मंदिर हसौद में पकड़े गए करोड़ों के गुटखे का सैंपल जांच के लिए भेजा
छग, महाराष्ट्र-ओडिशा में खपा रहे थे गुटखा
सैंपल जांच के लिए भेजा
फूड विभाग के अफसरों का कहना है गुटखे का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। लेबोरेटी टेस्ट के बाद ही स्पष्ट होगा कि गुटखा नकली है या मिलावटी। अफसरों के अनुसार जो पाउच मिला है उसका सैंपल भी जांच के लिए भेजा गया है। पाउच और बॉक्स की प्रिंटिंग भी बिलकुल असली जैसे हैं। जांच के बाद ही इसे लेकर स्थिति स्पष्ट होगी।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। मंदिरहसौद- विधानसभा रोड पर स्थित अवैध गोदाम से मंगलवार को जब्त नकली जर्दा वाला माणिकचंद और सितार गुटखा महाराष्ट्र और ग्रामीण इलाकों में खपाने का क्लू मिला है। माणिकचंद की रायपुर सहित पूरे प्रदेश में डिमांड कम है, जबकि महाराष्ट्र के मार्केट में इसकी सबसे ज्यादा मांग है। सितार को छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा और महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में सप्लाई किया जा रहा था।
छापे के दौरान गोदाम का सुपर वायजर फरार हो गया और वहां पैकेजिंग का काम करने वाले कर्मचारियों को मालिक का नाम तक नहीं जानते हैं। इस वजह से खाद्य विभाग को ये पता नहीं चला है कि गोदाम का मालिक कौन है और गुटखे की पैकेजिंग कौन करवा रहा था। पता लगाया जा रहा है कि गोदाम में लगा बिजली मीटर किसके नाम पर इश्यू हुआ है, ये ब्योरा भी निकाला जा रहा है। हालांकि अब तक वसीम खान और जुगनानी दो नाम सामने आए हैं। वसीम खान गोदाम का सुपर वायजर है, जबकि जुगनानी उसका मालिक है। वसीम खान ही पूरा धंधा संभाल रहा था। पैकेजिंग करने से लेकर माल को ट्रक में भरकर रवाना करने तक उसकी जिम्मेदारी थी। कर्मचारी तो जुगनानी को जानते तक नहीं है। फूड विभाग जुगनानी के बारे में जानकारी जुटा रहा है। जुगनानी का मोबाइल नंबर पुलिस और आला अफसरों को सौंपा गया है ताकि कॉल रिकार्ड के जरिये उसका पता लगाकर पूछताछ की जा सके।
फूड विभाग के इंस्पेक्टरों की टीम ने अवैध गोदाम में नकली गुटखा का गोदाम चलने की सूचना के बाद करीब 15 दिन जासूसी की। फूड इंस्पेक्टर रात 12 बजे से गोदाम के बाहर तैनात होकर चेक करते थे कि गोदाम में क्या हो रहा है। ट्रक कहां और कितने बजे रोज रवाना होता है। पूरी रेकी करने के बाद मंगलवार की रात जब ट्रक गोदाम से गुटखा लेने के लिए घुसा और वहीं पकड़ा गया।
गोदाम में जिस समय छापा पड़ा, उस दौरान गोदाम में 50 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे थे। गुटखा बोरों में भरकर गोदाम में रखा गया था। वहीं पैकेजिंग वाली मशीनें रखी थीं। कर्मचारी बोरे से गुटखा निकालकर पाउच में भरकर उसकी पैकिंग कर रहे थे। पैकिंग वाली मशीन के अलावा मिक्श्चर मशीन भी रखी थी। फूड विभाग के अफसरों को शक है कि जर्दा गुटखा खुला मंगवाकर गोदाम में ब्रांड वाले पाउच में भरकर सप्लाई किया जा रहा था।
गोदाम में जर्दा वाला गुटखा पाउच में पैक करने वाले सभी 50 कर्मचारी झारखंड और मप्र के रहने वाले हैं। गोदाम में केवल रात में काम होता था। सुबह उजाला होने के पहले ही काम बंद कर दिया जाता था। कर्मचारियों गोदाम से बाहर निकलना तो दूर झांकने तक की अनुमति नहीं थी। उनका तीनों टाइम का भोजन गोदाम में बनता था। सबको एक साथ भोजन करना पड़ता था। उन्हें आठ से 12 हजार महीना तक सैलेरी दी जा रही थी। काम पर इसी शर्त पर रखा गया था कि वे बाहर नहीं जाएंगे। दूसरे राज्यों के होने कारण कर्मचारी इस शर्त पर काम करने के लिए राजी हो गए थे।
प्रतिबंध के बाद भी रायपुर में खुलेआम बिक रहा गुटखा
