छत्तीसगढ़

करोड़ों की रोड स्वीपिंग मशीन धूल खाते पड़ी

Admin2
23 Nov 2020 6:04 AM GMT
करोड़ों की रोड स्वीपिंग मशीन धूल खाते पड़ी
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अधिकारियों की लापरवाही से मशीन कबाड़ में तब्दील

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। रायपुर नगर निगम ने 15 साल पहले हुए करोड़ों रूपये के रोड स्वीपिंग मशीनों का पुरसाने हाल नहीं है। करोड़ों की मशीन किस हालत में है कोई अधिकारी बताने तैयार नहीं है, जिससे बात करो वह यही बोलता है कि मैं उस समय नहीं था, और जो थे वो रिटायर्ड होकर घर चले गए है। सूत्रों से पता चला है कि करोड़ों की मशीन गैरेज में धूल खाते कबाड़ में तब्दील हो गए है। पिछले दिनों पड़ोस के नगर निगम में एक केस देखने में आया कि 40 लाख की जेसीबी को 2 लाख में नीलाम किया गया, इसमें भी अधिकारियों की मिली भगत थी। यही हाल नगर निगम रायपुर का है।

करोड़ों की मशीन तो खरीद ली, लेकिन उसे आपरेट करने वाला ही कोई प्रशिक्षित आपरेटर ही नहीं, लेकिन मशीन खरीदने के बाद आपरेटरों को ट्रेनिंग दी गई। आधी अधूरी ट्रेनिंग लेकर मशीनों को रोड में उतर दिया गया, कुछ दिन काम करने के बाद मशीन खराब हो गई और उसे कबाड़ में डाल दिया गया । ऐसा आभास हो रहा है कि जानबूझकर कमीशन के चक्कर में ऐसा किया गया। सरकार को चाहिए इसकी तत्काल जांच कराये। नगर निगम में गाडिय़ों और मशीनों के मेन्टनेन्स के लिए खुद का वर्कशॉप है अगर जरुरत पड़ तो बाहर से मैकेनिक बुलाने का भी प्रावधान है, विगत कई वर्षो से वर्कशाप में नई भर्ती नहीं हुई है इस वजह स गिने चुने मौैकेनिक ही बचे हैं। विशेषज्ञ यह भी बताते है जो स्वीपिंग मशीनें खरीदी गई थी वो रायपुर की धूल की अनुरूप नहीं थी, रायपुर की धूल बालू मिश्रित होती है। इस वजह से मशीनों जल्दी खराब हो गई। ऊपर से कोई प्रशिक्षित मैकेनिक का न होना सोने में सुहागा हो गया। ये सब जानते हुए भी अधिकारियों ने गैरजिम्मेदारना कृत्य करते हुए करोड़ों की मशीनों को कबाड़ में तब्दील होने छोड़ दिया। पिछले दिनों एमआईसी की बैठक में यह निर्णय लिए गया कि शहर के प्रमुख मार्गो की सफाई अब झाडू के बजाय मशीनों से की जाएगी। शहर की सड़कों को 85 किमी के दायरे में लाया गया है जिसमें फॉर लेन टू लेन और अन्य सड़कें शामिल होगी। इसे ठेकेदार से सफाई कराया जायेगा, जिसमें 10 करोड़ रूपये खर्च आएगा। 15 साल पहले खरीदे गए स्वीपिंग मशीनों से रोड की सफाई तो नहीं हुई बल्कि सरकारी खजाने की सफाई जरूर हो गई अधिकारियों की मिलीभगत से बिना सोचे समझे करोड़ों की मशीन तो खरीद लिए लेकिन आपरेटर थे ही नहीं, आनन-फानन में ऑपरेटरों को ट्रेनिंग दी गई वह भी आधी अधूरी।

15 साल पहले खरीदी गई मशीनों के बारे में मुझे कुछ मालूम नहीं है, साथ ही अभी कोई नई मशीन नहीं खरीद रहे है, शहर की सफाई के लिए ठेका दिया जायेगा, जिसमें शर्त यह है कि टेकेदार ही मशीन, सुपरवाइजर, आपरेटर उपलब्ध कराएगा, जिसकी मॉनिटरिंग निगम के अधिकारी करेंगे।

-एजाज ढेबर, महापौर रायपुर

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