग्री को भी नहीं मानते हैं। ऐसे में उनके साथ दोहरा संकट है।
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