छत्तीसगढ़

सफल उद्यमी बनने का सपना साकार कर रही है रीपा योजना

Nilmani Pal
10 Aug 2023 1:45 PM GMT
सफल उद्यमी बनने का सपना साकार कर रही है रीपा योजना
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रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर ग्रामीण गरीब परिवारों के लिए रोजगार और आय के साधन उपलब्ध कराने के लिए गांव के गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है जहां विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। योजना के तहत प्रथम चरण में प्रत्येक विकासखण्ड में दो गौठानों का चयन किया गया है।
ग्रामीण आजीविका पार्क में ग्रामीणों को आजीविका संवर्धन के लिए शासन की ओर से मूलभूत सुविधाएं, आधारभूत संचरना जैसे आंतरिक सड़क, विद्युत, जल एवं नाली व्यवस्था, वर्कशेड, भण्डारण, प्रशिक्षण, मार्केटिंग सपोर्ट, तकनीकी मार्गदर्शन इत्यादि उपलब्ध कराए जा रहे हैं। योजना में इच्छुक स्थानीय युवाओं, स्व-सहायता समूहों का चिन्हांकन कर उद्यमियों को बिजनेस प्लान के आधार पर मशीनरी तथा बैंक से ऋण, विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पात्रतानुसार अनुदान, सब्सिडी अथवा शून्य ब्याज दर पर ऋण लेने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है जिससे गौठानों में स्थापित ग्रामीण औद्योगिक केन्द्रों में काम करने वाले ग्रामीण युवा उद्यमियों के सपनों को एक नया आयाम मिल रहा है।
राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना ‘‘रीपा’’ से न केवल ग्रामीणों के जीवन में परिवर्तन आया है बल्कि उनके सफल उद्यमी बनने के सपनों भी साकार हो रहे हैं। केवल खेती-किसानी और मजदूरी तक सीमित रहने वाले किसानों को रीपा योजना से जोड़कर उद्यमियता को बढ़ावा दिया जा रहा है। रीपा योजना के तहत संचालित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से नये-नये व्यवसाय की जानकारियां लेकर इनकी बारीकियां सीख रहे है।
इसी क्रम में बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लॉक के बेलटुकरी रीपा केंद्र में श्री बिहारी लाल और श्री राजू सिदार के द्वारा फेब्रिकेशन वेल्डिंग इकाई का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। जिससे जुड़कर ग्रामीण युवा आमदनी का एक अच्छा हिस्सा प्राप्त कर रहे है। रीपा योजना के तहत उद्यमियता को बढ़ावा मिलने के साथ ही युवाओं को रोजगार का एक जरिया मिल गया है। फेब्रिकेशन वेल्डिंग इकाई से इन उद्यमियों के द्वारा सात महीने में 12 लाख 44 हजार रुपये का आय अर्जित किया गया, जिससे उन्हें 2 लाख 60 हजार रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। वर्तमान में इन्हें खिड़की, दरवाजा, ट्रैश, जाली, शटर एवं पंचायत इत्यादि कार्य के आर्डर भी प्राप्त हुए है। जिससे इनके आय में 3 लाख रुपये की और बढ़ोतरी होगी। इस प्रकार रीपा योजना से जुड़कर ये उद्यमी सीधे तौर पर लाभान्वित हो रहे हैं एवं आर्थिक रूप से सशक्त होकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहे है। शासन की इस कल्याणकारी योजना से जुड़कर एक सफल उद्यमी बनने का इनका सपना साकार हुआ है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें खेती करते हुए गांव में ही उद्योग लगाने की ओर प्रोत्साहित किया है. किसानों को गांव में उद्योग लगाने के लिए वित्तीय एवं तकनीकी मदद करने के मकसद से राज्य सरकार ने रीपा योजना शुरू की है. इसके तहत कृषक उत्पादक समूहों एवं महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को उद्योग लगाने में हर प्रकार की मदद की जाती है. रीपा योजना की सहायता से महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों की Success Stories राज्य के तमाम इलाकों से सामने आ रही हैं. इनमें मिट्टी की मूर्तियां बनाने के सिल्क धागा बनाने के सफल उद्योग संचालन की कहानियां शामिल हैं. छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि रीपा योजना की मदद से महिला स्व सहायता समूहों ने अपने हुनर और मेहनत से एक नई पहचान बनाने में सफलता हासिल की है. इनमें LED Bulb बनाने, खेत की फेंसिंग के लिए तार जाली बनाने, बिजली घर से निकलने वाली Fly ash से ईंट बनाने, गोबर से पेंट बनाने और तमाम तरह की खाद्य सामग्री बनाने की औद्योगिक इकाईयां गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं.
पूजा पंडालों में विराजेंगे गांव में बने गणपत‍ि
हाल ही में रक्षाबंधन के अवसर पर गांव के महिला समूह ने कम कीमत पर बेहद आकर्षक राखियां बनाकर अपने हुनर की छाप छोड़ी थी. अब गणेश महोत्सव के आगामी पर्व से पहले गांव की महिलाओं ने आकर्षक गणेश प्रतिमायें बनाकर हर पूजा पंडाल तक अपनी पहुंच बनाने का उपक्रम शुरू कर दिया है.
इसके तहत महासमुंद जिले में ग्रामीण महिलाओं के समूह गणेश प्रतिमायें बनाने के काम में जुट गए हैं. राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि महासमंद जिले में गोड़बहाल गांव में स्थ‍ित महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क से जुड़कर मां चन्द्रहसिनी महिला समूह की महिलाएं विभिन्न आकार की रंग बिरंगी आकर्षक गणेश मूर्तियों का निर्माण कर रही हैं.
होने लगी 3 लाख तक की आय
इन महिलाओं के माटी कला के हुनर को रीपा योजना ने संसाधन और अवसर मुहैया कराकर इनके सपनों की उड़ान को मंजिल तक पहुंचाया है. समूह की अध्यक्ष नीरा निषाद ने बताया कि उनके समूह ने अब तक 500 गणेश मूर्तियां बना ली हैं. इसकी पहली खेप बाजार में पहुंच गई है.
बाजार से बेहतर प्रतिक्रिया मिलने के आधार पर उन्होंने भरोसा जताया कि इन प्रतिमाओं की बिक्री से उनके सूमह को कम से कम 1 लाख रुपये की आय हो जाएगी. उन्होंने बताया कि समूह के पास विभिन्न आकार की 200 रुपये से लेकर 4000 रुपये तक की गणेश प्रतिमाएं उपलब्ध हैं. इससे उनकी आय में इजाफा होना तय है.
निषाद ने बताया कि माटी कला के मार्फत उनका समूह गणेश प्रतिमाएं बनाने से पहले मूर्तियां, खि‍लौने और घरेलू सजावट के तमाम अन्य सामान बना रहा है. इससे उनके समूह की आय लगातार बढ़ रही है. अब उनके समूह को 3 लाख रुपये मासिक तक औसत आय होने लगी है.
सिल्क धागा बना आय का जरिया
सरगुजा (अंबिकापुर) जिले में लखनपुर ब्लॉक के पूहपुत्र गांव की महिलाओं के समूह ने रीपा योजना के तहत सिल्क धागे का उद्योग अपने गांव में स्थापित किया है. इस समूह द्वारा तसर सिल्क का धागा, इतनी उम्दा क्वालिटी का है कि इसकी खरीद राज्य सरकार का सिल्क विभाग भी इनसे करता है. इसलिए अब इस सूमह को धागा बिकने की ज्यादा चिंता नहीं करनी पड़ती है.
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