अनहोनी का जिम्मेदार IAS सचिव प्रसन्ना और झरना चौबे होंगे, युवक ने लगाया नियुक्ति रोकने का आरोप
रायपुर raipur news । इन दिनों छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा विभाग ख़ूब चर्चा में बना हुआ है इसलिए नहीं कि उच्च शिक्षा विभाग को कोई राष्ट्रीय या राष्ट्रपति पुरस्कार मिल गया है। बल्कि इसलिए कि उच्च शिक्षा विभाग पिछले 7 महीनों से मानसिक दिवालियापन का शिकार हो गया है। नियम कानून को ताक पर रख कर उलजुलूल कारनामे कर रहा है। मूर्खता, ढीढता, जातिवादी सोच, या कुछ और जो भी हो उच्च शिक्षा विभाग के सचिव प्रसन्ना आर और झरना चौबे (सहायक प्राध्यापक विधि ) विधि सलाहकार उच्च शिक्षा विभाग पिछले 7 महीनों से अपने पद की गरिमा को तार तार कर रहे हैं। chhattisgarh
chhattisgarh news इनके नियम विरुद्ध चौपट कार्यों नें CGPSC 2019 के एक चयनित सहायक प्राध्यापक को इतना प्रताड़ित कर दिया हैं कि कहीं वो आत्महत्या न कर ले.. 27 जुलाई 2024 को विजय शंकर पात्रे नें रायपुर के प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता किया।अपनी समस्याओं से पत्रकारों को अवगत कराते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्रीविष्णु देव साय जी से निवेदन किया है कि उच्च शिक्षा विभाग में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करते हुए सुशासन स्थापित करें।
27 जून 2024 को विजय शंकर पात्रे मुख्यमंत्री जी के जनदर्शन कार्यक्रम में भी गए थे,उच्च शिक्षा विभाग में सुशासन स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री के हाथों में अपना आवेदन क्रमांक 2500724008745 दिए थे।किन्तु एक महीना बीत जाने के बाद भी उच्च शिक्षा विभाग में चौपट राज कायम है। लोक सेवा आयोग छत्तीसगढ़ के द्वारा सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 कराया गया था।इसका रिजल्ट 2021 में आया। विजय शंकर पात्रे वनस्पति शास्त्र विषय में चयनित हुए इनका रैंक 98 है। 14 जुलाई 2021 को वनस्पति शास्त्र विषय का रिजल्ट आया था।मॉर्च 2022 में पहला नियुक्ति आदेश जारी हुआ इसमें विजय शंकर पात्रे और अन्य 14 लोगों का नाम नहीं था इसी तरह दूसरा और तीसरा लिस्ट जारी हुआ उसमें भी इनका नाम नहीं था।
जून 2022 में विजय शंकर पात्रे ने WPS/3898/2022 के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका लगाया इसका आदेश 9अक्टूबर 2023 में आया। इस आदेश में उच्च न्यायालय नें 1 महीने के अंदर विजय शंकर पात्रे को पदस्थापना देने का आदेश दिया। जिस समय आदेश आया उस समय आचार संहिता लगा हुआ था । संयुक्त सचिव हिना अनिमेष नेताम ने कहा कि अभी आचार संहिता चल रही है अभी पदस्थापना नहीं मिलेगी।
दिसंबर 2023 में आचार संहिता खत्म हुआ और भाजपा को सरकार बनाने के लिए जनादेश मिला। श्री बृजमोहन अग्रवाल उच्च शिक्षा मंत्री बनाये गए। जनवरी 2024 में श्री प्रसन्ना आर को सचिव उच्च शिक्षा विभाग का कमान दिया गया। कोर्ट का आदेश लेकर जल्दी पदस्थापना देने के लिए सभी चयनित अभ्यर्थी प्रसन्ना आर से मिलने गए। जनवरी फ़रवरी आवेदन देते रहे। कहावत है कि दूध का जला छाछ को भी फूंक कर पीता है। कहीं विभागीय त्रुटि से फिर नियुक्ति से वंचित न होना पड़े इसलिए विजय शंकर पात्रे ने सचिव प्रसन्ना आर, संयुक्त सचिव हिना अनिमेष नेताम व अवर सचिव को क्रमशः 27 फरवरी 2024, 06 मॉर्च 2024 और 07 मॉर्च 2024 को आवेदन देकर बताया था कि भूल या विभागीय त्रुटि से उसका नियुक्ति आदेश WPS/6358/2022 के लिए नहीं रोका जाना चाहिए। 9 मॉर्च 2024 को उच्च शिक्षा मंत्री जी को भी आवेदन दिए।
