मर्जी के बगैर नहीं हिलता एक पत्ता, पुलिस हाथ डालने से कतरा रही
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी रायपुर में सट्टा-जुआ व नशे के काले कारोबारियों शिकंजा दिनों दिन कसते जा रहा है, अवैध धंधेबाज माफिया मुंबई की तर्ज पर राजधानी में अपने इलाकों में समानांतर सरकार चला रहे है इनके इलाकों में इनकी मर्जी के खिलाफ एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। इन माफियों के खिलाफ कार्रवाई पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है। राजनीतिक संरक्षण और पुलिस के ही लोगों के मिल रहे परोक्ष संरक्षण से इनके हौसले चरम पर है। यही कारण है कि राजधानी में जुआ-सट्टा और नशे का कारोबार दिनों दिन फैलता जा रहा है। इसके चलते शहर में अपराध और गैंगवार भी बढऩे लगे है।
पुलिस भी माफियो के इलाके में नहीं घुसती : पुलिस पर कार्रवाई को लेकर इतना दबाव रहता है कि उन्हें कार्रवाई से बचाने के लिए वे दबिश व अन्य कार्रवाई कर उन्हें पहले ही सूचना देते है यही कारण है कि दबिश के दौरान माफिया के सभी इलाके खाली मिलते है। वही पुलिस को माफियों के इलाके में घुसने से पहले उनकी इजाजत लेनी पड़ती है वही दूसरी तरफ रायपुर में भी अब ऐसा होने लगा है कि शहर के डॉन के इलाके में और उसकी गली में कोई भी आये उससे पहले डॉन को पता होगा तभी उसकी गली में प्रवेश दिया जायेगा।
पुलिस को चकमा देकर भाग जाता है डॉन : राजधानी के कई इलाकों में रवि साहू और आसिफ की गैंग लगातार पुलिस को चकमा देकर अपना कारोबार चला रहे है। लेकिन उसके बाद भी पुलिस इन पर कार्रवाई नहीं कर पा रही है। लगातार रायपुर में नशे का काला कारोबार चलता है। लेकिन उसके बाद भी शहर भर में नशेड़ी लोग इधर-उधर घुमते दिख ही जाते है। रायपुर की कई निचली बस्तियों में अब सूखा नशा व्यापार भी तेजी से बढ़ गया है। किसी न किसी तरीके से तस्कर पुलिस के सामने से चकमा देकर निकल रहे है। जबकि पुलिस चप्पे पर लोगों की सुरक्षा में तैनात है। इसके बाद भी नशे का अवैध कारोबार का होना अपने आप में ही कई सवाल खड़ा कर रहा है। पुलिस भी मान रही है कि इन दिनों नसे का प्रचलन जरूर बढ़ा है, लेकिन उनके सूचना तंत्र काम कर रहे है, जिससे इसे रोका जा सके। शहर भर में नशे का कारोबार बढ़ते जा रहा है। जिस पर लगाम लगाना मुश्किल सा होने लगा है।
मुंबई की तर्ज पर चला रहे मोनोपल्ली
राजधानी में माफिया इस कदर हावी हो गए है कि उनके इलाके में आम लोगों का उनकी मर्जी के बगैर आना-जाना भी मुश्किल हो गया है। इलाकों में इनका सीधा-सीधा संरक्षण है। इलाके में रहने वाले और आने-जाने वाले लोग इनकी मर्जी के खिलाफ कुछ भी नहीं कर सकते। जिस तरह मुंबई के भिंडी बाजार, नागपाड़ा, गवली चाल, डोंगरी जैसे इलाकों में गैंगस्टर और माफियों का एकछत्र मोनोपल्ली हुआ करता है ठीक उसी तर्ज पर राजधानी में भी माफिया अपना सिक्का चला रहे है।
डॉन शहर में राज करने की राह पर
सट्टे का कारोबार करने वालों पर पुलिस की नजर है। ऐसे में बड़े सटोरिए अपने छोटे-मोटे काम या व्यापार का संचालन कर पुलिस को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं, जबकि सक्रिय उनके कैरियर पुलिस में रिकॉर्ड न होने का फायदा उठाकर इस कार्य को खुलेआम अंजाम दे रहे हैं। ये लोग गली और मोहल्लों में इस कार्य को कर लोगों को मुनाफे का लालच देकर इस कारोबार में फंसा रहे हैं। ऐसे में घरों में बेरोजगार लोग इनके चंगुल में फंस रहे हैं। हालही में शहर की पॉश कॉलोनी में सट्टा खिलाते पांच युवकों को गिरफ्तार किया गया था।
गोपनीयता सट्टे के धंधे का मूलमंत्र
गोरखधंधे में गोपनीयता का खास ध्यान रखा जाता है। ग्राहक और सट्टा माफिया दोनों गुप्त नाम रखकर यह खेल खेलते हैं। सट्टा लगाने वालों को भनक तक नहीं होती कि जिसके पास वह सट्टा लगा रहे हैं वह कहां रहता है, तथा उसका असली नाम क्या है। सट्टेबाजी का खेल बेशक गैरकानूनी है, लेकिन यहां लेनदेन पूरी तरह ईमानदारी से होता है। दांव लगाने वाला या सट्टा खिलाने वाला समय से भुगतान करता है। जीत चाहे लाख की हो या करोड़ की, पूरा पैसा समय से अदा कर दिया जाता है।
डॉन को कानून का खौफ नहीं
राजधानी में सट्टे-जुए का कारोबार धडल्ले से चल रहा है। लगातार पुलिस छापे मार कार्रवाई कर रही है लेकिन उसके बाद भी सट्टे-जुए का कारोबार चल रहा है। शहर का डॉन रोजाना अपने गुर्गों जरिए सट्टे का कारोबार चला रहा है। डॉन के खेमे में सट्टा खिलाने वाले लोग आपराधिक किस्म के ही होते है। डॉन रवि साहू ने अपने काले कारोबार में सिर्फ गुंडों की फौज रखी है। वक्त आने पर डॉन के शागिर्द किसी भी अपराध में अपने डॉन को बचाने के लिए जेल भी जा सकते है। शहर में कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से डॉन के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। और वही कालीबाड़ी के पास स्थित खुले मैदान में सट्टेबाज ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल को खिलाते है। जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही लगता है कि शहर के डॉन को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।
सट्टेबाजी का नया पैतरा
अब डॉन ने सट्टा खिलाने का एक नया ही पैतरा आजमा लिया है। डॉन की गली में अब चार-चार की जोड़ी में लोग कैरम खेलते है और इसी कैरम की आड़ में अवैध वसूली, जुआ और सट्टेबाजी के रैकेट चला रहे है। ऐसा तरीका मुंबई के कुख्यात गैंगस्टर और उनके गुर्गे अपनाया करते थे। अब राजधानी के डॉन ने भी कैरम की आड़ में सट्टा चलाना शुरू कर दिया है। पहले डॉन के गुर्गे गली में कैरम में जुए जैसा दाव लगाते है और जो हार जाता है उसे नगदी देने पड़ते हैं।