छत्तीसगढ़ में पान मसाला, गुटखा आदि पर प्रतिबंध है। इसके बाद भी प्रदेश के सभी जिलों में पान मसाला, गुटखा की बिक्री खुलेआम हो रही है। कोई देखने वाला नहीं है। गुटखा माफियाओं ने सिस्टम को हाईजैक कर लिया है। हर माह गुटखा के अवैध करोबार के संचालन के लिए गुटखा कारोबारियों से पुलिस और प्रशासन के आला अफसरों तक गुटखा कंपनियों का चढ़ावा पहुंचता है। यही वजह है कि गुटखा बेचने वालों और कंपनी के लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। गुटखा के कारोबार में करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी की जा रही है। अवैध रुप से बिना बैच नंबर के जर्दायुक्त पान मसाला बाजार में बेचे जा रहे हैं। दिखावे के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी छापा मार रहे हैं वो भी पहले से ऐलान करके। रोक के बाद भी राजधानी में इतनी मात्रा में गुटखा कहां से पहुंच रहा है, विभाग इसकी पड़ताल नहीं करता।
राजधानी में धड़ल्ले से बिक रहा
प्रदेश सरकार ने भले ही तम्बाकू युक्त गुटखे के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन पड़ोसी राज्यों में निर्मित गुटखे राजधानी में धड़ल्ले से बिक रहे हैं और वह भी दोगुने-तिगुने दामों पर। शहर में बड़ी मात्रा में जर्दा गुटखा खपाया जा रहा है। किराना दुकान की आड़ में जर्दायुक्त गुटखा का अवैध कारोबार सालों से चल रहा है। बताया जा रहा है कि राजधानी में जर्दा गुटखा बनाने वाली फैक्ट्रियां संचालित हैं, जहां जर्दा गुटखा सप्लाई किया जाता है। इसके अलावा प्रदेश के कुछ शहरों में इसका निर्माण भी किया जाता है। जिसके चलते शहर से लेकर गांव तक खुलेआम जर्दायुक्त गुटखा की सप्लाई हो रही है। प्रदेश में एक दर्जन गुटखा उत्पादों की थोक और फुटकर बिक्री छोटी-बड़ी दुकानों से सरेआम हो रही है। इनमें ऐसे उत्पाद भी हैं जिनमें पंजीयन तिथि और संख्या का उल्लेख नहीं है। साथ ही वैधानिक चेतावनी तम्बाकू जानलेवा है तक अंकित नहीं है। चोरी छिपे थोक व्यापारी खरीदते हैं और ऊंचे दामों में फुटकर दुकानदारों को उपलब्ध कराते हैं। गुटका खाने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस की आशंका को बढ़ाता है इसमें व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है यह कैंसर से पहले होने वाला एक प्रबल रोग है इसके अलावा गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट एसोफैगस मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
लंबे समय तक गुटखा उपयोग करने से स्ट्रोक और हृदय रोग के कारण मौत की संभावना बढ़ जाती है।
नशे की वजह से बर्बाद हो रही युवा पीढ़ी
आज नशे की वजह से सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी और बच्चे बर्बाद हो रहे हैं। तंबाकू की वजह से जहां एक और बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आने वाली पीढ़ी भी इससे प्रभावित हो रही है। कानून का पालन न होने के कारण अवैध कारोबार चल रहा है। कर्मचारियों की कमी, ट्रेनिंग का अभाव और भ्रष्टाचार है। यही वजह है कि कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है।
गुटखा तंबाकू खिलाफ कार्रवाई सरकार के लिए चुनौती
अब देखने वाली बात है कि प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से प्रदेश में गुटखा और तंबाकू युक्त उत्पादों के विक्रय पर रोक लगाने सरकार क्या कदम उठाती है साथ ही संबंधित विभाग इसे रोकने किस तरह के कार्रवाई करता है क्योंकि बार-बार विभागों के दावों के बावजूद आज तक गुटका तंबाकू युक्त उत्पाद की बिक्री नहीं रोकी जा सकती है यह काम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
कोटपा एक्ट के तहत नहीं हो रही कार्रवाई
18 मई 2003 को केंद्र सरकार द्वारा सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा एक्ट) लागू किया गया है। अधिनियम के तहत विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनिमय पर स्पष्ट प्रावधान है। अधिनियम में सिगरेट, जर्दायुक्त गुटका, सुंघकर नशा करने वाले पदार्थ आदि सभी का उल्लेख है। जिसके विक्रय के लिए आवश्यक नियम, अधिनियम में उल्लेखित है। एक्ट में नाबालिगों को तंबाकूयुक्त पदार्थ देना दंडनीय है। जिस पर जुर्माने का प्रावधान है।