दुर्ग। संभागायुक्त दुर्ग के द्वारा छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 13(7) के तहत आरक्षित वर्ग के लिए ग्राम पंचायत हेतु यदि उसी वर्ग के नही है तो ऐसे आरक्षण को अपवर्जित करने हेतु धारा 13 (7) में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को अपवर्जन का अधिकार नही होने, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मध्य चक्रानुक्रम में परिवर्तन करने का अनुविभागीय अधिकारी को अधिकार नही होने का फैसला दिया है। दरअसल बेमेतरा जिला के ग्राम पंचायत भनसुली एवं आश्रित ग्राम करंजिया में अनुसूचित जाति पद हेतु अनुसूचित जाति के कोई नही होने से सरपंच का पद खाली है और उपसरपंच को प्रभार दिया गया है।
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बेमेतरा द्वारा आदेश पारित कर छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 13 (2) तथा धारा 38 (ख) के अनुसार चक्रानुक्रम के तहत आरक्षण को परिवर्तन करने का आदेश दिया था, जिसका पुनरीक्षण संभागायुक्त के समक्ष भगवती प्रसाद साहू के द्वारा प्रस्तुत किया गया था। कलेक्टर बेमेतरा के द्वारा भी दिनांक 01.02.2022 को उभयपक्ष को सुनकर प्रकरण निराकरण के लिए अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बेमेतरा को आदेशित किया था। जिसके बाद अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा आदेश दिनांक 31.05.2022 द्वारा पूर्व दिनांक 12.05.2022 के आदेश को यथावत रखा, कलेक्टर बेमेतरा द्वारा दुबारा अपील पेश होने पर इसे खारिज किया गया था।
आज संभागायुक्त संभाग द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बेमेतरा के आदेश को निरस्त किया गया। प्रकरण में पुनरीक्षणकर्ता के अधिवक्ता पारस महोबिया तथा उत्तरवादी पक्ष के अधिवक्ता अवधेश श्रीवास्तव द्वारा भी तर्क प्रस्तुत किया गया।