लाइसेंस और बसों को परमिट दिलाने का लिया जाता है ठेका
कबाड़ वाहनों को डिसमेंटल करने के बजाए दिया जा रहा टूरिस्ट परमिट
आरटीओ दफ्तर में टूरिस्ट परमिट के नाम पर चल रहा है बड़ा खेल
ज़ाकिर घुरसेना
रायपुर। आरटीओ कार्यालय रायपुर द्वारा परिवहन आयुक्त के आदेश की धज्जी उड़ाई जा रही है। यहां बसों एवं अन्य वाहनों के परमिट व फिटनेस देने में जमकर लूट मची है। यह भी देखा गया है की बिना पैसे दिए काम नहीं होता। परेशान वाहन मालिक किससे गुहार लगाये क्योंकि आरटीओ द्वारा परिवहन आयुक्त के आदेश के खिलाफ भी काम किया जा रहा है । परिवहन आयुक्त के आदेशानुसार कोरोना काल में जो बसें चलेगी उसमें यात्रियों का नाम पता और मोबाइल नंबर सब की सूची आरटीओ कार्यालय में जमा करना अनिवार्य किया गया था लेकिन यहां कोई सूची नहीं है। छत्तीसगढ़ शासन पलायन रोकने हर संभव लोगो की मदद कर रही है उनके लिए रोजगार के साधन मुहैया करवा रही है, दूसरी और आरटीओ द्वारा मजदूरों को बाहर भेजने बसों की स्पेशल परमिट जारी की जा रही है। कहीं शासन को बदनाम करने की साजिश तो नहीं है। यह भी देखा गया है कि जिस बस को काली सूची में डाल दिया गया है अधिकारियों द्वारा लेन देन कर उसे स्पेशल परमिट जारी कर दे रहे हैं । जबकि नियम अनुसार ब्लैक लिस्टेड बसों को परमिट जारी किया ही नहीं जा सकता। लेकिन यहां अधिकारियों की मिलीभगत से सब कुछ हो रहा है।
पंजीयन निरस्त करने का खेल
रायपुर आरटीओ में मोटी फीस लेकर पंजीयन निरस्त करने का भी खेल बड़े पैमाने पर धड़ल्ले से हो रहा है, मानलो किसी ट्रांसपोर्टर के पास चार बसें है किसी एक बस का टेक्स अगर नहीं पता है तो चारों बस में से किसी एक का भी पंजीयन निरस्त नहीं किया जा सकता नियमानुसार टैक्स पेड होने के बाद ही पंजीयन निरस्त हो सकता है, अक्सर ये देखा गया है कि किसी वाहन मालिक को अपनी वाहन कबाड़ में बेचना हो तो वह टैक्स का भुगतान नहीं करता और बिना टैक्स भुगतान किये मोटी रकम देकर उक्त वाहन का पंजीयन निरस्त करवा लेता है, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं होता।
ब्लैक लिस्टेड वाहनों को भी स्पेशल परमिट
आरटीओ रायपुर में ऐसा काम हो रहा है कि अन्य जिले के आरटीओ ने जिस वाहन को ब्लैक लिस्टेड कर दिया हो और जो टैक्स जमा नहीं किये हैं उसे प्रदेश में कही भी परमिट नहीं मिल सकता लेकिन रायपुर आरटीओ दफ्तर में उसे स्पेशल परमिट मिल जाता है। ऐसीे कई गाडिय़ां है जो ब्लैक लिस्टेड होने और टैक्स जमा नहीं करने के बावजूद कई चक्कर पूना की लगा चुकी है। मजे की बात ये है कि उसे भी पूना जाने स्पेशल परमिट रायपुर आरटीओ कार्यालय द्वारा जारी किया गया है , इसमें अधिकारियों का भ्रष्टाचार साफ नजर आता है, आखिर ये सब किसके शह पर हो रहा है इस खेल के पीछे कौन है? समझ से परे है। सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि एक बस गरियाबंद की है और आरटीओ रायपुर द्वारा नवागढ़ से पूना के लिए स्पेशल परमिट बनाया जा रहा है। जो कि नियमानुसार एसा संभव नहीं है।
प्रतिनियुक्ति के भरोसे चल रहा आरटीओ
आरटीओ कार्यालय में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का मूल अधिकारी का न होना भी परेशानी का सबब है। आरटीओ डेपुटेशन में जो भी अधिकारी आते है, वे राज्य प्रशासनिक सेवा के होते हैं, जब तक वे काम समझते है उनका ट्रांसफर कर दिया जाता है। आरटीओ कार्यालय के अधिकारी ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि जब तक इस व्यवस्था को बदला नहीं जायेगा इसमें सुधार की गुंजाइश नहीं के बराबर है। और भर्राशाही चलते ही रहेगी। उन्होंने आगे कहा कि पहले सीधे आरटीओ अधिकारी ही बैठते थे, उन्हें सब काम की जानकारी होती थी, इस वजह से काम बिना परेशानी के होते रहता था। जब से प्रशासनिक अधिकारियों को डेपुटेशन पर आरटीओ बनाकर भेजने का प्रचलन शुरू हुआ है तब से वाहन मालिकों की परेशानी बढऩे के साथ लाइसेंस /परमिट से होने वाली अनाप-शनाप कमाई भी सुर्खियों में आ गई है।
ऑनलाइन प्रोसेस जटिल
ऑन लाइन प्रोसेस इतनी जटिल है कि आम आदमी इससे दूर भागता है। ऑनलाइन होने से घर बैठे अपना काम करवा सकते है, यह दावा सिर्फ सरकारी बनकर रह गया है, इससे परेशान उपभोक्ताओं को मजबूरी में ऑनलाइन प्रक्रिया से काम ना कर एजेंट के मार्फत काम करवाना ही इनको आसान लगता है। ऑनलाइन प्रक्रिया में नाना प्रकार के सवाल पूछे जाते है इन सब कारणों से लोग ऑनलाइन प्रक्रिया नहीं अपनाते साथ ही काम भी देरी से होता है। एजेंट हाथों हाथ काम करा लेता है।