पूर्व में याचिका WPS/3606/2021,WPS/3616/2021 के लिए बिना किसी सूचना के 15 लोगों की नियुक्ति रोक दिया गया था। उसी का आदेश 9 अक्टूबर 2023 को आया था। इस तरह फिर कोई समस्या न हो इसलिए विजय शंकर पात्रे ने ऊपर बताए तारीखों को सप्रमाण आवेदन देकर सचिव को बताया था कि WPS/6358/2022 सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 में आरक्षण अधिनियम 1994 को लागू किये जाने के लिए लगाया गया है जिसके अनुसार अनुसूचित जाति में 4% आरक्षण बढ़ेगा इसलिए उसकी नियुक्ति को त्रुटि या भूलवश नहीं रोका जाए ।
याचिका WPS/6358/2022 में 6 चयनित अभ्यर्थियों को प्रतिवादी बनाया गया है जिसमें 2अनारक्षित वर्ग से, 2 अनुसूचित जनजाति से, 1 अनुसूचित जाति से, 1 ओबीसी वर्ग से। ज्ञात हो कि सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 के अनुसार हुआ है। आरक्षण अधिनियम 2012 के अनुसार अनारक्षित वर्ग 42%, अन्यपिछड़ा वर्ग 14%, अनुसूचित जनजाति (ST) 32%, व अनुसूचित जाति (SC) 12% होता है। विजय शंकर पात्रे का चयन आरक्षण अधिनियम 2012 के अनुसार अनुसूचित जाति वर्ग (SC) में 12% आरक्षण के अंतर्गत हुआ है। आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 के पहले छत्तीसगढ़ में आरक्षण अधिनियम 1994 लागू था। आरक्षण अधिनियम 1994 के अनुसार अनारक्षित वर्ग 50%, अन्यपिछड़ा वर्ग 14%, अनुसूचित जनजाति (ST) 20%, व अनुसूचित जाति (SC) 16% होता था।
वर्ष 2012 में जब आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 लागू हुआ तो अनारक्षित वर्ग में 8% सीट घटकर 50 से 42% व अनुसूचित जाति वर्ग (SC) में 4% सीट घटकर 16 से 12% हो गया था तथा अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग में 12% सीट बढ़कर 20 से 32% हो गया था। इस कारण आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 के विरोध में कई याचिकाएँ उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ में लगी थी इनका याचिका क्रमांक WPC- 591/2012, WPC - 592/ 2012, WPC- 593/2012, WPC-594/2012 & WPC - 1067/ 2012 था। इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ का अंतिम आदेश दिनाँक 19-09-2022 को आया।
इस आदेश में उच्च न्यायालय ने आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 को असंवैधानिक बताया तथा आरक्षण अधिनियम 1994 को संवैधानिक और उपयोगी कहा। और यह भी कहा कि पूर्व की भर्तियों को प्रभावित नही किया जाए। किन्तु पूर्व की सभी भर्तियाँ उक्त याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन की गई थी, तथा 19-09-2022 को जब यह आदेश आया तब तक वनस्पति शास्त्र विषय की नियुक्तियाँ पूर्ण नहीं हुई थी। सभी वर्गों की कुछ सीटें बची हुई थी। इसी अवसर को देखते हुए 19-09-2022 के आदेश को आधार बनाकर अनुसूचित जाति के दीपक कुमार कुर्रे और राकेश जांगड़े ने WPS/6358/2022 के माध्यम से उच्च न्यायालय में सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 में आरक्षण अधिनियम 1994 लागू कराने के लिए याचिका लगाए थे।
दीपक कुमार कुर्रे व राकेश जांगड़े विषय वनस्पति शास्त्र में अनुसूचित जाति वर्ग में प्रतीक्षा सूची में हैं तथा चयन से वंचित हैं। आरक्षण अधिनियम 1994 लागू होने से अनुसूचित जाति वर्ग में 4% आरक्षण बढ़ने से इनको चयन सूची में स्थान मिलने की उम्मीद है। उच्च न्यायालय ने WPS/6358/2022 के लिए 2 सीट रिक्त रखने का आदेश दिया। ध्यान रहे कि WPS/6358/2022 में 6 चयनित अभ्यर्थियों को प्रतिवादी बनाया गया है लेकिन न्यायालय ने सिर्फ़ 2 सीट रिक्त रखने का आदेश दिया है ताकि कहीं अंतिम निर्णय याचिकर्ता के पक्ष में हो तो उसे वह दिया जा सके।
पहेली यह है कि कौन सी सीट याचिकाकर्ता को मिल सकती है ?
