वेतन रोकने का मामला, उच्च शिक्षा विभाग के संचालक को मिला हाईकोर्ट से नोटिस
रायपुर। स्थानांतरण के बाद सहायक प्राध्यापक को 9 महीने के भीतर दोबारा नई जगह पर पदस्थ करने का आदेश जारी कर वेतन रोकने के मामले में संचालक उच्च शिक्षा को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहां है।
सहायक प्राध्यापक वंदना रानी खाखा ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि उच्च शिक्षा विभाग के अपर संचालक ने 30 सितंबर 2022 को उनका शासकीय महाविद्यालय मरवाही से बिलासा कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर में स्थानांतरण किया। साथ ही बिलासपुर के इसी महाविद्यालय में कार्यरत सहायक प्राध्यापक मनीष कुमार दीवान को मरवाही स्थानांतरित किया। दोनों ने आदेश का पालन करते हुए अपना-अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया। इस बीच 2 जनवरी 2023 को संचालक उच्च शिक्षा विभाग ने 3 सितंबर 2022 के आदेश को संशोधित कर दिया। इसके अनुसार मनीष दीवान का स्थानांतरण मरवाही से वापस शासकीय बिलासा कन्या महाविद्यालय में किया गया और याचिकाकर्ता को अतिशेष बताते हुए उनका संलग्नीकरण शासकीय निरंजन केशरवानी महाविद्यालय कोटा में कर दिया गया। सहायक प्राध्यापक दीवान ने बिलासपुर में कार्यभार ग्रहण कर लिया।
बिलासपुर महाविद्यालय से कोटा स्थानांतरित किए जाने के विरुद्ध याचिकाकर्ता ने विभाग में पत्राचार किया। प्रत्युत्तर देने के बजाय उनका वेतन ही रोक दिया गया। याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए 9 महीने के भीतर दूसरी बार स्थानांतरण और अतिशेष बताकर नई जगह पर संलग्न करने के आदेश को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सहायक प्राध्यापक मनीष कुमार दीवान को लाभ पहुंचाने के लिए शासन के मापदंडों का उल्लंघन किया गया है। हाई कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद संचालक उच्च शिक्षा विभाग और सहायक प्राध्यापक मनीष कुमार दीवान सहित संबंधित पक्षों से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।