छत्तीसगढ़

'नरवा' के माध्यम से सहेजा जा रहा है पानी

Nilmani Pal
7 Sep 2021 10:19 AM GMT
नरवा के माध्यम से सहेजा जा रहा है पानी
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रायपुर। 'नरवा' अर्थात छोटे-छोटे नाला, नालियां और नहरें। बरसात का पानी सबसे पहले इन्हीं नरवा के माध्यम से बहता हुआ नदियों का रूप ले लेता है और बाद में समुद्र में चला जाता है। छत्तीसगढ़ की कृषि अभी भी बहुत कुछ वर्षा आधारित है। ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि वर्षा की जल को शुरू से ही 'नरवा' के माध्यम से सहेजा जाए और प्रकृति के माध्यम से जितनी वर्षा हो, उसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाए। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 'नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी' के माध्यम से इसी जल संग्रहण और जल संरक्षण पर जोर दिया गया है। रायपुर जिले के तिल्दा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कोहका के आश्रित ग्राम घुलघुल में वर्ष 2018-19 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत चेकडेम निर्माण कार्य कराया गया। इससे बहते हुए पानी को रोका गया और उसका नियंत्रण भी किया गया। ग्राम पंचायत घुलघुल-कोहका गांव के अब 50 किसानों के लगभग 200 एकड़ खेतों के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो रहा है।

गांव के सरपंच सहदेव कुर्रे ने बताया कि चेक डैम से इसके आसपास के किसान परिवारों में खुशहाली आई है। अब उन्हें पानी की चिंता से मुक्ति मिली है। गांव के किसान लीलाधर वर्मा ने बताया कि चेक डैम के समीप उनका 8 एकड़ का खेत है। पहले फसल के लिए पानी की व्यवस्था नही था। किसानी के दिनों में कही ज्यादा पानी गिरा और नाला पूरी तरह भर जाने से फसल बर्बाद हो जाती थी। चेक डैम निर्माण हो जाने से अब समय पर पानी मिलने लगा है और फसल अच्छी होने लगी है। किसान महेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि चेकडेम निर्माण के पूर्व नाला में पानी की उपलब्धता नहीं रहती थी सरकार ने किसानों की मांग को पूरा किया। अब फसलें प्रभावित नहीं होती, केवल उत्पादन होता है। गांव के किसान विशंभर निषाद, बालमुकुंद वर्मा ,मेघनाथ धीवर सहित अन्य किसानों ने सरकार के इस उत्कृष्ट पहल के लिए उन्हें धन्यवाद दिया है। अब यहां के किसान पानी का उपयोग ना केवल सिंचाई के लिए करते हैं बल्कि यह चेकडेम मछली पालन के काम में भी आ रहा है।

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