पहेली कोई मुश्किल नहीं है किंतु उच्च शिक्षा विभाग के सचिव प्रसन्ना आर व उनकी विधि सलाहकार झरना चौबे ने अपनी अकुशलता और सच को स्वीकार नहीं करने की ढीढता से उच्च शिक्षा विभाग की साख और अपने पद की गरिमा को तार तार कर दिए हैं। विजय शंकर पात्रे नें 27 फरवरी 2024, 06 मॉर्च 2024, 07 मॉर्च 2024 को आवेदन देकर सचिव उच्च शिक्षा विभाग को पहले ही सचेत करते हुए बता दिया था कि सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 में यदि आरक्षण अधिनियम 1994 लागू होगा तो अनारक्षित वर्ग में 8% सीट बढ़ेगी, ओबीसी यथावत 14% रहेगी, अनुसूचित जाति (SC) में 4% बढ़ेगी अतः अनारक्षित वर्ग, ओबीसी वर्ग तथा अनुसूचित जाति वर्ग WPS/6358/2022 के लिए अप्रभावित रहेगी इसलिए इन वर्गों से सीट नहीं रोका जा सकता। किन्तु अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग में आरक्षण अधिनियम 1994 लागू होने से 12% सीट घट जाएगी, कम हो जाएगी। इसलिए WPS/6358/2022 के लिए अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग से सीट रोका जाएगा।
इतना सब सप्रमाण बताने के बाद भी सचिव प्रसन्ना आर व झरना चौबे ने नियम विरुद्ध काम करते हुए 11 मॉर्च 2024 को नियुक्ति आदेश जारी किया जिसमें WPS/6358/2022 के लिए विजय शंकर पात्रे की नियुक्ति अनुसूचित जाति से रोक दिया गया। तथा बचे हुए अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के सभी अभ्यर्थियों को जिनमें ऋतु सोरी, गुलेश्वर सिंह, मनीषा टाईगर को नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया। जिस उद्देश्य से याचिका लगाया गया था उसे समाप्त कर WPS/6358/2022 की हत्या कर दी गई।
सचिव प्रसन्ना आर आईएएस हैं व झरना चौबे विधि की सहायक प्राध्यापक हैं इतने पढ़े लिखे हैं उसके बाद भी इनको आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 और आरक्षण अधिनियम 1994 में अंतर करना नहीं आ रहा है। इसे ही कहा गया है नाम बड़े और दर्शन छोटे। सचिव प्रसन्ना आर व झरना चौबे अनुसूचित जनजाति वर्ग के सभी बचे अभ्यर्थियों को नियुक्ति देकर याचिका WPS/6358/2022 की हत्या तो कर ही चुके हैं। अब पता नहीं 7 महीनों से विजय शंकर पात्रे कि नियुक्ति रोक कर कौन सी बुद्धिमानी दिखा रहें हैं समझ से परे है।
जबकि विजय शंकर पात्रे अनुसूचित जाति (SC) वर्ग में आरक्षण 12% के अंदर चयनित हैं जो कि याचिका WPS/6358/2022 का अंतिम निर्णय याचिकर्ता के पक्ष में होने से 16 % हो जाता, नहीं भी होता तो भी 12% आरक्षण यथावत रहेगा लेकिन अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% से कम नहीं होगा। मतलब याचिका WPS/6358/2022 से विजय शंकर पात्रे के चयन में रत्ती भर भी फ़र्क नहीं पड़ता। फिर भी विजय शंकर पात्रे नें WPS/6358/2022 के अंतिम आदेश के अधीन नियुक्ति आदेश जारी करने के लिए शपथ पत्र भी दिए हैं।
