
मुख्यमंत्री व विभागीय मंत्री के मंशा को पलिता लगाने मे लगे हैअधिकारी?
प्रदेश मे स्वास्थ्य विभाग एक ऐसे कद्दावर मंत्री टी एस सीहदेव के पास है जीनके योग्यता व कार्य शैली का अपना एक अलग पहचान है सूत्रों से खबर है प्रदेश मे स्वास्थ्य विभाग मे अधिकारी के लापरवाही के चलते प्रदेश सरकार के इस महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ आम लोगो के बजाए प्राईवेट अस्पताल के संचालक व अधिकारी के मिलीभगत से हो रहा है जमकर भ्रष्टाचार सत्ता सरकार के जनप्रतिनिधियों को नहीं है परवाह गरीब जनता को लाभ नहीं मिल रहा है .
प्रदेश के राजधानी के नामी प्राईवेट अस्पतालों मे गरीबों को बे हिसाब लुटने का धन्धा धड़ल्ले से चल रहा है क्या इन्हें सत्ता सरकार के जनप्रतिनिधियों का इतना छुट मिला हुआ है शासन प्रसासन का गाईडलाईन का भी इनअस्पतालो मे कोई परवाह नहीं बताया जाता है एक मरीज इनके अस्पताल मे ईलाज कराने पहुंचा तो पहले हजारों रुपये का टेस्ट कराने पर्ची थमा दिया जाता है
मेडिकल टेस्ट मे कोई रेट निर्धारित नही कमीशन के चक्कर मे मचा है लुट?
खबर है प्राईवेट हास्पिटल के डाक्टर कमीशन के चक्कर मे मरीजों को बेवजह एक लम्बा टेस्ट का पर्ची मरीजों को थमा देते है फीर चलता अन्यत्रीत रेट मे टेस्ट के नाम मरीजों को लुटने का खेल कुछ माह पूर्व सिटी स्क्रीन 1500 सौ से 2000 मे होता था आज उसका रेट 3500-4000 कर दिया गया है सोनोग्राफी 600 का 1200 से- 1500 कर दिया गया है ब्लड टेस्ट जीस रेट मे किया जाता था वर्तमान मे ईन टेस्टो का तीन गुना रेट बड़ा दिया गया है शासन द्वारा इनका फीस का कोई रेट निर्धारित नहीं करना आम लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है लोगों मे इस बात को लेकर सरकार के लिए जमकर आक्रोश पनप रहा है क्या इस लुट का पता शासन प्रसासन को नहीं होगा ऐसा सभंव नही है प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री द्वारा गरीबों के लिए बनाए गए योजनाओं का लाभ क्या प्रदेश के उच्च अधिकारी नहीं चाहते इसका लाभगरीब जरूरत मन्दो को मिले या वे सरकार को बदनाम कर विपक्ष को इनके खिलाफ मुद्दा देना चाह रहे है जीस तरह से प्रदेश मे प्राईवेटअस्पतालों मे मरीजों से ईलाज के नाम लुट का खेल खेला जा रहा है अगर इसे नियत्रित नहीं किया गया तो भविष्य मे सरकार के लिए चिन्ता का विषय है
छत्तीसगढ़ मे गरीबों के लिए आयुष्मान व स्मार्ट कार्ड युद्ध स्तर पर बनाया तो गया मगर प्रदेश सहीत विषेश कर राजनांदगांव दुर्ग भिलाई मे इस योजना का लाभ मरीजों को नहीं के बराबर मिल रहा है जब कोई मरीज का परीजन स्मार्ट कार्ड प्राईवेट अस्पताल मे देता है तब उसे धृणा के नजर से देखा जाता है और कई तरह के बहाने बता कर उक्त कार्ड के लेने से इन्कार कर नगद राशि लुटने का खेल खेला जाता है ऐसा प्रतित होता मानो इन प्राईवेटअस्पतालों को लुटने का लाईसेंस दिया हुआ है स्थानीय जनप्रतिनिधियों व उच्च अधिकारियों के सरक्षण से इन्कार नहीं किया जा सकता इनके वजह से सरकार का महत्वपूर्ण योजना का लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है शासन प्रसासन मुक दर्शक बना हुआ है.