घर में चूल्हा जलना मुश्किल, आर्थिक संकट से हलाकान
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर । छत्तीसगढ़ वन विभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के घर चूल्हा जलना मुश्किल हो रहा है क्योंकि दैनिक वेतन भोगियों को नियमित वेतन नहीं मिल रहा है। इससे उनको आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रभावित रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग वन मंडल के कर्मचारी शामिल हैं। इनमें बिलासपुर वनमंडल के कर्मचारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बिलासपुर वन मंडल में दैनिक वेतन भोगियों को दो साल से अधिक हो गया है, तो एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल सफारी में दिन रात काम करने वाले कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं मिला है। वेतन न मिलने से कर्मचारियों को घर चलाना मुश्किल हो गया है। वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि तकनीकी कारणों से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। जिन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है, उसकी जानकारी एकत्र कर जल्द से जल्द वेतन भुगतान कराया जाएगा। ज्ञात हो कि प्रदेश कांकेर, जगदलपुर, सरगुजा, दुर्ग, बिलासपुर और रायपुर वन विभाग में कुल पांच हजार के करीब दैनिक वेतन भोगी काम करते हैं। इसमें बिलसापुर वन मंडल के बिलासतालपुरी के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को 27 माह से बेलगहना के कर्मचारियों को छह माह से, कोटा डिपो के कर्मचारियों को 10 महीने से तथा रायपुर वन मंडल में चार माह से और दुर्ग वन मंडल में तीन माह से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने की बात सामने आई है। वहीं दूसरी तरफ कांकेर, जगदलपुर और सरगुजा वनमंडल के दैनिक वेतन भोगियों को हाल ही वेतन जारी किया गया है।
हर तीसरे महीने में वेतन की राशि की जाती है जारी
जानकारी के मुताबिक, राज्य के ज्यादातर वन मंडलों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की जंबो टीम है। इस वजह से भी कर्मचारियों को तय समय पर वेतन नहीं मिल पाता। इसके साथ ही दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए हर तीसरे महीने में वेतन की 25 प्रतिशत राशि जारी की जाती है। इस वजह से भी कर्मचारियों को निश्चित समय पर वेतन नहीं मिल पाता।
बजट 40 से बढ़कर 70 लाख रुपए तक पहुंचा
रायपुर वन मंडल में मार्च 2020 तक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का बजट 40 लाख रुपए था। नए वित्तीय वर्ष दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की बजट में 75 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का बजट 40 से बढ़कर 70 लाख रुपए तक पहुंच गया है। बजट अधिक होने की वजह से वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए वित्तीय संकट की स्थिति निर्मित हो गई है।
मनमाने तरीके से भर्ती से भी आ रही दिक्कत
वन विभाग सूत्रों की मानें तो इन दिनों वन विभाग में दैनिक वेतन भोगियों की मनमाने तरीके से भर्ती की जा रही है। अधिकारी से लेकर नेता तक अपने-अपने लोगों को भर्ती करा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण ने कमर तोड़ कर रख दी है। इसलिए भी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है।
दैनिक वेतन भोगियों को पिछले कई महीने से वेतन नहीं मिल पा रहा है। जिससे घर चलाना मुश्किल हो गया है।
- बजरंग मिश्रा,
प्रदेश अध्यक्ष, छग प्रगतिशील महासंघ
दैनिक वेतन भोगियों की जानकारी एकत्रित की जा रही है, जल्द ही कर्मचारियों को वेतन भुगतान कराया जाएगा।
- राकेश चतुर्वेदी,
प्रधान मुख्य वन संरक्षक छत्तीसगढ़