रन फार सीजी प्राइड: अनुमान से ज्यादा टी-शर्ट तीन गुने दाम पर खरीदे
खरीदी की संख्या से एक चौथाई भी पंजीयन नहीं, लाखों रुपए की बर्बादी
रायपुर (जसेरि)। खेल एवं युवा विभाग सरकार के तीन साल के कार्यकाल आगामी 17 दिसंबर को पूरा होने के अवसर पर 14 दिसंबर को स्वाभिमान मेराथन दौड़ रन फार सीजी प्राइड का आयोजन कर रहा है। इसका मुख्य आयोजन राजधानी में होगा जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हरी झंडी दिखाकर करेंगे। खबर है कि इस मैराथन में भाग लेने के लिए रविवार 12 दिसंबर तक पंजीयन करने का समय निर्धारित था, तय समय में महज ढाई से तीन हजार लोगों के रजिस्ट्रेशन कराया गया है जो कि आयोजकों के अनुमान 25 हजार से 30 हजार से काफी कम है।
जानकारी के अनुसार विभाग ने इसी अनुमान के आधार पर ही आनन-फानन में 25-30 हजार प्रिंटेड टी-शर्ट उपलब्ध कराने के लिए टेंडर कर आर्डर भी दे दिया। जिसमें प्रत्येक टी-शर्ट के लिए लगभग 240 रुपए कीमत तय करने की खबर है। रविवार तक 11-15 हजार टी-शर्ट की डिलीवरी भी मिलने की जानकारी मिली है। हैरान करने वाली बात यह है कि मैराथन में वास्तविक भागीदारों की संख्या सामने आए बगैर ही इतनी बड़ी संख्या में टी-शर्ट का आर्डर दे दिया गया। वह भी 240 रुपए प्रति पीस की कीमत पर जबकि बाजार में 75 से 100 रुपए में अच्छी और प्रिंटेड टी-शर्ट आसानी से उपलब्ध है इसके बावजूद आनन-फानन में इतनी बड़ी कीमत पर टी-शर्ट का आर्डर दे दिया गया। ऐेसे में अनुमान से एक चौथाई लोगों द्वारा भी पंजीयन नहीं कराने से इतनी बड़ी संख्या में टी-शर्ट की खरीदी फिजूलखर्ची ही साबित होगी। जिसके लिए वे अधिकारी ही जिम्मेदार होंगे जिन्होंने जल्दबाजी में सरकार और जनता की लाखों रुपए ऐसे ही बर्बाद कर दिए।
इस संबंध में खेल संचालनालय के अधिकारी श्री एक्का ने कहा कि इसमें हमारा कोई दखल नहीं है, जिला प्रशासन इसे बनवा रहा है, पूरी तैयारी वहां के अधिकारी प्रवेश जोशी की देखरेख में चल रही है। वहीं जिला कार्यालय के प्रवेश जोशी ने कहा कि वे सिर्फ व्यवस्था देख रहे हैं। जिला कार्यालय और खेल-कूद विभाग सारे इंतजाम कर रहा है। एक अन्य अधिकारी का कहना है कि समयाभाव में आनन-फानन में जो सेटअप बना है उसी के आधार पर ही टी-शर्ट के लिए आर्डर दिया गया है। अधिकारी चाहे कुछ भी बहाने बनाएं आनन-फानन का तात्पर्य यही नहीं है कि कुछ भी कीमत पर खरीदी कर सरकार को राजस्व की क्षति पहुंचाई जाए। एक ओर सरकार वित्तीय संकट की बात कहती है और दूसरी ओर अधिकारी सरकारी धन को फिजूलखर्जी में उड़ा रहे हैं।