छत्तीसगढ़

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में घोटाले ही घोटाले

Nilmani Pal
4 July 2022 5:57 AM GMT
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में घोटाले ही घोटाले
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  1. चार महीने में ही सड़कों की दुर्दशा खुद चीख-चीखकर कर दे रही गवाही
  2. सड़कों के निर्माण के नाम पर गुणवत्ता से समझौता, खुलेआम भ्रष्टाचार
  3. संबंधित दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय सीईओ ने दी आजादी
  4. सीईओ कटियार के आदेश पर भौतिक सत्यापन के लिए कोई तैयार नहीं
  5. भौतिक सत्यापन के नाम पर हो रही केवल खानापूर्ति

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण रायपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आलोक कटियार ने पिछली बार आश्वासन दिया था कि सम्बंधित दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी लेकिन स्थिति जस की तस है। उन्होंने शासन को इसकी जांच हेतु शासन को पत्र भी भेजने और दोषियों को तत्काल हटाने की भी शिफारिश करने का वादा किया था। सीईओ आलोक कटियार ने भौतिक सत्यापन और सड़कों की जांच के लिए जनता से रिश्ता की टीम के साथ प्रदेश के हर जिले में जाने की बात कही थी लेकिन आज कोई जाने तैयार नहीं है। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लोगों की बुनियादी सुविधा से ज्यादा अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए कमाई का जरिया बन गई है। घटिया और दोयम दर्जे के निर्माण कर अधिकारी-ठेकेदार मलाई खा रहे हैं। जमीन पर इस योजना के हाल को देखा जा सकता है। सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता से समझौता कर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। चार महीने पहले निर्माण पूरे होने वाली सड़कों की दुर्दशा चीख-चीखकर कर इसकी गवाही दे रही हैं। और गुणवत्ता जांचने वालों को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।

गुणवत्ताहीन सड़के

ठेकेदार और विभागिय अधिकारी के साथ मिलकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क का रुपया गटक लिया जा रहा है। कहीं भी गुणवत्ता युक्त सड़क नहीं बनाया गया है, और उन रुपयों को ठेकेदार, नेता और अधिकारी मिलकर चट कर रहे हैं। संभागीय मुख्यालयों में सालों से जमे अधिकारी अपने चहेते ठेकेदारों के माध्यम से योजना को संपत्ति बनाने का माध्यम बना रखे हैं।

कांकेर,बीजापुर, दंतेवाड़ा, बालोद, बेमेतरा, गरियाबंद, कोरिया, कवर्धा से लेकर राज्य के हर संभाग में योजना के तहत बनाई सड़कों के निर्माण, मरम्मत और पुल-पुलियों के निर्माण में मापदंडों की अवहेलना कर सरकारी धन का बंदरबाट किया जा रहा है। प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनी सड़को का हाल खस्ता हाल है।

मापदंड के मुताबिक मटेरियल उपयोग नहीं किया गया

सड़क में मुरूम गिट्टी और सिंगल लेयर डामर लगाया गया है। न स्लेग, न बोल्डर और न ही मापदंड के अनुरूप डामर का लेयर लगाया गया है। जनता से रिश्ता ने ग्राउंड रिपोर्ट में जो देखा उसके बाद विभाग को सीधा चैलेंज है कि उसका कोई भी अधिकारी जन सरोकार के तहत इन सड़कों की गुणवत्ता जांच के लिए आगे आएं, जनता से रिश्ता के संवाददाता उन्हें धरातल पर सच्चाई से रुबरू करा देंगे। जनता से रिश्ता के पास उपलब्ध सबूतों के साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आने वाले गांवों के निवासियों के द्वारा दिए गए बयान के आधार पर सड़क की खुदाई करने से पता चलता है कि सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। 10 से 12 लेयर की सड़क जहां होना था वहां पर 2 या 3 लेयर पर ही निपटा दिया गया। क्रशर बोल्डर नहीं डाला गया, डस्ट नहीं डाला गया, मुरुम नहीं डाला गया, बजरी-गिट्टी की लेयर नहीं डाली गई, क्रशर की गिट्टी के लेयर भी खा गए। डामरीकरण भी लिपा पोती कर आनन फानन में लगाया गया। कुल मिलाकर कहा जाए कि प्रति किमी निर्धारित दर से मात्र 10 से 15 प्रतिशत के लागत में ही प्रधानमत्री सड़क का निर्माण कर दिया गया। भ्रष्ट ठेकेदार एवं सालों से जमे हुए अधिकारियों की मिली भगत और भ्रष्टाचार की कहानी जनता से रिश्ता को भौतिक सत्यापन में मिली।

गुणवत्ता जांचने वालों का जांच का क्या है पैमाना

प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गइ्र्र सड़कों की मॉनिटरिंग के लिए पहली बार दूसरे राज्यों के गुणवत्ता समीक्षक राज्य के सात जिलों का दौरा कर सड़कों की गुणवत्ता जांचेंगे। लेकिन गुणवत्ता जांचने वालों के जांचने का पैमाना क्या है आम जनता के समझ से बाहर है क्योकि जो गड़बड़ी और कमियां आम जनता को दिख रही है इनको नहीं दिखती आश्चर्यजनक है। सरकार और संबंधित विभाग अपने ही रिटायर्ड अधिकारियों से निर्माण की गुणवत्ता जांच करवा कर निर्माण की गड़बड़ी को ढांककर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं और भ्रष्टाचार की खुली छूट दे रहे हैं। परिणाम स्वरूप निर्माण लागत की आधी रकम अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब में पहुंच रही है।

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