उच्च शिक्षा विभाग पहले भी शपथ पत्र लेकर कई नियुक्ति आदेश जारी किया है। लेकिन पता नहीं कि विजय शंकर पात्रे से ही सचिव प्रसन्ना आर व झरना चौबे को क्या विशेष लगाव है कि सब नियम कानून को चूल्हे में डाल कर उसे प्रताड़ित किया जा रहा है। विजय शंकर पात्रे उच्च शिक्षा विभाग के अंधेर नगरी चौपट राज से परेशान होकर उच्च शिक्षा विभाग में सुशासन व अपनी नियुक्ति आदेश के लिए मुख्यमंत्री को 27 जून को आवेदन दे ही चुके हैं इसके अलावा मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन को भी 4 जुलाई 2024 को सचिव प्रसन्ना आर को आरक्षण अधिनियम 2012 के अनुसार अनुसूचित जाति के 12% आरक्षण को क्षति पहुँचाने से रोकने के लिए आवेदन किए थे एवं 16 जुलाई 2024 को उच्च शिक्षा विभाग को कई महीनों से गुमराह करने वाली अयोग्य विधि जानकर झरना चौबे को विभाग से हटाने के लिए आवेदन किये थे। किंतु उच्च शिक्षा विभाग का सुध लेने वाला कोई नहीं हैं।
उच्च शिक्षा विभाग में चौपट राज खुल्लम खुल्ला चल रहा है और पता नहीं कब तक चलता रहेगा। बता दें कि मुख्यमंत्री के जनदर्शन कार्यक्रम में पटवारियों पर तत्काल कार्यवाही हो जाता है।
सचिव प्रसन्ना आर व झरना चौबे की उपलब्धियाँ -
1.आरक्षण अधिनियमों का पालन नहीं करना
2.विजय शंकर पात्रे की नियुक्ति आदेश नियम विरुद्ध रोक कर इन्हें 7 महीनों से आर्थिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करना
3.न्यायालयीन आदेश WPS/3898/2022 दिनाँक 09 अक्टूबर 2023 की 10 महीनों से अवमानना करना।
4.अनुसूचित जनजाति वर्ग के सभी सीट भरकर याचिका WPS/6358/2022 की हत्या करना। इसके अनुसार आरक्षण अधिनियम 1994 का उलंघन करना।
5. उच्च न्यायालय का सम्मान नहीं करना
आदेश की जानबूझकर अवमानना करना और गुमराह करने के लिए कूटरचना करना
6.पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री मा. बृजमोहन अग्रवाल जी का आदेश की नोटशीट जिसमें विजय शंकर पात्रे को पदस्थापना देने को कहा गया है।
जिसे जून 2024 के पहले हफ़्ते में उच्च शिक्षा विभाग को दिया जा चुका है । इस आदेश का भी उलंघन करना।
5.विजय शंकर पात्रे की नियुक्ति रोक कर वर्तमान आरक्षण अधिनियम 2012 के अनुसार अनुसूचित जाति के 12% आरक्षण को दुर्भावनावश जानबूझकर क्षति पहुँचना
6. जातिगत दुर्भावना से जानबूझकर नियम विरुद्ध अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी की नियुक्ति रोक कर एट्रोसिटी करना।